Move to Jagran APP

हाफिज सईद की गोद में बैठी है पाक सरकार, सामने आया आतंकी पर 'बैन' का सच

आतंकी हाफिज सईद को लेकर आखिरकार पाकिस्‍तान सरकार असली चेहरा सामने आ ही गया जिसको लेकर पहले से आशंका जताई जा रही थी।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 07 Mar 2018 12:09 PM (IST)Updated: Wed, 07 Mar 2018 06:18 PM (IST)
हाफिज सईद की गोद में बैठी है पाक सरकार, सामने आया आतंकी पर 'बैन' का सच
हाफिज सईद की गोद में बैठी है पाक सरकार, सामने आया आतंकी पर 'बैन' का सच

नई दिल्‍ली स्‍पेशल डेस्‍क। आतंकी हाफिज सईद को लेकर आखिरकार पाकिस्‍तान सरकार असली चेहरा सामने आ ही गया जिसको लेकर पहले से आशंका जताई जा रही थी। आतंकी और उसके संगठन को बचाने के लिए पाकिस्‍तान सरकार ने जो ह‍थकंडा अपनाया वह वास्‍तव में बेहद शर्मनाक है। इससे यह भी जाहिर होता है कि आखिरकार पाकिस्‍तान की सरकार और वहां की सियासत में आतंकियों और उनके संगठनों की कितनी पैंठ है। दरअसल, पाकिस्तान ने पिछले महीने आतंकी फंडिंग के अंतरराष्ट्रीय निगरानी संगठन फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की काली सूची में जाने से बचने के लिए मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड आतंकी हाफिज सईद के संगठन जमात-उददावा पर प्रतिबंध लगाने का जो नाटक रचा था, उसकी पोल अब पूरी तरह से खुल गई है।

loksabha election banner

खुलेआम चल रहे हैं आतंकी संगठनों के दफ्तर
हाफिज सईद और उसके अन्य आतंकी साथी और प्रतिबंधित फलाह-आइ-इंसानियत (एफआइएफ) के दफ्तर पाकिस्तान में खुले आम चल रहे हैं। उसके कामकाज पर पाकिस्तान के लगाए प्रतिबंध का कोई असर नहीं पड़ा है। गौरतलब है कि पिछले महीने ही पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने 1997 के आतंकवाद रोधी अधिनियम में संशोधन के लिए अधिनियम बनाया था। इसके तहत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रतिबंधित संगठनों को पाकिस्तान में प्रतिबंधित किया जाना था। तब पाकिस्तान सरकार ने दावा किया था कि उसने जमात-उद-दावा के लाहौर के चौबुर्जी स्थित मस्जिद अल कदीसिया के दफ्तर और मुख्यालय मुरिदके मरकज को बंद कर दिया है।

जनरल बख्‍शी ने पहले ही जताई थी आशंका
आपको यहां पर ये भी बता दें कि जिस वक्‍त ये खबर आई थी कि एफआइएफ की बैठक से डरकर पाकिस्‍तान ने हाफिज सईद और उसके संगठनों को आतंकी संगठन घोषित किया है और इस बाबत वहां के राष्‍ट्रपति ने एक बिल पर दस्‍तखत किए हैं। उसी वक्‍त रक्षा जानकार और भारतीय सेना के पूर्व मेजर जनरल जीडी बख्‍शी ने यह साफ कर दिया था कि यह दिखावे से जयादा कुछ नहीं है। उनका कहना था कि केवल पेरिस में होने वाली बैठक और इसके फैसले से बचने के लिए पाकिस्‍तान ने यह चाल चली है। लेकिन पाकिस्‍तान इन आतंकियों और इनकें संगठनों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाने वाला है। उन्‍होंने यहां तक कहा था कि वक्‍त बीतने के साथ-साथ ये आतंकी संगठन नए नाम का चोला ओढ़ लेंगे और नए चेहरों के साथ फिर वही काम करते हुए दिखाई देंगे जो ये अब कर रहे हैं।

अमेरिका पाकिस्तासन में तू-तू-मैं-मैं 
आपको यहां पर ये भी बता देना जरूरी होगा कि पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठनों को लेकर कई बार अमेरिका का शीर्ष नेतृत्व भी उसको सरेआम धमका चुका है। यहां तक की इन आतंकी संगठनों की वजह से अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद तक रोक ली थी, जिसके बाद पाकिस्तान में अमेरिका को लेकर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन तक हुए थे। इतना ही नहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने यहां तक कहा था कि उन्हें अमेरिका के पैसों की दरकार नहीं है। वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीधेतौर पर पाकिस्तान पर आतंकियों को मदद करने और उनको खत्म् करने का दिखावा करने तक का आरोप लगाया था। हालांकि उस वक्त चीन ने पाकिस्तान का साथ जरूर दिया था और कहा था कि पाकिस्तान ने आतंकियों को खत्म करने के लिए जो काम किया है उसका सम्मान होना चाहिए।

सतत बदलाव नहीं देखा
क्षिण और मध्य एशिया की प्रधान सहायक उप मंत्री एलिस वेल्स ने कहा, ‘हमने पाकिस्तान के रवैये में अब तक कोई निर्णायक और सतत बदलाव नहीं देखा है, लेकिन हम निश्चित ही पाकिस्तान से उन विषयों पर संपर्क जारी रखेंगे, जहां हमारा मानना है कि वह तालिबान के समीकरण बदलने में सहायक भूमिका अदा कर सकता है।’ हाल ही में अफगानिस्तान में संपन्न काबुल सम्मेलन के बाद पत्रकार वार्ता में वेल्स ने कहा, हमारा मानना है कि अफगानिस्तान में शांति बहाली की प्रक्रिया में पाकिस्तान की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। अमेरिका अफगानिस्तान-पाकिस्तान संबंधों को बेहद महत्वपूर्ण मानता है। अमेरिका इन द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने के प्रयासों का समर्थन करता है। द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने को लेकर एक समझौते की रूपरेखा तैयार करने के लिए पिछले कई महीनों में दोनों ने एक-दूसरे देशों का दौरा किया है। वेल्स ने कहा, ‘हम इसका समर्थन करते हैं। हमें लगता है कि यह महत्वपूर्ण है।

जनरल बख्‍शी के बयान पर लगी मुहर
पाकिस्‍तान के ताजा फैसले से जनरल बख्‍शी के बयानों पर मुहर लग गई है। अब ये बेहद साफ हो गया है कि पाकिस्‍तान के अंदर आतं‍की संगठनों की पहुंच काफी गहराई तक है। इसके साथ ही वहां की सरकारें न सिर्फ इन आतंकी संगठनों को मदद पहुंचाने का काम करती हैं बल्कि इनके ही इशारे पर नाचती भी हैं। आपको बता दें कि पाकिस्‍तान में जितनी भी सरकारें अब तक आई हैं उन सभी ने इन आतंकियों और इनके संगठनों को पालने और पोसने का काम किया है। फिर चाहे वहां के पीएम की गद्दी पर अब्‍बासी हों या नवाज या फिर भुट्टो। मेजर जनरल बख्‍शी ने सईद पर दैनिक जागरण से बात करते हुए यहां तक कहा था कि सरकार को चाहिए कि वह सेना को खुली छूट दे। उनके मुताबिक भारत को भारी तापों से पाकिस्‍तान के अंदर तक धमाके कर इन आतंकियों को खत्‍म करने की इजाजत देनी चाहिए।

नहीं बंद हुए दफ्तर
लेकिन हकीकत यह है कि हाफिज सईद और उसके समर्थकों ने ना तो चौबुर्जी मुख्यालय छोड़ा है और ना ही जमात के अन्य दफ्तरों और पाकिस्तान में एफआइएफ के ही कोई भी दफ्तर बंद हुए हैं। पाकिस्तान की पंजाब प्रांत की सरकार के एक अधिकारी के मुताबिक पिछले महीने के मध्य में सरकार ने जमात-उद-दावा के मुख्यालय को अपने कब्जे में ले लिया था। तब से हाफिज सईद ने बड़े पैमाने पर अपने समर्थकों की मौजूदगी में वहां पर तीन शुक्रवार को अपने भाषण दिये हैं। सरकार केवल अल कदीसिया पर अपना प्रशासक ही नियुक्त कर पाई है। जमात उद दावा के लोग वहां वैसे ही काम कर रहे हैं जैसे पहले करते थे। उन्होंने बताया कि जमात के मुरीदके मुख्यालय पर भी यही व्यवस्था की गई है।

सरकार ने काम करने से नहीं रोका
अधिकारी के मुताबिक पाकिस्तान सरकार ने सईद और उनके अन्य कार्यकर्ताओं को लाहौर में उनका मुख्यालय और मुरीदके को इस्तेमाल करने से नहीं रोका है। इसके अलावा, दोनों प्रतिबंधित आतंकी संगठनों के अन्य दफ्तरों पर भी ऐसी कोई पाबंदी नहीं लगाई गई है। गौरतलब है कि पिछले महीने फरवरी में पेरिस में हुई एफएटीएफ बैठक में पाकिस्तान को हाफिज सईद और उसके साथियों पर सबसे पहले कार्रवाई करने को कहा गया था। इसके एवज में ही पाकिस्तान को काली सूची में डालने से पहले जून यानी अगली बैठक तक की मोहलत दी गई थी।

ज्यादा खुश न हों, बैन के बाद भी हाफिज सईद पर नहीं बदलेगा पाक का रुख
पाकिस्‍तान को अमेरिका से मिल सकता है एक और झटका, बढ़ जाएंगी मुश्किलें
नमालूम कितने जिंदा बमों पर बैठा है यूरोप, कहीं कभी हो न जाए विस्‍फोट!
चाबहार के बाद अब ओमान के जरिए चीन के बढ़ते कदमों पर ब्रेक लगाएगा 'भारत' 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.