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तालिबानी व्‍यवस्‍था में क्‍या होगी महिलाओं की स्थिति, जानें अफगान में आधी आबादी को कौन-कौन सा मिलेगा हक

तालिबान के प्रवक्ता ने अपने एक साक्षात्‍कार में कहा कि अफगानिस्‍तान में आने वाली सरकार में महिलाओं को काम करने और पढ़ाई करने की आजादी देगी। शाहीन ने तालिबानी शासन के अंतर्गत न्यायपालिका शासन और सामाजिक व्यवस्था पर भी रोशनी डाली।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Mon, 16 Aug 2021 07:58 PM (IST)Updated: Mon, 16 Aug 2021 08:06 PM (IST)
तालिबानी व्‍यवस्‍था में क्‍या होगी महिलाओं की स्थिति, जानें अफगान में आधी आबादी को कौन-कौन सा मिलेगा हक
तालिबानी व्‍यवस्‍था में क्‍या होगी महिलाओं की स्थिति। फाइल फोटो।

काबुल, एजेंसी। काबुल में तालिबान के प्रभुत्‍व के साथ अफगानिस्‍तान में महिलाओं की चिंता बढ़ गई है। अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर भी उनके हालात पर चिंता जताई जा रही है कि तालिबान शासन आने के बाद अफगानिस्‍तान में महिलाओं पर क्‍या असर पड़ेगा। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश से लेकर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेश ने महिलाओं की स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की है। इसी बीच तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने तालिबानी शासन में महिलाओं के जीवन को लेकर जताई गई चिंताओं पर अपना पक्ष रखा है।

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तालिबानी शासन व्‍यवस्‍था में महिलाएं भी न्यायाधीश बन सकेंगी

तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने अपने एक साक्षात्‍कार में कहा कि अफगानिस्‍तान में आने वाली सरकार में महिलाओं को काम करने और पढ़ाई करने की आजादी देगी। शाहीन ने तालिबानी शासन के अंतर्गत न्यायपालिका, शासन और सामाजिक व्यवस्था पर भी रोशनी डाली। इस सवाल पर क्‍या कि तालिबानी शासन में मह‍िलाएं जज बन सकेंगी। इस पर उन्‍होंने कहा कि तालिबानी शासन व्‍यवस्‍था में महिलाएं भी न्यायाधीश बन सकेंगी। उन्‍होंने कहा कि महिलाओं को सहयोग देने का काम मिल सकता है। प्रवक्‍ता ने कहा कि उन्हें और क्या काम मिल सकता है, ये भविष्य की सरकार पर निर्भर करेगा।

महिलाओं को पिछली सरकार से बेहतर स्थितियां मिलेंगी

उन्‍होंने कहा कि महिलाएं इस्लामिक कानून के अनुसार सब कुछ कर सकती हैं। उन्‍होंने जोर देकर कहा कि अतीत में भी महिलाओं को अकेले सड़क पर चलते देखा जा सकता था। इसके पूर्व तालिबान शासन में महिलाओं को घर से बाहर जाने के लिए किसी पुरुष जैसे अपने पिता, भाई या पति की जरूरत पड़ती थी। महिलाओं को घर से अकेले निकलने पर धार्मिक पुलिस द्वारा पीटा जाता था। प्रवक्‍ता ने कहा कि महिलाओं को भयभीत होने की जरूरत नहीं है। उन्‍होंने कहा कि हम उनकी इज्‍जत, संपत्ति, काम एवं पढ़ाई करने के अधिकार की रक्षा करने के लिए समर्पित हैं। प्रवक्‍ता ने कहा कि महिलाओं को चिंता करने की जरूरत नहीं है। उन्हें काम करने से लेकर पढ़ाई करने के लिए पिछली सरकार से बेहतर स्थितियां मिलेंगी।

इस्लामिक कानून, धार्मिक फॉरम और कोर्ट तय करेंगे सजा

सार्वजनिक रूप से मृत्यु दंड देने, पत्थरों से मारने की प्रथा और हाथ-पैर काटने जैसी सजा देने पर उन्‍होंने कहा कि चूंकि यह एक इस्लामिक सरकार है, ऐसे में ये सब इस्लामिक कानून, धार्मिक फॉरम और कोर्ट द्वारा तय होंगे। सजा के बारे में फैसला करने का अधिकार अदालत को होगा। इसके पूर्व एक अन्य तालिबानी प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने भी इसी मुद्दे पर कहा था कि ये मामला इस्लामिक कानून से जुड़ा है। मुजाहिद ने कहा था कि यह शरियत से जुड़ा मामला है। उन्‍होंने कहा कि हम शरीयत के सिद्धांतों को नहीं बदल सकते हैं।


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