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मेल-जोल बढ़ाने से डिमेंशिया से मिलती है राहत, शोध में सामने आई बात

डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति की याददाशत कमजोर हो जाती है। वे अपने दैनिक कार्य ठीक से नहीं कर पाते। कभी-कभी वे यह भी भूल जाते हैं कि वे किस शहर में हैं, या कौन सा साल या महीना चल रहा है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 31 Jul 2018 12:56 PM (IST)Updated: Tue, 31 Jul 2018 01:05 PM (IST)
मेल-जोल बढ़ाने से डिमेंशिया से मिलती है राहत, शोध में सामने आई बात
मेल-जोल बढ़ाने से डिमेंशिया से मिलती है राहत, शोध में सामने आई बात

लंदन, प्रेट्र। सामाजिक मेल-जोल बढ़ाने के लिए मात्र 10 मिनट देने से डिमेंशिया के मरीज को राहत मिल सकती है। यह बात एक नवीन में सामने आई है। इसमें बताया गया है कि इन मरीजों को केयर होम स्टाफ रोजाना औसतन दो मिनट ही दे पाता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, न केवल इस समय में बल्कि स्टाफ के व्यवहार में सुधार के लिए उनके दबाव को भी कम करने की जरूरत है, जिससे वे कार्य को बेहतर ढंग से अंजाम दे सकें।

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क्‍या कहते हैं शोधकर्ता

शोधकर्ताओं के मुताबिक, हमारा बताता है कि नर्सिग होम स्टाफ के लिए चलाए जा रहे 170 ट्रेनिंग प्रोग्रामों में से केवल तीन ही साक्ष्यों पर आधारित हैं, जबकि इनमें से कोई भी मरीज के जीवन की गुणवत्ता में सुधार नहीं लाता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि केयर होम स्टाफ को डिमेंशिया के मरीजों से सार्थक सामाजिक संपर्क बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित करने वाला एक ई-लर्निग प्रोग्राम निरंतर अच्छा काम कर रहा है। द वेलबींग एंड हेल्थ फॉर पीपुल विद डिमेंशिया (डब्ल्यूएचईएलडी) प्रोग्राम केयर होम स्टाफ को मरीजों से दिन में दो मिनट से 10 मिनट तक सामाजिक संपर्क बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित कर रहा है। इसमें ये स्टाफ मरीजों के घर पर जाकर उनसे बातचीत करता है, जिनका विषय मरीजों की रुचि का कोई क्षेत्र होता है।

280 लोगों और केयर स्टाफ शामिल 

ब्रिटेन स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर और किंग्स कॉलेज लंदन के द्वारा करवाए गए इस में 280 लोगों और केयर स्टाफ को शामिल किया गया। यह नौ माह तक चला। केयर स्टाफ डब्ल्यूएचईएलडी ट्रेनिंग पर आधारित ई-लर्निग प्रोग्राम से जुड़े हुए थे। किंग्स कॉलेज लंदन के जोएएन मैकडर्मिड कहते हैं, केयर होम स्टाफ बहुत ही दबाव में होते हैं। यह एक कठिन जॉब है। डिमेंशिया के कारण घर पर रह रहे व्यक्ति और स्टाफ के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण माहौल होता है। के दौरान हमने पाया कि कुछ चीजों में बदलाव करके डिमेंशिया की मरीजों को राहत पहुंचाई जा सकती है।

कैसा हो व्‍यवहार

मसलन, यदि उनसे संपर्क स्थापित करने वाले केयर स्टाफ का व्यवहार बेहतर हो और वह अधिक समय दे तो मरीज के लिए बेहतर होगा। इसके अलावा केयर स्टाफ के दबाव को भी कम किया जाना चाहिए ताकि वह अपने टास्क को बेहतर तरीके से अंजाम दे सके। इससे बेहतर परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।

क्या है डिमेंशिया

डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति की याददाशत कमजोर हो जाती है। वे अपने दैनिक कार्य ठीक से नहीं कर पाते। कभी-कभी वे यह भी भूल जाते हैं कि वे किस शहर में हैं, या कौन सा साल या महीना चल रहा है। साल दर साल डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति की स्थिति अधिक खराब होती जाती है, और बाद की अवस्था में उन्हें साधारण से साधारण काम में भी परेशानी होने लगती है। जैसे कि चल पाना, बात करना या खाना ठीक से चबाना और निगलना। उपचार से मरीज को लाभ हो सकता है, लेकिन उसे पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता।


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