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पाकिस्तान में 200 साल पुराना गुरुद्वारा सिखों को सौंपा गया, 70 साल से था सरकार के कब्जे में

क्वेटा शहर में मस्जिद रोड पर स्थित श्री गुरु सिंह गुरुद्वारे को बुधवार को प्रार्थना और धार्मिक आयोजनों के लिए सिख समुदाय को सौंप दिया गया।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Thu, 23 Jul 2020 07:35 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jul 2020 07:35 PM (IST)
पाकिस्तान में 200 साल पुराना गुरुद्वारा सिखों को सौंपा गया, 70 साल से था सरकार के कब्जे में
पाकिस्तान में 200 साल पुराना गुरुद्वारा सिखों को सौंपा गया, 70 साल से था सरकार के कब्जे में

कराची, प्रेट्र। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में 200 साल पुराने गुरुद्वारे को पूजा-अर्चना के लिए अब सिख समुदाय के हवाले कर दिया गया है। यह गुरुद्वारा बीते करीब 70 साल से सरकार के कब्जे में था और वहां पर एक हाईस्कूल चल रहा था। सिख समुदाय की लंबे समय से चली आ रही मांग के बाद सरकार ने कुछ महीने पहले गुरुद्वारा की इमारत को खाली कराया, उसकी मरम्मत कराई और अब उसे सिख समुदाय को सौंप दिया है।

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सरकारी सूत्रों के अनुसार क्वेटा शहर में मस्जिद रोड पर स्थित श्री गुरु सिंह गुरुद्वारे को बुधवार को प्रार्थना और धार्मिक आयोजनों के लिए सिख समुदाय को सौंप दिया गया। इस गुरुद्वारे की इमारत पिछले 73 साल से लड़कियों के हाईस्कूल के लिए इस्तेमाल हो रही थी।

बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री के अल्पसंख्यक मामलों के सलाहकार और राज्य विधानसभा के सचिव दिनेश कुमार ने बताया है कि गुरुद्वारे को प्रार्थना और धार्मिक आयोजनों के लिए तैयार कर सिख समुदाय को सौंपा गया है।

सिख समुदाय की भावनाओं का किया सम्मान

कुमार ने बताया है कि 14 हजार वर्गफीट क्षेत्रफल में बनी इस गुरुद्वारे की इमारत का बाजार मूल्य अरबों रुपये है। लेकिन बलूचिस्तान सरकार ने सिख समुदाय की भावना का सम्मान करते हुए गुरुद्वारे की इमारत को देने में संकोच नहीं किया। जिन लड़कियों की पढ़ाई इसमें चल रहे स्कूल में होती थी, उनका दाखिला नजदीक के स्कूलों में करा दिया गया है।

सिख समुदाय ने कहा, उपहार देने जैसा काम किया सरकार ने

बलूचिस्तान में सिख समुदाय के प्रमुख सरदार जसबीर सिंह ने कहा है कि गुरुद्वारे को तैयार कराकर उसे सरकार का हमें देना, उपहार देने जैसा है। बलूचिस्तान में रहने वाले करीब दो हजार सिख परिवारों के लिए इस प्राचीन गुरुद्वारे का बहुत ज्यादा महत्व है। इससे पहले 2019 में प्रांतीय सरकार ने 200 साल पुराने एक मंदिर को हिंदू समुदाय को सौंपा था।


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