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छोटी-सी नाव से अटलांटिक सागर पार कर 85 दिनों के बाद अपने 90 साल के पिता के पास पहुंचा बेटा

लॉकडाउन के दौरान अर्जेंटीना के एक शहर में 47 साल का व्यक्ति एक द्वीप पर फंस गया फिर उसने अटलांटिक महासागर के रास्ते से अपने घर पहुंचना तय किया 85 दिनों के बाद वो पहुंच पाया।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Mon, 29 Jun 2020 03:51 PM (IST)Updated: Mon, 29 Jun 2020 05:09 PM (IST)
छोटी-सी नाव से अटलांटिक सागर पार कर 85 दिनों के बाद अपने 90 साल के पिता के पास पहुंचा बेटा
छोटी-सी नाव से अटलांटिक सागर पार कर 85 दिनों के बाद अपने 90 साल के पिता के पास पहुंचा बेटा

ब्यूनसऑयर्स, न्यूयॉर्क टाइम्स न्यूज सर्विस। कोरोनावायरस ने देश दुनिया के अजीब-अजीब चीजें दिखाई। एक ओर जहां लोग घरों में कैद होकर रह गए वहीं कुछ लोग परिवार से काफी दूर फंस गए। दुनियाभर के देशों ने उड़ानें बंद कर दी, रेलवे के पहिये थम गए, सड़कों पर वाहनों का चलना बंद हो गया, ऐसे में कुछ लोग किसी न किसी तरह का इस्तेमाल करते हुए अपने प्रियजनों के पास तक पहुंच ही गए। ऐसा ही एक अजीबोगरीब मामला अर्जेंटीना के ब्यूनसआयर्स से सामने आया है।

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कोरोनावायरस संक्रमण का मामला सामने आने के बाद अर्जेंटीना की सभी अंतरराष्ट्रीय यात्री उड़ानें रद्द कर दी गई। ऐसे में यहां रहने वाले जुआन मैनुअल बॉलसेस्टरो एक द्वीप पर फंस गए। इस द्वीप पर कोरोनावायरस का कोई केस नहीं था। मगर जुआन में इस द्वीप पर न रहने का फैसला किया, उन्होंने कहा कि वो चाहते थे कि ऐसा समय वो अपने परिवार के साथ गुजारें, कुछ दिनों के बाद उनके पिता 90 साल की उम्र के होने वाले थे।

जुआन ने किसी भी तरह से लॉकडाउन के दौरान अपने परिवार के पास पहुंचने की ठानी, उसके बाद उन्होंने एक छोटी-सी 29 फुट लंबी नाव तैयार की, उसमें खाने-पीने के सामान जुटाए और मार्च में ही अटलांटिक में उतर गए।कोरोनोवायरस महामारी ने लगभग हर देश में अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया। संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय उड़ानें कैंसिल कर दी गई।

यात्रा के साधन बंद कर दिए जाने से लोग अपने प्रियजनों के पास तक पहुंच पाने में असफल हो गए। जिनके घरों में बड़े बुजुर्ग थे जिनको ऐसे समय में अपने घर में देखभाल करने वालों की अधिक जरूरत थी वो भी अपने परिवार के सदस्यों के पास तक नहीं पहुंच पा रहे थे। बेटियां अपने माता-पिता और बच्चे भी अपने परिवार से दूर फंस गए थे। ऐसी सैकड़ों कहानियां लॉकडाउन के दौरान सामने भी आईं जिसमें लोगों का दर्द सुनने को मिला।

जुआन ने जब अटलांटिक महासागर के रास्ते से अपने पिता के पास जाने के लिए अपने दोस्तों को बताया तो उनके सभी दोस्त ने मना किया और रोकने की भी कोशिश की मगर वो नहीं माने। दूसरी ओर अधिकारियों ने भी उसे चेतावनी दी कि यदि वो द्वीप छोड़कर गया, कहीं रास्ते में फंस गया और फिर द्वीप पर वापस आने की सोची तो उन्हें प्रवेश नहीं दिया जाएगा। ऐसी स्थिति में भी उसे वापस लौटना पड़ेगा मगर इन धमकियों के बाद भी जुआन नहीं माने। इन सबके बावजूद भी जुआन नहीं मानें और वो यात्रा पर निकल गए।  

उधर जब कई दिनों तक जुआन के पिता कार्लोस अल्बर्टो बल्लेस्टरो को अपने बेटे के बारे में कोई सूचना नहीं मिली तो वो उससे जानना चाह रहे थे कि उनका बेटा 50 दिनों तक कहां रहा। अटलांटिक महासागर में एक छोटी नाव में नौकायन करना चुनौतीपूर्ण है। एक महामारी के दौरान जुआन को यह यात्रा करने में कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

बैलेस्टरो ने कहा कि 12 अप्रैल को केप वर्डे में अधिकारियों ने उसे भोजन और ईंधन की आपूर्ति बहाल करने के लिए द्वीप राष्ट्र में अनुमति देने से ही इनकार कर दिया। उसके पास ले जाने के लिए पर्याप्त भोजन था। इस दौरान उसने अपनी नाव को पश्चिम की ओर मोड़ दिया। उसके पास ईंधन भी कम था, तब वो अपने घर के किनारे तक पहुंचने के लिए हवा के झोंको पर ही निर्भर होकर रह गया।

वैसे जुआन के लिए समुद्र में लंबा समय बिताने कोई पहली बार नहीं था लेकिन खुले समुद्र में अकेले रहना थोड़ा कष्टकारी था। अकेले लंबा सफर करना तो सबसे अनुभवी नाविक के लिए भी कठिन होता है। वेनेज़ुएला, श्रीलंका, बाली, हवाई, कोस्टा रिका, ब्राजील, अलास्का और स्पेन में रुकने के साथ, बैलेस्टरो ने अपने जीवन का अधिकांश समय नौकायन में बिताया है।


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