पाक के मानवाधिकार आयोग ने खोली इमरान सरकार की पोल, कहा- चिंतित करने वाले हैं ये मामले
पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने इमरान सरकार की पोल खोलते हुए मुल्क में मानवाधिकारों के हनन के मामलों में चिंताजनक करार दिया है। पढ़ें यह दिलचस्प रिपोर्ट...
इस्लामाबाद, आइएएनएस। पाकिस्तान में इमरान सरकार को झटका देते हुए वहां के मानवाधिकार आयोग ने मानवाधिकारों के हनन के मामलों में चिंताजनक करार दिया है। कहा है कि बीते वर्ष जिस तरह की घटनाएं हुईं उनमें राजनीतिक असहमति को दबाने के लिए मानवाधिकारों के खिलाफ जाकर कार्रवाई की गईं। पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट गुरुवार को सार्वजनिक की है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2019 राजनीतिक असहमति को सोची-समझी रणनीति के तहत कुचलने के लिए याद किया जाएगा। इस दौरान मुख्यधारा के मीडिया पर प्रहार किया गया। फोन और इंटरनेट की निगरानी की गई और सोशल मीडिया पर बंदिशें थोपी गईं। बीते वर्ष में बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी प्रहार हुआ। आयोग ने कहा है कि देश में संवेदनशील मुद्दों पर खुले में बोलना और लिखना मुश्किल हो गया है।
आयोग ने साफ लफ्जों में कहा है कि पाकिस्तान में खुलकर बोलना अब मुश्किल हो गया है। ऐसा करने वालों पर देश के खिलाफ काम करने और सेना व अन्य सुरक्षा एजेंसियों के विरुद्ध काम करने के आरोप लग जाते हैं। कुछ मामले में बोलने और लिखने वाला गायब भी हो गया है। बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में कार्यरत कई पत्रकारों को इस तरह की अप्रिय स्थितियों से गुजरना पड़ा है।
प्रांतीय स्तर के कई अखबारों और पत्रिकाओं को बंद करा दिया गया है। डॉन जैसे प्रमुख अखबार के खिलाफ लगातार अभियान चलाया गया। उसके कराची और इस्लामाबाद कार्यालयों के बाहर प्रदर्शन कर नारेबाजी की गई। अखबार पर खुफिया एजेंसी के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया गया। रिपोर्ट में प्रांतीय सरकारों की कार्य करने की स्वतंत्रता का भी मसला उठाया गया है। संविधान में उन्हें मिले अधिकारों की चर्चा की गई है।