Ayyman Al- Zawahiri: अयमान अल जवाहिरी की मौत के बाद उठ रहे कई सवाल, जानें आखिर क्या है भारत-अमेरिका कनेक्शन
काबुल में जहां जवाहिरी को मार गिराया गया उससे कुछ ही दूरी पर भारतीय दूतावास है। दिलचस्प बात यह है कि जवाहिरी का दूसरा अंतिम वीडियो संदेश बुर्का पहने उस भारतीय मुस्लिम युवती मुस्कान खान के समर्थन में था जिसने कर्नाटक में भगवाइयों के एक समूह को चुनौती दी थी।
इस्लामाबाद, एजेंसी। एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत से मिली सूचना के आधार पर अमेरिका ने अलकायदा के मुखिया अयमान अल जवाहिरी को पिछले दिनों मार गिराया था। समाचार एजेंसी आइएएनएस के मुताबिक, अभी तक इस बात की अटकलें लगाई जा रही हैं कि आखिर अमेरिका ने जवाहिरी को ढूंढा तो ढूंढा कैसे? द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार काबुल में जहां जवाहिरी को मार गिराया गया, उससे कुछ ही दूरी पर भारतीय दूतावास है। दिलचस्प बात यह है कि जवाहिरी का दूसरा अंतिम वीडियो संदेश बुर्का पहने उस भारतीय मुस्लिम युवती मुस्कान खान के समर्थन में था, जिसने बीते फरवरी में कर्नाटक में युवा भगवाइयों के एक समूह को चुनौती दी थी और उनके सामने अल्लाह-ओ-अकबर चिल्लाई थी।
संभावना है कि भारतीयों ने एनडीएस से जानकारी प्राप्त की हो
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार अफगानिस्तान की पूर्व जासूसी एजेंसी राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय (एनडीएस) के 82 प्रतिशत अधिकारियों को आइईए द्वारा विभिन्न मंत्रालयों में काम करने की अनुमति प्रदान की गई है। इनमें काफी भारतीय दूतावास में काम कर रहे हैं। वे भारतीय दूतावास के लिए सूचना के स्त्रोत हो सकते हैं क्योंकि एनडीएस और रा ने गनी के शासन के दौरान मिलकर काम किया था। संभावना है कि भारतीयों ने एनडीएस से जानकारी प्राप्त की हो और इसे अमेरिका से साझा किया हो। सवाल उठ रहा है कि एमक्यू 9 ड्रोन लांच करने के लिए किस एयरबेस का इस्तेमाल किया गया था।
उधर, पाकिस्तान ने हमले में किसी भी भूमिका से इन्कार किया है। सैन्य प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार ने कहा कि इस उद्देश्य के लिए पाकिस्तानी जमीन के उपयोग का कोई सवाल ही नहीं था। एक अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट ने दावा किया कि पायलट रहित विमान को संभवत: उत्तरी किर्गिस्तान के गांसी एयरबेस से लांच किया गया था। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार इसके अलावा ताजिकिस्तान में अयानी एयरबेस जिसे अमेरिका के क्वाड सहयोगी भारत द्वारा संचालित किया जाता है और उज्बेकिस्तान में सीआइए द्वारा संचालित के -2 बेस भी संभावित रूप से इस तरह के हमले को अंजाम देने के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं।
चूंकि एक साल पहले हटने के बाद से अफगानिस्तान में अमेरिका की जमीनी स्तर पर उपस्थिति शून्य थी तो अफवाहें यह भी हैं कि यह अंदर का काम भी हो सकता है। मीडिय रिपोर्ट के अनुसार, क्षेत्र के लिए अमेरिका के पूर्व प्वाइंट मैन जाल्मय खलीलजाद ने संकेत दिया है कि हक्कानी नेटवर्क और कंधारी समूह के बीच आंतरिक सत्ता संघर्ष के कारण अमेरिका को सूचना दी गई।
अयमान अल जवाहिरी की हत्या पर लेकर उठ रहे कई सवाल
इंस्टीट्यूट फार काउंटर-टेररिज्म इस संभावना से इंकार नहीं करता है कि कंधारी समूह ने अमेरिका के साथ खुफिया जानकारी साझा की होगी क्योंकि वे अलकायदा के साथ हक्कानी के गठबंधन को अफगानिस्तान को स्थिर करने के अपने प्रयासों के लिए एक खतरे के रूप में देखते हैं। बताया जाता है कि तालिबान के रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब कंधारी समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं और अपने लिए एक बड़ा स्थान बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने जुलाई के अंतिम सप्ताह में एक अभूतपूर्व कदम के साथ कतर की अघोषित यात्रा शुरू की। याकूब ने कथित तौर पर दोहा में कुछ अमेरिकी अधिकारियों से मुलाकात की। सवाल यह भी है कि कही 3.5 अरब डालर के फंड के लिए तालिबानी रक्षा मंत्री ने तो नहीं दी सूचना!
हेलफायर मिसाइलें दाग अमेरिका ने मार गिराया था जवाहिरी
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, अटकलें लगाई जा रही हैं कि उसने अमेरिका द्वारा जब्त किए गए अफगानिस्तान के 3.5 अरब डालर के फंड को जारी करने के सौदे के रूप में जवाहिरी के बारे में जानकारी लीक की होगी। टेलीग्राम पर एक तालिबान समर्थक चैनल 'अनफाल अफगान एजेंसी' ने दावा किया कि इस्लामिक स्टेट-खोरासन (आइएस-के) ने ईरान के सहयोग से जवाहिरी को खोजने में अमेरिका की मदद की हो सकती है। --
अमेरिका ने काबुल में एक सेफ हाउस में छिपे आतंकी जवाहिरी को 31 जुलाई को ड्रोन हमले में मार गिराया था। उस पर दो हेलफायर मिसाइलें दागी गई थीं। 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका स्थित वर्ल्ड ट्रेड टावर पर हमलों की साजिश जवाहिरी और ओसामा बिन लादेन ने मिलकर रची थी। लादेन