अफगानिस्तान में युद्ध विराम की सभी संभावनाओं की तलाश करेगा पेंटागन, आज होगी वार्ता
रक्षा विभाग के कार्यवाहक रक्षा सचिव पैट्रिक शानहान ने कहा है कि उनके पास अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य बल को हटाने या उसमें कटौती के कोई आदेश नहीं है।
काबुल [ एजेंसी ] । पेंटागन के शीर्ष अधिकारी आज अफगानिस्तान में अमेरिकी कमांडरों और अफगान नेताओं के साथ बैठक कर रहे हैं। इस बैठक का मकसद तालिबान के साथ मिलकर अफगानिस्तान की शांति बहाली की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना है।
उधर, रक्षा विभाग के कार्यवाहक रक्षा सचिव पैट्रिक शानहान ने कहा है कि उनके पास अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य बल को हटाने या उसमें कटौती के कोई आदेश नहीं है। हालांकि, पेंटागन के अधिकारियों का कहना है कि तालिबान की शांति वार्ता की सूची में यह मांग सबसे ऊपर है। शानहान ने कहा कि ट्रंप प्रशासन का मकसद अफगानिस्तन में 17 वर्ष से जारी एक लंबे युद्ध को खत्म करने के लिए सभी संभावनाओं की तलाश करना है।
हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि यहां शांति की सभी शर्तें अफगानों को ही तय करना है। उन्होंने कहा कि अब तक तालिबान ने राष्ट्रपति अशरफ गनी की सरकार काे नाजायज ठहराते हुए वार्ता से इंकार कर दिया है। वाशिंगटन उस गतिरोध को तोड़ने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि अब ये मामला अफगानों पर छोड़ दिया गया है कि उन्हें कैसा अफगानिस्तान चाहिए। काबूल जाने से पहले रक्षा सचिव ने एयरपोर्ट पर पत्रकारों से कहा कि सीरिया में इस्लामिक स्टेट का लगभग खात्मा कर दिया गया है। लेकिन उन्होंने यह माना कि अभी वैश्विक स्तर पर आइएस की उपस्थित है। उन्होंने कहा कि सीरिया में सुरक्षा बलों की चुनौती अब वहां स्थिरता सुनिश्चित करना है।
बता दें कि पिछले हफ्ते अमेरिकी कांग्रेस के समक्ष यूएस सेंट्रल कमांड के कमांडर जनरल जोसेफ मोटल ने कहा था कि अफगानिस्तान में शांति के लिए अमेरिका और तालिबान के बीच वार्ता का यह सुनहरा मौका है। उन्होंने कहा कि शांति वार्ता के लिए यह पहला वास्तविक अवसर है। उनके इस आशावादी दृष्टिकोण के बाद ट्रंप प्रशासन ने शांति वार्ता की अपनी पहल में तेजी लाई है।
मोटल ने कहा कि अफगानी सैन्य बलों की हताहतों की संख्या बढ़ाने में तालिबान अभी भी बहुत सक्षम है। पिछले हफ्ते ही विद्रोहियों ने उत्तरी कुंडुज प्रांत में सेना के ठिकाने पर हुए हमले में कुछ दो दर्जन अफगान सैनिकों को मार दिया था। मोटाल की रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान के तार इस्लामिक स्टेट से जुड़े हैं। इसमें पाकिस्तान से बड़े पैमाने पर विदेश लड़ाके भी शामिल हैं। उन्होंने कहा है कि ये आइएस अमेरिका और अमेरिकी सेना के लिए खतरनाक हैं।