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अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी पर संयुक्त राष्ट्र प्रमुख गुटेरस ने दुनिया को किया आगाह, कही यह बात

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरस ने चेतावनी दी है कि तालिबान की जीत दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अन्य आतंकी संगठनों के हौसलों को बुलंद कर सकती है। हम चाहते हैं कि अफगानिस्तान अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सकारात्मक भूमिका का निर्वहन करे।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 11 Sep 2021 04:15 PM (IST)Updated: Sat, 11 Sep 2021 04:30 PM (IST)
अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी पर संयुक्त राष्ट्र प्रमुख गुटेरस ने दुनिया को किया आगाह, कही यह बात
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरस ने अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी को लेकर दुनिया को आगाह किया है।

संयुक्‍त राष्‍ट्र, पीटीआइ। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरस ने अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी को लेकर दुनिया को आगाह किया है। उन्‍होंने वैश्विक आतंकवाद के फि‍र से उभरने को लेकर चिंता जताते हुए चेतावनी दी है कि तालिबान की जीत दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अन्य आतंकी संगठनों के हौसलों को बुलंद कर सकती है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र चाहता है कि अफगानिस्तान अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सकारात्मक भूमिका का निर्वहन करे।

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गुटेरस ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में संवाददाता से कहा कि मौजूदा वक्‍त में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में हम जो देख रहे हैं वह चिंता का सबब है। तालिबान की वापसी दुनिया के विभिन्‍न हिस्‍सों में अन्य आतंकी समूहों के हौसले बुलंद कर सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि वह साहेल जैसी घटनाओं को लेकर बहुत चिंतित हैं। दुनिया के तमाम हिस्‍सों में आतंकियों की पकड़ मजबूत हो रही है। बता दें कि साहेल अफ्रीका का एक क्षेत्र है।

गुटेरस ने कहा कि मौजूदा वक्‍त में हमारे पास आतंकवाद की चुनौती से निपटने के लिए कोई प्रभावी सुरक्षा प्रणाली नहीं है। अफगानिस्‍तान में बदले परिदृश्‍य से आतंकियों के हौसले बुलंद होंगे। दुनिया के दूसरे हिस्सों के बारे में भी ऐसा ही हो सकता है। मैं आतंकवाद को लेकर बहुत चिंतित हूं क्‍योंकि कई देश इससे लड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। हमें आतंकवाद मजबूत एकता और एकजुटता दिखानी चाहिए।

गुतारेस ने कहा कि हमने देखा कि जो आतंकी समूह जो हर हालात में मरने को तैयार है... जो मौत को अच्छी बात मानता है... यदि ऐसा समूह किसी देश पर हमला करता है तो सेनाएं भी सामना करने में असमर्थ हो जाती हैं और मैदान छोड़ देती हैं। अफगान सेना ने महज सात दिन में घुटने टेक दिए। मौजूदा वक्‍त में तालिबान के साथ संवाद बेहद जरूरी है। यही वजह है कि हम तालिबान के साथ स्थायी रूप से संवाद बना रहे हैं।


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