ब्रिटिश कोर्ट ने नीरव के आत्महत्या करने वाले परिजनों की सूची मांगी, वकीलों ने दी थी यह दलील
भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पित किए जाने से बचाने को उसके वकीलों की ओर से गढ़ा गया बहाना अब उसके गले की हड्डी बनता नजर आ रहा है।
लंदन, पीटीआइ। भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पित किए जाने से बचाने को गढ़ा गया बहाना अब बचाव पक्ष के गले की हड्डी बनता प्रतीत हो रहा है। गुरुवार को ब्रिटिश कोर्ट ने नीरव के पारिवारिक इतिहास की जानकारी मांग ली, पूछा- कितने परिजनों ने आत्महत्या की है। इससे पहले नीरव के वकीलों ने कोर्ट से कहा था कि नीरव की मानसिक दशा ठीक नहीं है। वह अवसाद में है। भारत भेजे जाने पर वह वहां आत्महत्या कर सकता है।
नीरव पंजाब नेशनल बैंक में 12 हजार करोड़ से ज्यादा का घोटाला कर भारत से भागा हुआ है। लंदन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में मामले को सुन रहे जस्टिस सैम्युएल गूजी ने बचाव पक्ष की ओर से पेश तीन गवाहों के बयान सुने। पांच दिन की सुनवाई प्रक्रिया में गुरुवार को चौथा दिन था। तीनों गवाहों ने नीरव के अवसाद में होने के बारे में अपनी बातें रखीं। कहा गया कि मुंबई की आर्थर रोड जेल में बचाव के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं।
नीरव को वहां भेजा गया तो उसे कोरोना संक्रमण का खतरा है। इस पर भारत सरकार की ओर से पैरवी कर रही क्राउन प्रोसीक्यूशन सर्विस ने कहा, आर्थर रोड जेल की जिस बैरक नंबर 12 में नीरव को रखा जाएगा, वह लंदन की वैंड्सवर्थ जेल की उस कोठरी से बेहतर हो सकती है जिसमें नीरव अभी रह रहा है। उसमें कोर्ट के आदेशानुसार सुधार भी किया जा सकता है। सीपीएस की ओर से पेश मनोचिकित्सक डॉ. एंड्रयू फॉरेस्टर ने कहा, नीरव की मानसिक स्थिति अभी ऐसी नहीं है कि वह आत्महत्या के बारे में सोच रहा हो।
डॉ. फॉरेस्टर ने सितंबर 2019 से अगस्त 2020 के बीच चार बार नीरव मोदी की मानसिक दशा का परीक्षण किया है। नीरव की मां की आत्महत्या का हवाला दिए जाने पर डॉ. फॉरेस्टर ने कहा, उसके पीछे कोई खास कारण हो सकते हैं। सीपीएस बैरिस्टर हेलन मैल्कम ने कोर्ट को भारत सरकार की ओर से आश्वस्त किया कि अगर नीरव मोदी को मानसिक रूप से कोई कठिनाई होगी तो उसे चिकित्सा की बेहतर सुविधा दी जाएगी।