इस देश में भुखमरी की चपेट में 2.7 करोड़ से अधिक लोग, संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों ने की यह अपील
कोरोना संकट से जूझ रहे दुनिया के तमाम मुल्कों में हालात बेहद खराब है। कांगो में 2.7 करोड़ से अधिक लोग भीषण भुखमरी से जूझ रहे हैं। यह संख्या कांगो की अनुमानित 8.7 करोड़ की आबादी का तकरीबन एक तिहाई है।
संयुक्त राष्ट्र, एपी। कांगो में 2.7 करोड़ से अधिक लोग भीषण भुखमरी से जूझ रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की एजेंसियों के मुताबिक यह संख्या कांगो की अनुमानित 8.7 करोड़ की आबादी का तकरीबन एक तिहाई है। संयुक्त राष्ट्र की दो एजेंसियों खाद्य एवं कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization) और विश्व खाद्य कार्यक्रम (World Food Program) ने आगाह किया है कि जो लोग भीषण भुखमरी का सामना कर रहे हैं उनमें से 70 लाख आपात स्थिति में हैं।
संयुक्त राष्ट्र की इन एजेंसियों का कहना है कि करीब 2.7 करोड़ कांगो नागरिकों की जिंदगियां बचाने के लिए तुरंत कदम उठाए जाने की जरूरत है। सबसे प्रभावित लोगों में विस्थापित, शरणार्थियों के अलावा बाढ़, भूस्खलन, आग एवं अन्य प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोग हैं। समाचार एजेंसी एपी की रिपोर्ट के मुताबिक इन लोगों में शहरी और आसपास के इलाकों के गरीब भी शामिल हैं।
कांगो में विश्व खाद्य कार्यक्रम के प्रतिनिधि पीटर मुसोको का कहना है कि पहली बार हम इतनी बड़ी आबादी का पता लगा पाए हैं जो भुखमरी से जूझ रही है। यह रिपोर्ट कांगो गणराज्य में खाद्य असुरक्षा की असली तस्वीर बयां करती है। मालूम हो कि कांगो हिंसा और विद्रोहियों के हमलों से जूझता रहा है। इन संघर्षों ने साल 2002 तक इस देश को तबाह कर दिया। आज भी देश की खनिज संपन्न पूर्वी सीमा क्षेत्र में हिंसा की घटनाएं देखी जाती हैं।
उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के महासचिव एंतोनियो गुटेरेस (Antonio Guterres) ने पिछले साल चार देशों में अकाल पड़ने और खाद्य संकट के गहराने का अलर्ट जारी किया है। इन देशों में संघर्ष प्रभावित कांगो, यमन, दक्षिणी सूडान और पूर्वोत्तर नाइजीरिया शामिल थे। उन्होंने आगाह किया था कि इन देशों में अकाल पड़ने और खाद्य संकट गहराने का खतरा है। उन्होंने कहा था कि इससे लाखों लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ सकती है।