इमरान सरकार में न आम जनता सुरक्षित ना हीं खास, सात पत्रकारों की हुई हत्या, छह हुए अगवा
एक सितंबर 2018 से इस साल 30 जनवरी तक सात पत्रकारों और एक ब्लॉगर की हत्या हुई। छह पत्रकारों को अगवा किया गया और 15 के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए। इसके अलावा मीडिया कर्मियों के खिलाफ अपराध के 135 मामले भी सामने आए।
इस्लामाबाद, प्रेट्र। पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार में पत्रकार सुरक्षित नहीं हैं। इन पर हमले बढ़ गए हैं। एक सितंबर, 2018 से इस साल 30 जनवरी तक सात पत्रकारों और एक ब्लॉगर की हत्या हुई। छह पत्रकारों को अगवा किया गया और 15 के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए। इसके अलावा मीडिया कर्मियों के खिलाफ अपराध के 135 मामले भी सामने आए।
डॉन अखबार ने स्थानीय मीडिया निगरानी फ्रीडल नेटवर्क के हवाले से यह जानकारी दी। इस संगठन ने शुक्रवार को एक बयान में यह भी बताया कि इमरान कैबिनेट की इस अवधि में कुल 62 बैठकें हुई, लेकिन पत्रकारों पर हमले जैसे गंभीर मसलों पर एक बार भी चर्चा नहीं हुई। फ्रीडल नेटवर्क ने इस साल फरवरी में सरकार को पत्र लिखकर यह पूछा था कि पत्रकारों पर बढ़ते हमले के बारे में कैबिनेट में कितनी बार चर्चा हुई।
इस पर सरकार की ओर से गत माह सूचना मुहैया कराई गई थी। कैबिनेट डिविजन के सेक्शन अधिकारी जमील अहमद ने संघीय सूचना आयोग के जरिये निगरानी फ्रीडल को बताया, 'एक सितंबर, 2018 से इस साल 30 जनवरी के दौरान कैबिनेट की कुल 62 बैठकें हुई, लेकिन इस दौरान पत्रकारों की सुरक्षा और उनके खिलाफ हमलों पर चर्चा का कोई एजेंडा शामिल नहीं किया गया था।
कैबिनेट की बैठकों में भी इस तरह के मसले को न शामिल किए जाने को गंभीरता से लिया गया है। कहा जा रहा है कि सरकार किसी को भी सुरक्षा नहीं महसूस करवा पा रही है। आम जनता तो यहां आतंक से परेशान है ही, अब खास वर्ग के लोग भी इसका शिकार हो रहे हैं। दुनिया जानती है कि पाकिस्तान आतंकवाद का पोषक है। भारत से आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने का सारा श्रेय पाकिस्तान को ही जाता है। जितनी भी आतंकी गतिविधियां हुई है उसके सारे सबूत पाकिस्तान को दिए जा चुके हैं मगर उसके बाद भी वो उस पर पूरी तरह से अंकुश लगाने में कामयाब नहीं हो पाया है। जिसका नतीजा सभी के सामने हैं।