'सीरिया को कई टुकड़ों में बांटना और वहां पर मिलिट्री बेस बनाना है चाहता है US'
सीरिया के वरिष्ठ पत्रकार देश के हालात खराब करने के लिए अमेरिका को सबसे बड़ा गुनाहगार मानते हैं। उनका कहना है कि वह सीरिया को कई टुकड़ों में बांट देना चाहता है।
नई दिल्ली स्पेशल डेस्क। सीरिया के हालात दिन पर दिन खराब हो रहे हैं। सीरिया में विद्रोहियों के कब्जे वाले पूर्वी घोउटा इलाके में सीरियाई सरकार के हवाई हमले में सात दिनों में करीब 500 नागरिकों की मौत हो गई है। हालांकि संयुक्त राष्ट्र (यूएन) सुरक्षा परिषद ने सीरिया में 30 दिनों के युद्ध विराम के लिए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर दिया है। लेकिन यहां पर एक बड़ा सवाल ये है कि सीरिया में जो हालात बन चुके हैं इसके लिए कौन जिम्मेदार है। इसके अलावा युद्ध विराम से कहां तक शांति स्थापित होने की उम्मीद की जा सकती है। आपको बता दें कि सीरिया में चल रहे संघर्ष में अब तक लाखों लोग मारे जा चुके हैं और हजारों बच्चे अनाथ हो चुके हैं।
सीरियाई सरकार को ब्लैकमेल कर रहा है अमेरिका
इस बाबत दैनिक जागरण से बात करते हुए सीरिया के वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर वईल अवाद ने सीरिया के खराब होते हालात के लिए सीधेतौर पर अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया है। उनका साफ कहना है कि अमेरिका की पॉलिसी सीरिया को बांटना है। वह इस देश को कई धड़ों में बांट देना चाहता है। अवाद का कहना है कि अमेरिका बिना यूएनएससी की मंजूरी के सीरिया में दखल दे रहा है। अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ वहां पर अमेरिका ने अपनी फौज उतार रखी है। वह सीरियाई सरकार को बलैकमेल तक कर रहा है। उनकी पूरी कोशिश है कि वह यहां पर अपना मिलिट्री बेस स्थापित कर ले, जिसको सीरियाई सरकार लगातार नामंजूर करती आ रही है। देश में हालात खराब करने के लिए वह लगातार आईएसआईएस और अलकायदा जैसे आतंकी संगठनों का साथ दे रहा है। अवाद ने अमेरिका पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह इन आतंकी संगठनों को फंडिंग तक की मदद दे रहा है।
खबरें प्लांट करने का आरोप
यह पूछे जाने पर कि सीरिया में वर्षों से चले आ रहे युद्ध में लाखों लोग मारे जा चुके हैं और हजारों बच्चे अनाथ हो गए हैं। इसके बाद भी आम जनता लगातार निशाने पर है, क्यों। उनका कहना था कि हकीकत ये नहीं है। अवाद का कहना था कि इस तरह के माहौल में किसी भी देश में मानवाधिकार के मुद्दे सामने आएंगे ही। लेकिन जिन खबरों और रिपोर्ट के आधार पर इस तरह की बातें की जा रही हैं वह दरअसल उन्हीं आतंकी संगठनों की तरफ से दी जा रही है जो सीरिया को तोड़ने की कोशिश कर रही हैं। उनके मुताबिक यहां पर काफी खबरें प्लांट की जा रही हैं। अलकायदा समेत दूसरे आतंकी संगठन इस तरह की खबरों को एजेंसियों और अमेरिका के माध्यम से प्रकाशित करवा रहे हैं। उनका कहना था कि घोउटा में अलकायदा समेत दूसरे आतंकी संगठन सक्रिय हैं। उन्होंने इस दौरान यह भी कहा कि दमिश्क से हथियारों की खेप घोउटा पहुंची है। वहीं अमेरिका सीरिया को बांटकर यहां कुर्दिश एंकलेव, शिया और सुन्नी एंकलेव बनाना चाहता है। उन्होंने ये भी कहा कि सरकार की जिम्मेदारी है कि देश में लॉ एंड आर्डर को कायम रखा जाए।
हमलों की निष्पक्ष जांच हो
सीरिया के वरिष्ठ पत्रकार डाक्टर वईल अवाद मानते हैं कि अमेरिका सीरिया में आतंकी संगठनों की हर तरह से मदद कर रहा है। उनका यह भी कहना है कि सीरिया में उठाए गए कदमों को लेकर अमेरिका के पास सुरक्षा परिषद में बहुमत नहीं है इसके बाद भी वह इस तरह के कदम सीरिया में उठा रहा है। अवाद का यह भी कहना है कि सीरिया में जो कुछ हो रहा है उसकी निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए। सीरिया में हजारों लोग मर रहे हैं। जहां तक अमेरिका की दखल की बात है तो यह इराक, लीबिया में पहले भी दिखाई दी है और इसका अंजाम सभी के सामने है। किसी भी सभ्य देश को इस तरह का कदम नहीं उठाना चाहिए। उन्होंने अमेरिका पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि असल में सीरिया की बदहाली के पीछे अमेरिका ही जिम्मेदार है जो अलकायदा समेत सभी आतंकियों संगठनों को हथियार से लेकर फंडिंग तक की मदद कर रहा है। वह आतंकवाद के नाम पर सीरिया की जनता को निशाना बना रहा है।
बिना देरी से सीजफायर लागू करने का प्रस्ताव
आपको बता दें कि सुरक्षा परिषद द्वारा पारित किए गए सीजफायर में यह नहीं बताया कि इसको कब से लागू किया जाएगा लेकिन ये जरूर कहा गया है कि इसको बिना देरी के लागू किया जाना चाहिए। सुरक्षा परिषद के 10 अस्थायी सदस्यों ने पांच स्थायी सदस्यों को प्रस्ताव पर सहमत होने के लिए जोर लगाया। दो दिनों की देरी और कई स्थगन के बाद स्थायी सदस्य रूस, ब्रिटेन, अमेरिका और फ्रांस शनिवार को इस पर सहमत हुए। इसमें सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष कुवैत के स्थायी प्रतिनिधि मंसूर अय्याद अल-ओतैबी और यूएन में स्वीडन के राजदूत ओलोफ स्कूग की प्रमुख भूमिका रही। यूएन महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने पूर्वी घोउटा को धरती पर नरक बताया और कहा कि युद्ध विराम तत्काल लागू होना चाहिए। सुरक्षा परिषद में युद्ध विराम को मंजूरी के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और जर्मनी की चांसलर एंजेल मर्केल ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से संपर्क किया।