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मौलवी के आदेश पर पाकिस्तान में तोड़ी गई बुद्ध की दुर्लभ प्रतिमा, खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत की घटना

पाकिस्तान में गौतम बुद्ध की वह दुर्लभ प्रतिमा जो एक खेत में खोदाई के दौरान मिली थी और जिसे एक स्थानीय मौलवी के कहने पर लोगों ने टुकड़े-टुकड़े कर दिया।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 18 Jul 2020 11:54 PM (IST)Updated: Sun, 19 Jul 2020 03:08 AM (IST)
मौलवी के आदेश पर पाकिस्तान में तोड़ी गई बुद्ध की दुर्लभ प्रतिमा, खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत की घटना
मौलवी के आदेश पर पाकिस्तान में तोड़ी गई बुद्ध की दुर्लभ प्रतिमा, खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत की घटना

पेशावर, पीटीआइ। पाकिस्तान में धार्मिक असहिष्णुता सिर्फ हिंदुओं और ईसाइयों तक सीमित नहीं है। इसका ताजा उदाहरण है गौतम बुद्ध की वह दुर्लभ प्रतिमा जो एक खेत में खोदाई के दौरान मिली थी और जिसे एक स्थानीय मौलवी के कहने पर लोगों ने टुकड़े-टुकड़े कर दिया। हालांकि इस संबंध में पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है। खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत में मरदन जिले के पुलिस अधिकारी जहीदुल्लाह ने बताया कि तहसील तख्तबाई में एक खेत में पाइपलाइन की खोदाई के दौरान निर्माण मजदूरों को यह प्रतिमा मिली थी।

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स्थानीय मौलवी के आदेश पर इस प्रतिमा को तोड़ने का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने ठेकेदार कमर जामन और उसके मजदूरों को गिरफ्तार कर लिया है। उनके पास से प्रतिमा के कुछ टुकड़े बरामद किए गए हैं। पर्यटन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद अधिकारियों ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पुलिस को मामले की सूचना दी थी।

मालूम हो कि श्रीलंका, कोरिया और जापान के लोगों के लिए तख्तबाई इलाका पर्यटन स्थल है क्योंकि यह क्षेत्र उपमहाद्वीप के इतिहास में गांधार सभ्यता की शुरुआती शहरी बसावटों में से एक है। खैबर-पख्तूनख्वा के पुरातत्व विभाग के निदेशक अब्दुल समद ने इस घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए आश्वासन दिया कि बुद्ध की दुर्लभ प्रतिमा तोड़ने के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। खैबर-पख्तूनख्वा का प्राचीन नाम गांधार है और इस क्षेत्र के लिए बौद्ध अनुयायियों के मन में अपार श्रद्धा है।

बता दें कि 2017 में हरिपत जिले के भमाला में पुरातात्विक स्थल पर बुद्ध की दो प्राचीन और दुर्लभ प्रतिमाएं निकली थीं। इस स्थल पर निकली सबसे बड़ी प्रतिमा बुद्ध की मृत्यु को दर्शाती है और दूसरी प्रतिमा दोहरे प्रभामंडल वाली थी। मृत्यु को दर्शाने वाली प्रतिमा अपनी तरह की दुनिया में सबसे प्राचीन प्रतिमा है। अमेरिकी प्रयोगशाला ने इसकी पुष्टि करते हुए इसे तीन शताब्दी ईसा पूर्व से भी पुरानी बताया है।


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