आसिया बीबी के पाकिस्तान छोड़ने पर रोक लगाने को तैयार इमरान खान नई मुसीबत से घिरे
नया पाकिस्तान नारे के साथ सेना के खुले-छिपे सहयोग से सत्ता में आए इमरान खान दोहरी मुसीबत से घिर गए हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। नया पाकिस्तान नारे के साथ सेना के खुले-छिपे सहयोग से सत्ता में आए इमरान खान यकायक दोहरी मुसीबत से घिर गए हैं। ईसाई महिला आसिया बीबी की रिहाई के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जहां कट्टरपंथी संगठनों के सदस्य सड़कों पर नंगा-नाच कर रहे हैं, वहीं तालिबान के जनक कहे जाने वाले मौलाना समीउलहक की हत्या के बाद यह अंदेशा उभर आय़ा है कि कहीं उसके समर्थक भी सड़कों पर न उतर आएं।
इस दोहरी मुसीबत से बचने के लिए सरकार ने बरेलवी मुसलमानों के सबसे कट्टरपंथी संगठन तहरीक लब्बैक या रसूल( टीएलवाईआर) के आगे हथियार डाल दिए और इस बवाली संगठन के मुखिया मौलाना खादिम रिजवी से एक समझौता कर लिया।
इस समझौते के तहत आसिया बीबी की रिहाई के आदेश की समीक्षा होगी, उनके देश छोड़ने पर रोक लगाई जाएगी और 30 अक्टूबर के बाद इस आदेश के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया उन्हें रिहा किया जाएगा। समझौते के तहत टीएलवाईआर के जिन लोगों ने फौजी अफसरों और जजों को गालियां दीं वे माफी मांगेंगे।
टीएलवाईआर की खुली जीत वाले इस समझौते को इस चरमपंथी संगठन के समक्ष पाकिस्तान का दूसरा आत्मसमर्पण माना जा रहा है। इसके पहले ऐसा ही समर्पण कुछ माह पहले तब किया गया था जब खाकान अब्बासी प्रधानमंत्री पद पर थे और अल्लाह की तौहीनी का आरोप लगाकर खादिम रिजवी के लोग इस्लामाबाद में धरने पर बैठे हुए थे।
फिलहाल यह साफ नहीं कि आसिया बीबी के देश छोड़ने पर रोक के आदेश कब जारी होंगे। यह भी साफ नहीं है कि ईशनिंदा में मौत की सजा से बची आसिया अभी पाकिस्तान में हैं या पाकिस्तान छोड़कर जा चुकी हैं।
हालांकि आसिया बीबी की रिहाई और समीउलहक की हत्या के मामले अलग-अलग हैं, लेकिन दोनों घटनाक्रम से खफा चरमपंथी तत्व यह आऱोप लगा रहे कि ये दोनों काम सरकार और सेना की शह से हुए। आसिया बीबी की रिहाई के फैसले के बाद मूलतः बरेलवी फिरके के कट्टरपंथी मजहबी संगठन बवाल मचा रहे थे, समीअलहक की मौत पर देवबंदियों के चरमपंथी संगठनों के सड़कों पर उतरकर हंगामा मचाने की आशंका है।
पाकिस्तान मामलो के विशेषज्ञ यह मान रहे हैं कि नया पाकिस्तान बनाने की ख्वाहिश पाले इमरान खान के लिए इससे बुरा वक्त और कोई नहीं हो सकता, क्योंकि आम धारणा है कि सुप्रीम कोर्ट ने सेना और सरकार के इशारे पर आसिया बीबी की रिहाई का रास्ता इसलिए साफ किया ताकि विश्व समुदाय और खासकर यूरोप और अमेरिका की नजर में पाकिस्तान की छवि सुधरे और उसे आर्थिक मदद मिलने में आसानी हो।
चूंकि आसिया बीबी ईसाई हैं इसलिए उनकी सलामती की मांग यूरोप के कई देशों की ओर से की जा रही थी। आसिया बीबी की रिहाई के बाद पाकिस्तान के हालात जिस तरह बिगड़े और सरकार टीएलवाईआर के सामने भीगी बिल्ली बनकर उससे समझौता करने को मजबूर हुई उससे दुनिया भर में पाकिस्तान की छीछालेदर होना तय है। यदि आसिया बीबी के पाकिस्तान छोड़ने पर सचमुच रोक लगती है तो दुनिया को यही संदेश जाएगा कि पाकिस्तान में वही होता है जो कट्टरपंथी मौलना-मौलवी चाहते हैं।
आसिया बीबी को रिहा करने के फैसले का विरोध केवल कट्टरपंथी तत्व ही नहीं कर रहे हैं। कई वकील भी उनकी ही राह पर हैं। पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के एक सीनियर वकील ने आसिया बीबी को रिहा करने वाली तीन सदस्यीय पीठ में शामिल मुख्य न्यायाधीस साकिब को लानती जज करार देते हुए सबके सामने अपना काला कोट जला दिया। अन्य वकीलों ने उनकी हौसला अफजाई की।