अमेरिका बोला, पाकिस्तान में बढ़ा आतंकवाद, अमेरिकी न करें वहां की यात्रा, लेवल-4 की चेतावनी जारी
अमेरिका ने अपने नागरिकों को उच्चतम स्तर यानी लेवल-4 की चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि आतंकवाद के कारण वे पाकिस्तान यात्रा की यात्रा से परहेज करें...
वाशिंगटन, एएनआइ। अमेरिका ने अपने नागरिकों को आतंकवाद के कारण पाकिस्तान यात्रा पर पुनर्विचार करने की सलाह दी है। साथ ही अमेरिका ने आतंकी समूहों की सक्रियता वाले बलूचिस्तान व खैबर पख्तूनख्वा प्रांत और नियंत्रण रेखा के नजदीक के इलाकों के लिए उच्चतम स्तर यानी लेवल-4 की यात्रा चेतावनी जारी की है।
अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से 31 जनवरी को जारी यात्रा परामर्श में कहा गया है कि बड़ी संख्या में हमलों की वजह से कई लोग हताहत हो चुके हैं और समूचे पाकिस्तान में आतंकवादी हमले होते रहते हैं। पाकिस्तान में सुरक्षा वातावरण की वजह से नागरिकों को आपातकालीन सेवाएं उपलब्ध कराने की सरकार की क्षमताएं भी सीमित हैं। यात्रा परामर्श के मुताबिक, 'आतंकवाद के कारण पाकिस्तान यात्रा पर पुनर्विचार करें।'
जारी बयान में कहा गया है कि कुछ इलाकों में खतरा ज्यादा है... आतंकवाद और अपहरण की वजह से बलूचिस्तान प्रांत और खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की यात्रा न करें, इनमें पूर्व संघ प्रशासित आदिवासी इलाके (एफएटीए) शामिल हैं। आतंकवाद और संभावित सशस्त्र संघर्ष की वजह से नियंत्रण रेखा के नजदीक भी जाने से बचें। भारत और पाकिस्तान की सेनाएं नियंत्रण रेखा पर समय-समय पर फायरिंग और गोलाबारी करती रहती हैं।
भारत-पाकिस्तान सीमा पर ऐसे नागरिकों के आने-जाने के लिए पंजाब प्रांत में सिर्फ एक ही आधिकारिक स्थान है बाघा (पाकिस्तान) और अटारी (भारत)... यात्रियों को सलाह दी जाती है कि वह यात्रा प्रारंभ करने से पहले सीमा पार करने के बारे में स्थिति पता कर लें। भारत में प्रवेश करने के लिए भारतीय वीजा आवश्यक है और सीमा पर वीजा सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं।
पिछले साल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी अमेरिका में यह बात कबूल की थी कि खूंखार आतंकी संगठन अल कायदा की ट्रेनिंग पाकिस्तान में ही दी गई थी। अमेरिकी थिंक टैंक काउिंसल ऑन फॉरन रिलेशंस (सीएफआर) में इमरान ने कहा था कि 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले से पहले अल कायदा के आतंकवादियों को पाकिस्तानी सेना और आइएसआइ ने प्रशिक्षण दिया था। उन्होंने यह भी कहा था कि इस हमले के बाद अमेरिका ने अपनी नीति तो बदल ली थी लेकिन पाकिस्तानी फौज बदलना नहीं चाहती थी।