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UN रिपोर्ट में कोरोना महामारी की क्‍या हैं नई चुनौतियों, दक्षिण पूर्व एशिया पर गंभीर संकट

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह कोरोना महामारी का स्वास्थ्य आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव दक्षिण-पूर्व एशिया में सर्वाधिक रहा है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 05:09 PM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 05:09 PM (IST)
UN रिपोर्ट में कोरोना महामारी की क्‍या हैं नई चुनौतियों, दक्षिण पूर्व एशिया पर गंभीर संकट

बैंकॉक, एजेंसी। कोरोना महामारी को रोकने के दिशा में संयुक्‍त राष्‍ट्र ने दक्षिण पूर्व एशियाई मुल्‍कों की सराहना की है। यूएन ने कहा है कि इन मुल्‍कों की सरकारों ने कोरोना महामारी के प्रसार को रोकने के लिए तेजी से कार्य किया है। हालांकि, संयुक्‍त राष्‍ट्र ने इन देशों में बढ़ रही असमानता पर गंभीर चिंता प्रगट की है। इन मुल्‍कों में बढ़ती असमानताओं को रोकने के लिए कहा है। 

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कोरोना महामारी ने नई चुनौतियों का खुलासा किया

संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव की संक्षिप्‍त नीति में दक्षिण पूर्व एशिया में सामाजिक-आर्थिक असमानताओं के गहरे खतरों की ओर संकेत किया गया है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह कोरोना महामारी का स्वास्थ्य, आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव दक्षिण-पूर्व एशिया में सर्वाधिक रहा है। इन मुल्‍कों की सरकारों को इसे समाप्‍त करने की दिशा में कदम उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस महामारी ने एक सतत विकास के मार्ग में गहरी असमानता, सुशासन में कमी को उजागर किया है। इसने शांति और सुरक्षा सहित नई चुनौतियों का खुलासा किया है।

दक्षिण-पूर्व एशिया के 11 देश प्रभावित 

संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट बताती है कि कोरोना महामारी ने दक्षिण-पूर्व एशिया के 11 देशों को कैसे प्रभावित किया है। रिपोर्ट में कहा गया है इन मुल्‍कों को इस सकंट से तत्‍काल बाहर निकलना चाहिए। रिपोर्ट में समस्‍या निस्‍तारण के लिए कई सिफारिश एवं सुझाव दिए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका असर कमजोर समूहों, विशेष रूप से अर्थव्‍यवस्‍था में श्रमिकों पर महामारी के प्रतिेूल प्रभाव पर प्रकाश डालता है। 

एक सुनहरे भविष्‍य की जरूरतें 

संयुक्‍त राष्‍ट्र के विशेष सचिव और आर्थिक और सामाजिक आयोग के कार्यकारी महासचिव अर्मिदा सलसैय्या अलिसजाहबाना ने कहा कि एशिया और प्रशांत क्षेत्र में हमें एक ऐसे भविष्य की आवश्यकता है जो अधिक न्यायसंगत, टिकाऊ और लचीला हो। उन्‍होंने कहा कि इस क्षेत्र में चार प्रमुख चुनौतियां हैं। इसमें असमानता से निपटना, डिजिटल डिवाइड को कम करना,  मानवाधिकार और सुशासन को बनाए रखना शामिल हैं।   


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