किम जोंग उन को विरासत में मिली सत्ता की चाबी, उत्तर कोरिया पर तीसरी पीढ़ी का राज
यह सच है कि लोगों की नजर उत्तर कोरिया से ज़्यादा वहां के शीर्ष नेता किम जोंग-उन पर टिकी है। आइए जानते हैं, उनके उन रहस्यों के बारे, जिसकी जिज्ञासा पूरी दुनिया को है।
नई दिल्ली [ जेएनएन ]। पूरी दुनिया की नजरें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरियाइ नेता किम जोंग उन के बीच हुई ऐतिहासिक शिखर वार्ता के नतीजों पर टिकी है। लगभग ढाई करोड़ आबादी वाले उत्तर कोरिया विश्व कूटनीति के केंद्र में बना हुआ है। यह सच है कि लोगों की नजर उत्तर कोरिया से ज़्यादा वहां के शीर्ष नेता किम जोंग-उन पर टिकी है। आइए जानते हैं, उनके उन रहस्यों के बारे, जिसकी जिज्ञासा पूरी दुनिया को है।
'उन' को विरासत में मिली सत्ता की चाबी
किम जोंग को सत्ता विरासत में मिली। लगातार तीन पीढ़ियों से उत्तर कोरिया की सत्ता इस परिवार के हाथों में है। उन के पूर्व उत्तर कोरिया में सत्ता की बागडोर उनके पिता किम जोंग-इल के पास थी। इल को भी सत्ता उनके पिता किम इल-सुंग से मिली। वर्ष 2011 में किम जोंग-इल की मौत के बाद उत्तर कोरिया की सत्ता उन के हाथों में आई।
शासकों का विदेशी दौरों में यकीन नहीं
उत्तर कोरिया के तीनों ही शासकों का विदेशी दौरों और दुनिया से घुलने-मिलने में बहुत कम यकीन था। आप इस बात से जरूर अचरज में पड़ेंगे कि साल 2011 में सत्ता संभालने के बाद से किम जोंग-उन ने कोई विदेशी यात्रा नहीं की। यहां तक की अपने सबसे करीबी चीन और रूस के यहां भी उन अब तक नहीं गए हैं। हालांकि, ऐसा कहा जाता है कि हाल ही में उन्होंने पहली बार चीन का दौरा किया। विदेशी दौरे के मामले में तीनों ही शासकों की एक ही रणनीति रही है। उन के पिता और दादा भी विदेशी दौरों पर भरोसा नहीं रखते थे।
हालांकि, विदेशी दौरे पर नहीं जाने के पीछे जानकार उनके सुरक्षा कारणों को बड़ी वजह बताते हैं। उन के पूर्व शासक किम जोंग-इल का चीनी प्रेम किसी से नहीं छिपा है। अपने शासन के दौरान इल कई बार चीन के दौरे गए थे। इल के पूर्व उत्तर कोरिया के शासक किम इल-सुंग भी चीन और रूस के दौरे पर गए थे। लेकिन उन ने अभी चीन और रूस का दौरा नहीं किया है।
किम जोंग-उन ने 2015 में रद किया रूसी दौरा
मई 2015 में किम जोंग उन का रूसी दौरा प्रस्तावित था, लेकिन यह दौर रद कर दिया गया। दरअसल , रूस ने दूसरे विश्व युद्ध खत्म होने की 70वीं सालगिरह पर एक खास कार्यक्रम रखा था। रूस पहुंचने वाले राष्ट्राध्यक्षों में उन का नाम भी शमिल था। उन को इस जश्न में शामिल होना था। लेकिन कार्यक्रम के पहले बिना कारण बताए ही इस यात्रा को रद कर दिया गया। रूस ने भी इसे उत्तर कोरिया का आंतरिक मामला कहकर इससे पल्ला झाड़ लिया था। उस वक्त उम्मीद की जा रही थी इस मौके पर रूस के राष्ट्रपति पुतिन के साथ किम की द्विपक्षीय वार्ता भी होगी। अगर किम जोंग उन रूस की यात्रा पर जाते तो उत्तर कोरिया की सत्ता संभालने के बाद यह उनकी पहली विदेशी यात्रा होती।
सुरक्षा कारणों से नहीं करते विदेशी यात्रा
अगर किम जोंग उन की सुरक्षा के स्तर को देखा जाए तो यह प्रमाणित हो जाता है कि वह अपनी सुरक्षा को लेकर अतिसंवेदनशील हैं। छह लेयर वाली सुरक्षा कवच के चलते उन सदैव चर्चा में रहते हैं। इस प्रकार की सुरक्षा लेयर दुनिया के कुछ राष्ट्राध्यक्षों के पास ही है। इसलिए जानकारों को कहना है कि उन अपनी सुरक्षा को लेकर आशंकित और भयभीत रहते हैं। इसलिए वह कम से कम विदेशी दौरा करते हैं। इसमें कोई शक नहीं इसके चलते उत्तर कोरिया पूरी दुनिया से अलग-थलग पड़ गया है। दुनिया के 26 देशों से उत्तर कोरिया के कूटनीतिक रिश्ते हैं। इसमें भारत भी शामिल है।
उत्तर कोरियाई शासक किम जोंग की सुरक्षा
उत्तर कोरियाई शासक किम जोंग उन की सुरक्षा का आलम यह कि उनके आसपास परिंदा भी पर नहीं मार सकता। इन अंगरक्षकों का चयन उनकी फिटनेस, निशानेबाजी, मार्शल आर्ट के कौशल और उनकी वेशभूषा के आधार पर किया गया है। उत्तर कोरिया विश्व के सबसे कठोर सुरक्षा वाले देशों में से एक है और उसके नेता की सुरक्षा व्यवस्था अभेद्य है।
किम की मौजूदगी वाले हर समारोह में जाने वाले विदेशियों को भी कड़ी सुरक्षा प्रक्रिया से गुजरना होता है। उत्तर कोरिया के डीफेक्टर री योंग गूक ने कहा कि यह विश्व की सबसे कड़ी सुरक्षाओं में से एक है, यहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता।