Farmers Subsidy in India: भारत में फसलों पर दी जी रही सब्सिडी पर अमेरिकी सांसदों ने जताई आपत्ति
राष्ट्रपति बाइडन ने भारत के साथ डब्ल्यूटीओ में भारतीय किसान को सब्सिडी देने के संबंध में औपचारिक विमर्श का आग्रह किया है... वहीं विश्वभर के कई देशों व संगठनों ने अपने किसानों के हितों की रक्षा के लिए भारत के दृढ़ रुख की सराहना की है।
वाशिंगटन, पीटीआइ : भारत सरकार की तरफ से किसानों के हित में फसलों पर दी जाने वाली सब्सिडी पश्चिमी देशों को रास नहीं आती। कुछ देश तो विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में भी इस मुद्दे को उठा चुके हैं। अब दर्जनभर अमेरिकी सांसदों ने राष्ट्रपति जो बाइडन को पत्र लिखकर भारतीय नीति को 'व्यापार को विकृत करने वाली खतरनाक प्रथा' करार दिया है और इस संबंध में भारत के साथ डब्ल्यूटीओ में औपचारिक विमर्श का आग्रह किया है। भारत ने डब्ल्यूटीओ में अपने रुख का बचाव किया है। विश्वभर के कई देशों व संगठनों ने अपने किसानों के हितों की रक्षा के लिए भारत के दृढ़ रुख की सराहना की है।
अमेरिकी सांसदों का तर्क है कि डब्ल्यूटीओ के वर्तमान नियम सरकारों को वस्तु उत्पादन के मूल्य के 10 प्रतिशत तक सब्सिडी देने की अनुमति देते हैं, लेकिन भारत सरकार की तरफ से चावल व गेहूं सहित कई अन्य वस्तुओं के उत्पादन के आधे से अधिक मूल्य पर सब्सिडी देना जारी है। उनका आरोप है कि भारत की ओर से नियमों का पालन नहीं किए जाने और बाइडन प्रशासन की ओर से प्रवर्तन में कोताही ने चावल व गेहूं की कीमतों तथा उत्पादन को कम किया है। इसके जरिये अमेरिकी उत्पादकों को अनुपातहीन नुकसान की स्थिति में डालकर वैश्विक कृषि उत्पादन और व्यापार माध्यमों को नया रूप दिया गया है।
सांसद ट्रेसी मान व रिक क्राफर्ड के नेतृत्व में लिखे गए पत्र के अनुसार, 'भारत की यह नीति वैश्विक स्तर पर व्यापार को खतरनाक रूप से विकृत कर रही है। इससे अमेरिकी किसान व पशुपालक भी प्रभावित हो रहे हैं। हम प्रशासन से डब्ल्यूटीओ में भारत के साथ औपचारिक विमर्श का आग्रह करते हैं। साथ ही संगठन के अन्य सदस्यों के ऐसे घरेलू समर्थन कार्यक्रमों की निगरानी जारी रखने का आग्रह करते हैं, जो व्यापार के निष्पक्ष तरीकों को नुकसान पहुंचाते हैं।'