कश्मीर पर UN में हार से बौखलाए PAK का अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के साथ खेला 'विक्टिम कार्ड' भी फेल
कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में हार से बौखलाए पाकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के साथ विक्टिम कार्ड खेलने की कोशिश की लेकिन इस पर भी पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी है।
नई दिल्ली, एएनआइ। जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाए आज 12 दिन बीत चुके हैं। पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ बयानबाजी तेज कर दी है। वह जम्मू-कश्मीर के आंतरिक मामले का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन पाकिस्तान की ये कोशिशें भारत की कूटनीति के आगे नाकाम हो जा रही हैं। कश्मीर मामले पर उसे हर मौके पर सिर्फ हार का सामना करना पड़ रहा है। जिससे कहीं ना कहीं पाकिस्तान बौखलाहट में है।
सुरक्षा परिषद में हार के बाद पाकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के सामने विक्टिम कार्ड खेलने की कोशिश की। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने पाकिस्तान की मीडिया को गंभीरता से नहीं लिया है। जम्मू कश्मीर से जुड़ी फेक तस्वीरों और घटिया वीडियो दिखाकर पाकिस्तान पीड़ित कार्ड खेलने की कोशिश कर रहा है। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय मीडिया को जम्मू और कश्मीर में भारत द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन के पाकिस्तान के आरोपों पर पूरा संदेह है।
पाकिस्तान का 'विक्टिम कार्ड' फेल
वाल स्ट्रीट में प्रकाशित एक लेख में पत्रकार सदानंद धूमे ने लिखा है,'पाकिस्तानी सेना का पत्रकारों के साथ जर्जर व्यवहार, अल्पसंख्यक बलूचों और पश्तूनों का प्रतिनिधित्व करने वाले विपक्षी नेता का ढीला रवैया- इन सबको देखने पर पाकिस्तान का यह तर्क देना मुश्किल है कि कश्मीरी पाकिस्तान में बेहतर होंगे।'
पत्रकार सदानंद धूमे आगे लिखते हैं कि पाकिस्तान ने लंबे समय से कश्मीर को अपनी विदेश नीति का एक केंद्रीय मुद्दा बनाया है। लेकिन वह कश्मीर पर भारत को मजबूर करने के लिए भारत और अफगानिस्तान में जिहादी समूहों का समर्थन कर रहा है और ऐसा कर वो अपनी अर्थव्यवस्था की उपेक्षा भी कर रहा है। पाकिस्तान, किसी भी हाल में कश्मीर मामले पर भारत से बराबरी करना चाहता है और वो ऐसा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। इसी तरह का एक लेख न्यूयॉर्क टाइम्स के पत्रकार मारिया अबी-हबीब ने भी लिखा है। उन्होंने लिखा जैसै कि पाकिस्तान ने पिछले दिनों अपना स्वतंत्रता दिवस मनाया। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था टूटनी की कगार पर है और इसके अंतर्राष्ट्रीय सहयोगी या तो चुप रह गए हैं। ये स्थिति पाकिस्तान का हाल बयां कर रही है।
प्रायोजित आतंकवाद के समर्थन के आरोप
पाकिस्तान, बलूचिस्तान में मानव अधिकार उल्लंघन और अफगानिस्तान और भारत में आतंकवाद को प्रायोजित करता है, यह बात किसी से छिपी नहीं है। हाल ही में इमरान खान ने खुद अमेरिका में एक पत्रकार के सामने स्वीकार किया था कि उनके देश में 30,000-40,000 आतंकवादी हैं।पाकिस्तान की लंबे समय से नीति है कि वह जिहादी समूहों का समर्थन करके भारत और अफगानिस्तान में विशेष रूप से पड़ोसी देशों में अशांति और तनाव पैदा करे। चीन को छोड़कर, जिनका पाकिस्तान के साथ लेन-देन का संबंध है, महत्वपूर्ण समर्थन वाला एक भी देश पाकिस्तान का समर्थन करने के लिए आगे नहीं आया है।
UN में नहीं मिला समर्थन
संयुक्त राष्ट्र में पांच स्थायी सदस्यों में से चार ने भारत के फैसले पर पाकिस्तान का समर्थन नहीं किया। इसका ताजा उदाहरण इमरान खान का हालिया अमेरिका दौरा है। जहां उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप के साथ दोस्ती बात कही लेकिन अमेरिका इस मामले पर उसके साथ नहीं आया। इतना ही नहीं खान के साथ फोन पर बातचीत के दौरान ट्रम्प ने स्पष्ट किया कि कश्मीर मुद्दे को भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय बातचीत के माध्यम से हल किया जाना चाहिए।
एक ताजा उदाहरण इमरान खान पिछले महीने वाशिंगटन डीसी की अपनी अत्यधिक प्रचारित यात्रा के बावजूद संयुक्त राज्य अमेरिका का समर्थन पाने में असफल रहे, जहां उन्होंने राष्ट्रपति ट्रम्प के साथ दोस्ती की बाक कही थी। रूस, भारत का समर्थन करने वाला पहला UNSC सदस्य बन गया। रूस ने कहा कि भारत की जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने की कार्रवाई, उसका आंतरिक मामला है और यह उसके संवैधानिक ढांचे के तहत थी।