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गरीब देशों में वैक्सीन पहुंचाएगा डब्ल्यूएचओ, फाइजर के साथ किया 4 करोड़ डोज का सौदा

डब्ल्यूएचओ ने फाइजर/बायोएनटेक वैक्सीन की 40 करोड़ डोज के साथ-साथ सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड वैक्सीन की 10 करोड़ खुराक के लिए भी करार किया है। इसके तहत वैक्सीन साल की पहली तिमाही में वितरण के लिए उपलब्ध होगी।

By Manish PandeyEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 09:10 AM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 09:10 AM (IST)
गरीब देशों में वैक्सीन पहुंचाएगा डब्ल्यूएचओ, फाइजर के साथ किया 4 करोड़ डोज का सौदा
कोवेक्स ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से 10 करोड़ टीके के लिए समझौता किया है।

जिनेवा, एएनआइ। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शुक्रवार को घोषणा करते हुए कहा कि वह अपने कोवेक्स पहल (COVAX) के तहत गरीब देशों में अगले महीने से कोरोना की वैक्सीन भेजेगा। इसके लिए उसने कोविड-19 वैक्सीन की 40 मिलियन (4 करोड़) डोज के लिए फाइजर/बायोएनटेक के साथ एक समझौता किया है। बता दें कि यह पहल विभिन्न देशों को टीकों तक शुरुआती पहुंच कायम के लिए उन्हें विकसित करने में निवेश करने तथा विकासशील देशों को वित्तीय मदद पहुंचाने की व्यवस्था प्रदान करती है।

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कोवेक्स का सह-नेतृत्व विश्व स्वास्थ्य संगठन और गावी (वैक्सीन और टीकाकरण के लिए वैश्विक एलायंस) द्वारा किया जाता है। फाइजर/बायोएनटेक वैक्सीन को डब्ल्यूएचओ से आपातकालीन उपयोग की मंजूरी मिली थी। डब्ल्यूएचओ की एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, कम आय वाले देशों को टीके की उपलब्धता और कोरोना महामारी के बचाव में मदद करना इसका काम है।

कोवेक्स ने यह भी पुष्टि की है कि वह ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड वैक्सीन के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से अपनी पहली 100 मिलियन (10 करोड़) खुराक के लिए एक करार किया है। इसके तहत वैक्सीन साल की पहली तिमाही में वितरण के लिए उपलब्ध होगी।

कोवेक्स खरीद और वितरण का नेतृत्व करने वाली संस्था गावी के सीइओ डॉ. सेठ बार्कले ने कहा कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन का सफल समझौता कोवेक्स के लिए एक और मील का पत्थर साबित हुआ है। हमें आशा है कि जीवन रक्षक कोरोना वैक्सीन की डिलीवरी फरवरी के अंत तक शुरू हो जाएगी। यह महामारी को हराने के लिए वैश्विक प्रयासों के तहत एक बड़ा कदम है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेबरेसर्स ने कहा, 'टीकों का तत्काल और न्यायसंगत रोलआउट केवल एक नैतिक अनिवार्यता नहीं है, बल्कि यह एक स्वास्थ्य सुरक्षा, रणनीतिक और आर्थिक अनिवार्यता भी है। फाइज़र के साथ यह समझौता लोगों का जीवन बचाने, स्वास्थ्य प्रणालियों को स्थिर करने और वैश्विक आर्थिक सुधार को चलाने में सक्षम बनाने में मदद करेगा।'


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