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पाकिस्‍तान ने कोरोना का हवाला दे हाफ‍िज समेत कई आतंकियों को छोड़ा, साजिशें रचने में जुटे

पाकिस्‍तान ने कोरोना वायरस फैलने का हवाला देते हुए भारत विरोधी आतंकी संगठनों के गुर्गों को जेलों से रिहा कर दिया है। ये आतंकी अब भारत के खिलाफ साजिशें रचने में जुट गए हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 02 May 2020 04:21 PM (IST)Updated: Sat, 02 May 2020 07:04 PM (IST)
पाकिस्‍तान ने कोरोना का हवाला दे हाफ‍िज समेत कई आतंकियों को छोड़ा, साजिशें रचने में जुटे

इस्‍लामाबाद/नई दिल्‍ली, एएनआइ। एक ओर जहां दुनिया के तमाम मुल्‍कों में कोरोना वायरस से होने वाली मौतों के चलते त्राहिमाम की स्थिति है तो वहीं दूसरी ओर पाकिस्‍तान में आतंकी समूहों की इस महामारी ने 'पौ-बारह' (unexpected gift) कर दी है। समाचार एजेंसी एएनआइ की रिपोर्ट के मुताबिक, एफएटीएफ की कार्रवाई के डर से आतंकी समूहों के जिन गुर्गों को जेलों में बंद कर दिया गया था अब उन्‍हें कोरोना वायरस के जोखिम का हवाला देकर रिहा कर दिया गया है। पाकिस्‍तान ने खुद को FATF द्वारा ब्‍लैकलिस्‍ट किए जाने से बचने के लिए इन खूंखार आतंकियों को जेल में डाल दिया था। 

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रिपोर्ट के मुताबिक, लश्कर प्रमुख हाफिज सईद समेत ये आतंकी अब अपने घरों में आराम से रह रहे हैं और आतंकी हमलों की साजिश रच रहे हैं। बता दें कि पिछले महीने पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर बताया था कि लाहौर जेल के लगभग 50 कैदी कोरोना से संक्रमित पाए गए थे। इन परिस्थितियों ने पाकिस्तानी आतंकवादियों को रिहा किए जाने के लिए एक एंटीबायोटिक दवा का काम किया। मालूम हो कि एफएटीएफ ने पाकिस्‍तान को बिना कोई राहत दिए फ‍िलहाल ग्रे लिस्‍ट में रखा है। 

अगले महीने आतंकवादी समूहों की फंडिंग के मसले पर एफएटीएफ की समीक्षा बैठक है। ऐसे में जब पाकिस्‍तान में आतंकियों पर नकेल कसने के बजाए उन्‍हें रिहा किया जा रहा है और आतंकवाद को लेकर जमीनी हालात खतरनाक इशारा कर रहे हैं देखना यह होगा कि एफएटीएफ पाकिस्‍तान के खिलाफ अब क्‍या रुख अख्तियार करता है। यह भी देखना हो कि जब अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय का ध्‍यान कोरोना पर है पाकिस्‍तान ने इसका फायदा उठाते हुए आतंकियों को आजादी दे रखी है। 

गौर करने वाली बात यह है कि इन दिनों जम्‍मू-कश्‍मीर में आतंकी घटनाओं में तेजी से इजाफा देखा जा रहा है। पाकिस्‍तान प्रायोजित आतंकी इस भारतीय राज्‍य में आए दिन आतंकी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। यही नहीं पाकिस्‍तानी सेना आतंकियों की घुसपैठ कराने के मकसद से आए दिन सीमा पर गोलीबारी कर रही है। उक्‍त सारी बातें इस बात की ओर इशारा करती हैं कि पाकिस्‍तान का ध्‍यान महामारी से लड़ने के बजाए भारत में आतंकियों की घुसपैठ कराने पर ज्‍यादा केंद्र‍ित है। अभी कल ही पाकिस्‍तान के संघर्ष विराम उल्‍लंघन में भारतीय सेना के दो जवान शहीद हो गए। 

एएनआइ की रिपोर्ट के मुताबिक, बीते 18 अप्रैल को जम्‍मू-कश्‍मीर में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के तीन जवान शहीद भी हो गए थे। बीते एक हफ्ते में भारतीय सुरक्षा बलों पर हुए सिलसिलेवार तीन हमलों ने यह बात साबित कर दी है कि पाकिस्‍तान माहामारी के दौर में भी अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। बीते दिनों सेना प्रमुख मनोज मुंकद नरवाणे ने कहा था कि एक ओर भारत जहां दुनिया के मुल्‍कों की मदद के लिए उन्‍हें डॉक्‍टर और दवाएं भेज रहा है वहीं दूसरी ओर पाकिस्‍तान आतंकियों के निर्यात में जुटा है। 

वॉल स्ट्रीट जर्नल ने 20 अप्रैल को अपनी रिपोर्ट में पाकिस्‍तान के इसी चेहरे को बेनकाब करते हुए एक बड़ा खुलासा किया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि टेरर फंडिंग के मसले पर एफएटीएफ की जून में होने वाली समीक्षा बैठक से पहले ही पाकिस्‍तान ने अपनी आतंकियों की सूची से हजारों नाम हटा दिए हैं। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि पाकिस्‍तान ऐसा करके एफएटीएफ की आंखों में धूल झोंकने का काम किया है। न्‍यूयॉर्क स्थित एक रेगुलेटरी टेक्‍नोलॉजी कंपनी का कहना है कि मार्च महीने में ही पाकिस्‍तान ने 1,800 आतंकियों के नाम सूची से हटाए हैं। ऐसे में देखना लाजमी होगा कि एफएटीएफ पाकिस्‍तान के खिलाफ कोई सख्‍त फैसला लेता है या मूकदर्शक बनता है...???


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