फैसले लेने में टालमटोल के चलते इटली में गई 26 हजार लोगों की जान, जानें कहां हुई चूक
विशेषज्ञों का कहना है कि फैसला लेने में नेताओं की हीलाहवाली के चलते ही इटली में 26 हजार लोगों की जान गई।
रोम, एपी। कोरोना के कहर से सबसे ज्यादा प्रभावित इटली में हालात धीरे-धीरे काबू में आ रहे हैं। यहां अब लॉकडाउन हटाने की तैयारी हो रही है। साथ ही यह चर्चा भी शुरू हो गई है कि जानलेवा वायरस से निपटने में कहीं न कहीं कोई भयावह चूक हुई है। कइयों का तो यहां तक मानना है कि सर्वाधिक प्रभावित लोंबार्डी प्रांत को लॉकडाउन करने में देरी के चलते ही कोरोना ने पूरे इटली में भयंकर तबाही मचाई। विशेषज्ञों का कहना है कि फैसला लेने में नेताओं की हीलाहवाली के चलते ही देश में 26 हजार लोगों की जान गई।
लोंबार्डी में शुरू में ही पूरी तालाबंदी कर देनी चाहिए थी
माइक्रोबायोलाजिस्ट एंड्रिया क्रिसांटी के अनुसार, 'हमें संक्रमण का केंद्र बने लोंबार्डी में शुरू में ही पूरी तालाबंदी कर देनी चाहिए थी। सब घर के अंदर कैद होने चाहिए थे।' इस बारे में पूछे जाने पर इटली के पीएम जिजेज्पी कौंटे का कहना था, 'लोंबार्डी की क्षेत्रीय सरकार भी लॉकडाउन के बारे में खुद अपने स्तर पर फैसला ले सकती थी।' इस पर सूबे के गवर्नर एटिलियो फांटेना कहते हैं, 'अगर कोई गलती हुई तो यह दोनों (केंद्र व राज्य सरकार) द्वारा की गई है।'
इटली का वुहान बना लोंबार्डी
इटली में कोरोना वायरस संक्रमण की शुरुआत दरअसल लोंबार्डी सूबे के लोदी जिले में कोडोग्नो कस्बे से ही हुई। 21 फरवरी को यहां का एक युवक इटली में कोरोना का पहला संक्रमित मरीज बना। सटीक इलाज के अभाव के चलते देखते ही देखते यह राज्य इटली का वुहान बन गया। फिलवक्त लोंबार्डी में मौत का आंकड़ा 13,269 है। सूत्रों के अनुसार, अभियोजन अधिकारी इन मौतों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की शिनाख्त करने में जुट गए हैं।
समझ नहीं पाए डॉक्टर
राज्य के क्रमोना शहर के डॉक्टर मौरीजियो मारविसी का कहना है, 'हम कोरोना वायरस को समझ ही नहीं पाए। उसकी संक्रमण की रफ्तार से अनभिज्ञ ही रहे।' लोंबार्डी में कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या से सूबे के नर्सिग होम जल्द ही भर गए। इस स्थिति में गैर अनुभवी निजी चिकित्सकों ने बीमारों के इलाज का जिम्मा संभाल लिया। घर पर ही ऑक्सीजन की डोज देकर मरीजों का इलाज करने लगे। जांच के साथ सही इलाज की कमी और आइसीयू के अभाव के चलते लोगों के दम तोड़ने का सिलसिला शुरू हो गया। खुद डॉक्टर भी संक्रमित होने लगे। इटली में कुल 20 हजार चिकित्साकर्मी संक्रमित हुए और डेढ़ सौ ने अपनी जान गंवाई।