अातंकी हाफिज सईद अौर मसूद अजहर के संगठन को मदद करने वाले अब जाएंगे जेल
जब से अमेरिका ने दी जाने वाली आर्थिक मदद को रोकने का फैसला लिया है, तब से पाकिस्तान हड़बड़ाया हुआ है।
इस्लामाबाद, प्रेट्र। अमेरिका का पाकिस्तान पर दबाव साफ-साफ दिखाई दे रहा है। जब से अमेरिका ने दी जाने वाली आर्थिक मदद को रोकने का फैसला लिया है, तब से पाकिस्तान हड़बड़ाया हुआ है। पाकिस्तान ने कुछ संगठनों को प्रतिबंधित कर दिया था।
अब इस मामले में नया फैसला लिया गया है। पाकिस्तान में प्रतिबंधित संगठनों को चंदा देने वालों को अब 10 साल तक की कैद या एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकेगा। यही नहीं चंदा देने वालों की चल या अचल संपत्ति भी जब्त की जा सकेगी। इन संगठनों में हाफिज सईद के जमात उद दावा, फलाह ए इंसानियत व लश्कर ए तैयबा; और मसूद अजहर के जैश ए मोहम्मद समेत 72 संगठन शामिल हैं।
पाकिस्तान के सभी प्रमुख स्थानीय समाचार पत्रों में शनिवार को उर्दू में यह चेतावनी प्रकाशित की गई। इसमें सभी संगठनों के नाम भी दिए गए हैं। विज्ञापन के मुताबिक, पाकिस्तान के आतंक निरोधी कानून-1997 और 1948 के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद कानून के तहत ऐसे संगठनों को वित्तीय मदद मुहैया कराना अपराध हैं जिन पर प्रतिबंध लगाया गया है या जिन्हें निगरानी सूची में रखा गया है। पाकिस्तान की वित्तीय नियामक निकाय के मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के संगठन जमात-उ-दावा और फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन के चंदा वसूलने पर रोक लगा दी थी।
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आरोप लगाया था कि पाकिस्तान ने अमेरिका को झूठ और धोखे के सिवाय कुछ नहीं दिया और आतंकवादियों को सुरक्षित पनाह उपलब्ध कराता रहा। इसके बाद पाकिस्तान ने सोमवार को कई संगठनों के चंदा एकत्रित करने पर प्रतिबंध लगा दिया था। पाकिस्तान के इस कदम को अमेरिकी दबाव का ही नतीजा माना जा रहा है।
इन सब का असर हाफिज सईद पर भी दिख रहा है। हाफिज सईद बौखला गया है। इसी बौखलाहट में हाफिज सईद ने पाकिस्तान के रक्षा मंत्री पर मानहानि का कानूनी नोटिस जारी किया था। इस नोटिस में कहा गया था, 'आपको (मंत्री खुर्रम दस्तगीर) मेरे क्लाइंट (सईद) को 14 दिनों के भीतर लिखित माफी भेजनी होगी और भविष्य में सावधानी बरतने का वादा करना होगा कि आगे से आप ऐसा कुछ नहीं कहेंगे। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 500 के तहत आपराधिक मुकदमे में 2 साल तक की सजा हो सकती है।'
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