पश्चिम अफ्रीकी में मस्जिदों में नमाज की इजाजत, बढ़ सकता है कोरोना का खतरा
यहां के देशों में चिकीत्सीय सेवाएं पर्याप्त नहीं हैं ऐसे में यहां सार्वजनिक सभाओं की इजाजत देने से कोरोना का प्रकोप और ज्यादा देखने को मिल सकता है।
डैकर, एपी। रमजान के पाक महीने में कई देशों में नमाज के लिए मस्जिदें खोल दी गई हैं ताकि वहां जाकर लगो इबादत कर सकें। वेस्ट अफ्रीका में भी रमजान के दौरान लोगों को मस्जिद में जाकर नमाज पढ़ने की इजाजत दे दी गई है लेकिन इसके साथ ही कोरोना का खतरा भी बढ़ गया है। यहां के देशों में चिकीत्सीय सेवाएं पर्याप्त नहीं हैं ऐसे में यहां सार्वजनिक सभाओं की इजाजत देने से कोरोना का प्रकोप और ज्यादा देखने को मिल सकता है।
वेस्ट अफ्रीका के रहने वाले अब्दुर्रहमान सल्ल (Abdourahmane Sall) के लिए भी रमजान उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितने अन्य मुसलमानों के लिए लेकिन कोरोना संकट के चलते वो मस्जिद ना जाकर घर पर ही नमाज पढ़ते हैं। उन्होंने कुछ दिन पहले ही निर्णय लिया कि वो मस्जिद में जाकर हजारों लोगों के साथ नमाज पढ़ने के बजाय घर पर ही नमाज अता करेंगे। हालांकि यहां मस्जिदों में नमाज के दौरान तमाम तरह के एहतियात बरते जाते हैं जैसे लोग मस्जिद में प्रवेश से पहले अपने हाथों को सेनिटाइज करते हैं, मस्जिद के अंदर 1.5 मीटर की दूरी रखी जाती है और लोग मस्जिदों में एक साथ प्रवेश ना करके लाइन से आते हैं। इस सबके बावजूद अब्दुर्रहमान का मानना है कि इन सब एहतियातों के बाद भी हम वायरस से छुपे नहीं हैं।
अब्दुर्रहमान सल्ल एक 58 वर्षीय टेलर हैं उन्होंने कहा कि यदि हम विश्व स्वास्थ संगठन द्वार बताए गए एहतियात बरतते हैं तो भागवान हमें सुरक्षित रखेगा। संगठन पहले ही चेतावनी दे चुका है कि कोरोना वायरस के कारण पहले साल में 190,000 अफ्रीकियों की जान जा सकती है। लेकिन पश्चिमी अफ्रीकी देशों में मस्जिदों को बंद रख पाना काफी मुश्किल हो रहा है। रमजान में कई लोगों का कहना है कि नमाज इस वक्त सबसे ज्यादा जरूरी है। लोगों के इकट्ठा होने को लेकर चेतावनी दिए जाने के बावजूद कई अफ्रीकी देशों में रमजान के दौरान मस्जिदें खोल दी गई हैं।