नहीं होते इमरान तो कभी सामने नहीं आते जावेद मियांदाद, इंजमाम और यूनुस
भारतीय खिलाड़ी संजय मांजरेकर ने अपनी आत्मकथा ‘इम्परफेक्ट’ में दावा किया है कि वह बेहतर क्रिकेटर होते अगर इमरान खान उनके कप्तान होते।
नई दिल्ली [प्रेट्र]। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में सबसे आगे चल रहे इमरान खान सबसे पहले हमेशा एक गूढ़ कप्तान के रूप में जाने जाएंगे, जिन्होंने असंभव को भी संभव बना दिया। प्रतिभावान इमरान ने कुछ झगड़ालू किस्म के क्रिकेटरों को विश्व के बेहतरीन खिलाड़ियों में तब्दील कर दिया। नौवें दशक में कई अंतरराष्ट्रीय कप्तान हुए, लेकिन क्रिकेट के मैदान में लीडर एक ही था। और वह पाकिस्तान का इमरान खान ही था। ये वह युग था जब क्रिकेट के मैदान में भारतीय टीम पाकिस्तान के मुकाबले (अक्सर शारजाह में) हार जाती थी। भारतीय खिलाड़ी संजय मांजरेकर ने अपनी आत्मकथा ‘इम्परफेक्ट’ में दावा किया है कि वह बेहतर क्रिकेटर होते अगर इमरान खान उनके कप्तान होते।
नौवें दशक में पाकिस्तान के खिलाफ कई मैच खेलने वाले पूर्व भारतीय फिरकी गेंदबाज मनिंदर सिंह ने कहा कि अपने दौर में इमरान सबसे बेहतरीन ऑल-राउंडरों में से एक थे। वह एक विश्वस्तरीय फास्ट बॉलर भी थे। लेकिन उनकी अलग पहचान उनकी नेतृत्व की क्षमता के कारण ही बनी थी। वह पाकिस्तानी टीम के कैप्टन, कोच, चीफ सेलेक्टर सभी कुछ थे। उनके पाकिस्तान के कप्तान रहते हुए कोई भी उनके काम में दखल नहीं दे सका। उन्हें प्रतिभा की पहचान थी और वह बहुत ही जिद्दी थे।
नौवें दशक में चार क्रिकेटर ऐसे थे जिनके बीच सर्वश्रेष्ठ ऑल राउंडर होने का मुकाबला रहता था। लेकिन यह सभी एक-दूसरे से बेहद अलग थे। कपिल देव स्वाभाविक रूप से प्रतिभाशाली और वह जमीन से जुड़े आदमी थे। वहीं न्यूजीलैंड के कप्तान रिचर्ड हेडली बहुत ही सूक्ष्म प्लानर थे और बहुत ही अनुशासन से रहते थे। इसी तरह इंग्लैंड के तत्कालीन कप्तान इयान बॉथम आजाद ख्याल खिलाड़ी थे, जोकि किसी विशिष्ट दिन पर जीनियस साबित होता था।
वहीं इमरान खान ऑक्सफोर्ड के पढ़े खुशमिजाज इंसान और मध्यम आवाज में बोलने वाले व्यक्ति रहे। वह अपने चार्म से सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों को भी नर्वस कर देते थे। बतौर गेंदबाज वसीम अकरम उनसे बेहतर थे, लेकिन वह इसके आधे भी गेंदबाज न रहे होते अगर उनके कप्तान उन्हें ‘मिड ऑन’ पर गाइड न करते। अकरम रिवर्स स्विंग करने वाले बेहतरीन खिलाड़ी हुए। यह खूबी भी उन्होंने अपने कप्तान से ही सीखी थी। इमरान होनहार खिलाड़ियों के पारखी थे।
एक दोपहर जब उन्होंने टीवी ऑन किया तो एक घरेलू मैच चल रहा था। उनका ध्यान एक युवा तेज गेंदबाज ने खींचा जिसका एक्शन कुछ अटपटा था। उन्होंने तत्काल पीसीबी के अधिकारियों से उस लड़के के बारे में पूछा तो उसका नाम वकार यूनुस बताया गया। इसी तरह इमरान ने 1992 के विश्व कप खिताब जीतने के दौरान भी युवा खिलाड़ी इंजमाम उल हक की भी खोज की थी। हालांकि उनकी सबसे बड़ी योग्यता मानी गई कि उन्होंने कप्तान रहते हुए जावेद मियांदाद को टीम में सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज के रूप में ढाल लिया।