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S-400 vs THAAD: भारतीय सेना के लिए क्‍यों खास है रूसी S-400 मिसाइल सिस्‍टम, जानें- अमेरिकी THAAD से कैसे है श्रेष्‍ठ

S-400 vs THAAD आइए इस कड़ी में हम जानते हैं कि अमेरिकी थाड और रूसी एस-400 की तुलना में किसमें कितना दम है। भारत ने एस-400 को प्राथमिकता क्‍यों दी। इसके अलावा यह जानेंगे कि अमेरिका में प्रतिबंध लगाने वाले कानून कितने सख्‍त हैं।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Sun, 24 Jul 2022 08:54 AM (IST)Updated: Sun, 24 Jul 2022 09:07 AM (IST)
S-400 vs THAAD: भारतीय रक्षा प्रणाली के लिए क्‍यों खास है S-400 मिसाइल सिस्‍टम। एजेंसी।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। S-400 vs THAAD: एक बार फ‍िर रूसी मिसाइल सिस्‍टम S-400 की आपूर्ति को लेकर भारत और अमेरिका के संबंधों की चर्चा जोरों पर हैं। रूस यूक्रेन के बीच भारत और अमेरिका के संबधों में थोड़ा खिंचाव देखा गया है। ऐसे में S-400 मिसाइल को लेकर दोनों देशों के संबंधों में दरार का अंदेशा लगाया जा रहा है। अमेरिका, भारत-रूस के इस रक्षा डील से शुरू से खफा रहा है। ऐसे में यह मामला और भी गरम हो जाता है। हालांकि, अमेरिकी संसद में भारत समर्थक एक लाबी इस रक्षा डील का समर्थन कर रही है। दरअसल, अमेरिका अपनी थाड (THAAD) मिसाइल की डील भारत से करना चाहता था, लेकिन उसने रूसी मिसाइल S-400 डिफेंस मिसाइल सिस्‍टम को ज्‍यादा उपयुक्‍त पाया। इसको लेकर भी अमेरिका की बड़ी नाराजगी है। आइए इस कड़ी में हम जानते हैं कि अमेरिकी थाड और रूसी एस-400 की तुलना में किसमें कितना दम है। भारत ने एस-400 को प्राथमिकता क्‍यों दी।

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अमेरिकी THAAD सिस्टम vs रूसी S-400 मिसाइल सिस्‍टम

1- भारत ने रूस से अत्याधुनिक S-400 मिसाइल खरीद का समझौता किया है। इस करार के समय अमेरिका ने भी रूसी एस-400 के विकल्प की पेशकश की थी। अमेरिका ने रूसी S-400 के विकल्प के रूप में भारत को टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD) और पैट्रियट एडवांस कैपेबिलिटी (पीएसी-3) की पेशकश की है। दरअसल, अमेरिका चाहता है कि भारत रूसी तकनीक से दूर रहे और तमाम अत्याधुनिक हथियारों और मिसाइलों को वो अमेरिकी से ही खरीदे।

2- S-400 और थाड THAAD दोनों ही एयर डिफेंस मिसाइल प्रणाली हैं, लेकिन दोनों की मारक क्षमता में काफी अंतर है। S-400 जहां कई स्तर की रक्षा प्रणाली पर काम करती है, वहीं THAAD सिंगल लेयर डिफेंस प्रणाली है। इन दोनों मिसाइल प्रणालियों को एक-दूसरे की टक्कर का माना जाता है। रूस के S-400 मिसाइल प्रणाली की सबसे बड़ी खासियत है कि यह करीब 400 किलोमीटर के क्षेत्र में दुश्मन के विमान, मिसाइल और यहां तक कि ड्रोन को भी नष्ट करने में सक्षम है। इसे सतह से हवा में मार करने वाली दुनिया की सबसे सक्षम मिसाइल प्रणाली माना जाता है।

इस मिसाइल प्रणाली की क्षमता का इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि यह अमेरिका के सबसे उन्नत फाइटर जेट F-35 को भी गिराने की काबिलियत रखता है। इस रक्षा प्रणाली से विमानों सहित क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों और जमीनी लक्ष्यों को भी निशाना बनाया जा सकता है। इसके अलावा इसकी खूबी यह है कि इस मिसाइल प्रणाली में एक साथ तीन मिसाइलें दागी जा सकती हैं और इसके प्रत्येक चरण में 72 मिसाइलें शामिल हैं, जो 36 लक्ष्यों पर सटीकता से मार करने में सक्षम हैं।

3- अमेरिका की थाड THAAD मिसाइल प्रणाली की बात करें तो यह मध्यम रेंज की बैलिस्टिक मिसाइलों को उनकी उड़ान के शुरुआती दौर में ही गिराने में सक्षम होती है। यह प्रणाली 'हिट टू किल' तकनीक पर कार्य करती है। यह सामने से आ रहे हथियार को रोकती नहीं बल्कि नष्ट कर देती है। यह दो सौ किलोमीटर की दूरी तक और 150 किलोमीटर की ऊंचाई तक मार करने में सक्षम है। थाड डिफेंस प्रणाली के जरिए करीब 200 किलोमीटर की दूरी तक और 150 किलोमीटर की ऊंचाई तक किसी भी टारगेट को पलक झपकते ही खत्म किया जा सकता है। इस तकनीक में मौजूद मजबूत रडार सिस्टम आस-पास की मिसाइल को उसकी लांचिंग स्टेज में ही पकड़ लेता है और निशाने का शुरुआत में ही खात्मा कर देता है। थाड प्रणाली से एक बार में आठ एंटी मिसाइल दागी जा सकती हैं।

भारत के लिए एस-400 इसलिए है खास

S-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली सुरक्षा की दृष्टि से भारत के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण है। भारत के लिए S-400 की तैनाती का मतलब है कि जब पाकिस्तानी विमान अपने हवाई क्षेत्र में उड़ रहे होंगे तब भी उन्हें आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा। इसके अलावा युद्ध की स्थिति में इस मिसाइल प्रणाली को सिर्फ पांच मिनट में सक्रिय किया जा सकता है। इसे भारतीय वायुसेना संचालित करेगी और इससे देश के हवाई क्षेत्र में सुरक्षा को सुदृढ़ किया जा सकेगा।

किन मुल्‍कों के पास है ये रक्षा प्रणाली

दुनिया में कई मुल्‍कों के पास यह मिसाइल रक्षा प्रणाली है। अमेरिका के अलावा यह सिस्‍टम रूस के पास है। यह मिसाइल रूस की राजधानी मास्‍को और कुछ अन्‍य प्रमुख शहरों में तैनात है। रूस में इसे 1995 में तैनात किया गया। इसके अलावा फ्रांस, ब्रिटेन और इटली के पास भी इस प्रकार के रक्षा प्रणाली हैं। इन मुल्‍कों के पास इंटरसेप्टर/किलर मिसाइलें हैं। चीनी सेना पीएलए ने वर्तमान में एंटी बैलिस्टिक मिसाइलों की श्रृंखला विकसित की है। इजरायल के पास अपने प्रक्षेपास्त्र प्रणाली का उपयोग करके छोटी से लंबी दूरी की मिसाइलों के लिए एक राष्ट्रीय मिसाइल रक्षा प्रणाली है। चीन के खतरे को देखते हुए ताइवान भी एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली के विकास में भी तत्‍पर है। दक्षिण कोरिया ने THAAD सिस्टम को तैनात करने की घोषणा की है। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने 2015 में फोर्ट ब्लिस में अपनी पहली दो अमेरिकी टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एयर डिफेंस (टीएचएएडी) यूनिट हासिल की है। जापान में ग्राउंड सेल्फ डिफेंस फोर्स (JGSDF) ने फोर्ट ब्लिस में हाक प्रणाली और मिसाइल प्रशिक्षण के अपने 54 वें वर्ष की शुरुआत की।


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