दुनिया के सबसे बड़े रेसक्यू ऑपरेशन को ऐसे दिया गया अंजाम,ये है पूरी कहानी
दुनिया भर में उनके सकुशल बाहर निकलने की प्रार्थना और दुआओं का रंग दिखा और इस विषम परिस्थिति से ये नन्हीं जान फिर से सूरज के उजाले में आ सके।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। 16 दिन से उत्तरी थाइलैंड की घुप अंधेरी थाम लुआंग गुफा में फंसे 12 बच्चों ने अपने साहस और संयम से प्रतिकूल हालात को मात दे दी। गोताखोरों द्वारा रविवार को उन्हें बाहर निकालने का क्रम शुरू हो गया। दुनिया भर में उनके सकुशल बाहर निकलने की प्रार्थना और दुआओं का रंग दिखा और इस विषम परिस्थिति से ये नन्हीं जान फिर से सूरज के उजाले में आ सके। उत्तरी थाइलैंड की थाम लुआंग गुफा में दो सप्ताह से अधिक समय से फंसे चार बच्चों को बाहर निकाल लिया गया है।
गोताखोरों की मदद से ऐसे पार की अंधेरी गुफा
गुफा के अंदर जिन-जिन स्थानों पर पानी भरा था, वहां पर रास्ते की पहचान और आगे बढ़ने में मदद के लिए रस्सी लगाई गई थी। चूंकि ज्यादा पानी वाले हिस्सों में बच्चों को भी तैरकर आगे बढ़ना था, लिहाजा बच्चे का 12 लीटर का ऑक्सीजन सिलेंडर भी गोताखोर को लेकर आगे बढ़ना पड़ा। एक पाइप के जरिए बच्चे को ऑक्सीजन दी जाती रही। बच्चे को सहारे के लिए गोताखोर की कमर से एक रस्सी से उसे भी बांधा गया। इस तरह बच्चे के आगे और पीछे चल रहे गोताखोरों ने उन्हें सकुशल बाहर निकाला।
आने-जाने में लगे 11 घंटे
गुफा के मुहाने से बच्चों तक पहुंचकर और वहां से वापस लौटने में करीब 11 घंटे का समय लगा।
13 की अहम भूमिका
विदेशी गोताखोरों (मुख्यत: यूरोप से) की टीम के 13 सदस्यों ने इस बचाव अभियान में जान की बाजी लगा दी। तीन हमेशा बच्चों के साथ रहे। बाकी सब रास्ते के खतरनाक स्थानों पर खड़े रहे। रास्ते के कुछ हिस्से बेहद संकरे और पानी से डूबे थे। इनकी चौड़ाई करीब आधा मीटर थी। यहां बच्चों को अकेले पानी में तैरकर आगे बढ़ना पड़ा।
प्राथमिक स्वास्थ्य जांच
पानी से लबालब गुफा के सबसे करीब सूखे स्थान पर निकाले जा रहे बच्चों की आपात स्वास्थ्य जांच के लिए डॉक्टरों की एक टीम तैनात थी।
13 मेडिकल टीम हेलीकॉप्टर के साथ मुस्तैद
गुफा के बाहर 12 बच्चों और एक कोच के लिए 13 मेडिकल टीमें अलर्ट मोड में तैयार थीं। सभी टीमों के पास अपना हेलीकॉप्टर था। इससे इन्हें 70 किमी दूर अस्पताल पहुंचाया गया।
हुआ रिहर्सल
कई दिन से बचाव दल बच्चों को सकुशल बाहर निकालने का रिहर्सल कर रहा था। इसी क्रम में गुफा के पानी को भी लगातार बाहर निकाला जाता रहा। रविवार को गुफा के अंदर अब तक के सबसे कम स्तर पर पानी था।
ऑपरेशन की टाइमलाइन
23 जून: 11 से 16 साल के 12 बच्चे और उनका कोच (25) उत्तरी थाइलैंड की थाम लुआंग गुफा में घुसे। एक बच्चे की मां ने बेटे के लापता होने की रिपोर्ट की। स्थानीय अधिकारियों को बच्चों की साइकिलें और जूते गुफा के प्रवेश द्वार पर मिला।
24 जून: पार्क अधिकारियों को पैरों के निशान मिले। माना गया वो बच्चों के हैं।
25 जून: बच्चों की तलाश में नेवी सील के गोताखोर गुफा में घुसे।
26 जून: गोताखोर कई किमी अंदर एक टी-जंक्शन तक पहुंचे। लेकिन तेज बहाव की वजह से लौटने को मजबूर हुए।
27 जून: अमेरिका के 30 नौसेना कर्मी और तीन ब्रिटिश विशेषज्ञ गोताखोर भी गुफा में पहुंचे। तेज बहाव की वजह से उन्हें भी पीछे हटना पड़ा।
28 जून: बारिश के कारण अभियान रुका। गुफा से पानी निकालने के लिए पंप लगाए गए।
30 जून: बारिश रुकने पर गोताखोर गुफा में कुछ और अंदर तक घुसने में सफल।
01 जुलाई: गुफा के अंदर ऑपरेटिंग बेस बनाया। सैकड़ों एयर टैंक और अन्य चीजें अंदर पहुंचाईं।
2 जुलाई: ब्रिटिश गोताखोरों ने गुफा के अंदर पट्टाया बीच से 400 मीटर अंदर बच्चों और उनके कोच को जीवित पाया।
3 जुलाई: बच्चों तक खाद्य पदार्थ, दवाएं और उच्च कैलोरी वाले जेल पहुंचाए गए।
4 जुलाई: बच्चों को गोताखोरी के मास्क और सांस लेने के उपकरणों का प्रशिक्षण देना प्रारंभ।
5 जुलाई: पंछियों के घोंसले एकत्रित करने वालों के एक दल ने पहाड़ के ऊपर गुफा के अंदर जाने का वैकल्पिक रास्ता खोजने की कोशिश की।
6 जुलाई : बच्चों तक एयरलाइन स्थापित करने की कोशिश में एक गोताखोर की मृत्यु।
7 जुलाई : गुफा में से एक संदेश भेज बच्चों के कोच ने अभिभावकों से माफी मांगी।
ऐसे हुआ ऑपरेशन
अंतिम बचाव अभियान शुरू करने से पहले शनिवार को बचाव दल के सदस्य रहे एक ऑस्ट्रेलियाई डॉक्टर ने गुफा के भीतर जाकर बच्चों के स्वास्थ्य का परीक्षण किया। सभी बच्चे स्वस्थ पाए गए। डॉक्टर की हरी झंडी मिलने के बाद रविवार को बचाव अभियान शुरू किया गया।
चोक प्वाइंट
गुफा के रास्ते के उस हिस्से को पार करने में सबसे मुश्किलें आई जिसमें खड़ी चढ़ाई के तुरंत बाद तेज ढलान थी। रास्ते के कुछ ऐसे भी हिस्से थे जो महज आधे मीटर चौड़े थे। यहां पार करने में काफी मुश्किलें आईं।
गोताखोरों की टीम
पानी से भरी गुफा में कुल 90 गोताखोरों को उतारा गया। इनमें विदेशी गोताखोरों की टीम के 50 सदस्य थे। साथ ही 40 थाइलैंड नेवी सील के विशेष गोताखोर थे।
अस्पताल चौकस
अस्पताल में आपातकालीन सेवा देने के लिए पांच डॉक्टर तैयार थे। इसके अलावा 30 डॉक्टरों की टीम भी किसी हालात से निपटने को कमर कसे थी।
पहले से तैयारी
दो जुलाई को जब बच्चों का पता चला तभी से थाई नेवी सील्स ने उन्हें स्कूबा डाइविंग का प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया था।