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2020 Nobel Prize: हेपेटाइटिस सी वायरस खोजने वाले तीन वैज्ञानिकों को मिला नोबल पुरस्कार

2020 Nobel Prize दो अमेरिकी और एक ब्रिटिश वैज्ञानिक को मेडिसीन क्षेत्र में उल्लेखनीय काम के लिए नोबल पुरस्कार का सम्मान दिया गया है। इन तीनों ने मिलकर हेपेटाइटिस सी वायरस का पता लगाया है जिससे हर साल दुनिया भर में 4 लाख मौतें होती हैं।

By Monika MinalEdited By: Published: Mon, 05 Oct 2020 03:55 PM (IST)Updated: Mon, 05 Oct 2020 05:44 PM (IST)
2020 Nobel Prize: हेपेटाइटिस सी वायरस खोजने वाले तीन वैज्ञानिकों को मिला नोबल पुरस्कार
हेपेटाइटिस सी वायरस का पता लगाने वाले तीन वैज्ञानिकों को मिला नोबल पुरस्कार

स्टॉकहोम, एपी। 2020 नोबल पुरस्कार की शुरुआत सोमवार से हो गई है। अमेरिकी हार्वे जे आल्टर (Harvey J. Alter), चार्ल्स एम राइस (Charles M. Rice) और ब्रिटिश वैज्ञानिक माइकल हॉटोन (British scientist Michael Houghton) को हेपेटाइटिस सी वायरस (hepatitis C virus) की खोज के लिए नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। मेडिसीन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए इन्हें इस सम्मान से नवाजा गया है।

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नोबल प्राइज के ट्विटर हैंडल पर यह पोस्ट किया गया है कि इतिहास में पहली बार हेपेटाइटिस सी वायरस का इलास अब संभव हो गया है। 2020 मेडिसीन अवार्ड विजेता की खोज से इस वायरस के कारणों के बारे में पता चल पाया है और इसके कारण अब नई दवाईयों और ब्लड टेस्ट संभव होंगे जिससे लाखों लोगों का इलाज हो सकेगा। 

स्टॉकहोम में पुरस्कार का ऐलान

सोमवार को स्टॉकहोम में पुरस्कार का ऐलान किया गया। नोबल कमेटी ने उल्लेख किया कि तीनों वैज्ञानिकों का यह काम  रक्तजनित हेपेटाइटिस के बड़े स्रोत के बारे में विस्तार से जानकारी मुहैया कराने में मदद करता है जो हिपेटाइटिस ए और बी से नहीं हो सकता है। सम्मान देने वाले नोबल ज्यूरी ने बताया कि इस हेपेटाइटिस के कारण सिरोसिस और लिवर कैंसर होता है। कमेटी ने कहा कि इन तीनों वैज्ञानिकों के इस काम से ब्लड टेस्ट और नई दवाएं संभव हो सकती हैं और दुनिया में लाखों लोगों की जिंदगी बचाई जा सकेगी।

कमेटी ने इन वैज्ञानिकों के योगदान का जिक्र करते हुए शुक्रिया अदा किया। कमेटी ने  कहा, 'उनकी खोज के लिए शुक्रिया , वायरस के लिए अधिक संवेदनशील ब्लड टेस्ट की सुविधा अब उपलब्ध है।'  स्टॉकहोम (Stockholm) में कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट  की पैनल विजेता का ऐलान कर रही है। उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण इस साल मेडिसीन अवॉर्ड अहम है।  

124 साल पहले हुई थी अवार्ड की शुरुआत

यह सम्मान गोल्ड मेडल और 10 मिलियन स्वीडिश क्रोनर यानि 1,118000 डॉलर से अधिक की रकम के साथ होता है। 124 साल पहले इस अवॉर्ड की शुरुआत स्वीडिश इंवेंटर अल्फ्रेड नोबल ने की थी। इसके अलावा भौतिक विज्ञान  (physics), रसायन शास्त्र (chemistry), साहित्य ( literature) , शांति  (peace)  और अर्थव्यवस्था (economics) के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए भी विजेताओं का ऐलान किया जाएगा।

जानें इन महान वैज्ञानिकों को

हार्वे जे आल्टर का जन्म 1935 में न्यूयार्क में हुआ था। यूनिवर्सिटी ऑफ रोचेस्टर मेडिकल स्कूल से उन्होंने मेडिकल डिग्री हासिल की और यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल ऑफ सिएटल व स्ट्रॉन्ग मेमोरियल हॉस्पिटल से इंटरनल मेडिसीन में ट्रेनिंग प्राप्त की। वहीं, माइकल हॉटोन का जन्म ब्रिटेन में हुआ था। किंग्स कॉलेज लंदन से 1977 में उन्होंने पीएचडी की। 2010 से वे अलबर्टा यूनिवर्सिटी में कनाडा एक्सेलेंस रिसर्च इन वायरोलॉजी और ली का शिंग ऑफ वायरोलॉजी में हैं। इस रिसर्च में शामिल तीसरे वैज्ञानिक चार्ल्स एम राइस का जन्म 1952 में सैक्रामेंटो में हुआ था उन्होंने 1981 में कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से पीएचडी की डिग्री हासिल की। 2001 से वे सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ हेपेटाइटिस सी के लिए रॉकफेलर यूनिवसिटी में  हैं। 


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