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तालिबान ने दुनिया को किया आगाह - कोई देश हम पर हमले की भूल नहीं करे, भारत को दिया सुरक्षा का वचन

अफगानिस्तान पर तालिबान द्वारा कब्जा किए जाने के बाद भारत ने कतर की राजधानी दोहा में वरिष्ठ तालिबान नेता शेर मोहम्मद स्टेनकजई के साथ अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर चर्चा की। इस दौरान तालिबान के नेताओं ने भारत को सुरक्षा का भरोसा दिलाया है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Tue, 31 Aug 2021 10:26 PM (IST)Updated: Tue, 31 Aug 2021 10:29 PM (IST)
तालिबान ने दुनिया को किया आगाह, भारत को दिया सुरक्षा का वचन। फाइल फोटो।

काबुल, एजेंसी। अफगानिस्तान पर तालिबान द्वारा कब्जा किए जाने के बाद भारत ने कतर की राजधानी दोहा में वरिष्ठ तालिबान नेता शेर मोहम्मद स्टेनकजई के साथ अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर चर्चा की। इस दौरान तालिबान के नेताओं ने भारत को सुरक्षा का भरोसा दिलाया है। तालिबान ने भारत को आश्‍वासन दिया है कि उनके शासन काल में सभी भारतीय सुरक्षित है। दोहा में तालिबान के वरिष्‍ठ नेता शेर मोहम्‍मद स्‍टेनकजई के साथ कि कोई भी देश हम पर हमले की भूल नहीं करे। इसी क्रम में उन्‍होंने काबुल में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा का वचन दिया है।

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तालिबान नेता ने कहा कि किसी भी देश को अफगानिस्तान पर हमला करने का प्रयास नहीं करना चाहिए। काबुल से अमेरिकी सेना की पूरी तरह से वापसी का जश्न मनाने के लिए काबुल में आयोजित एक कार्यक्रम में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के सदस्य अनामुल्ला समांगानी ने अफगानों से देश नहीं छोड़ने की अपील की है। तालिबान नेता ने पिछले दो दशकों में अफगानिस्तान में भारत द्वारा निभाई गई सकारात्मक भूमिका को सराहा।

स्टेनकजई द्वारा 29 अगस्त को व्यापार और आर्थिक संबंधों को फिर से शुरू करने के लिए भारत के लिए सार्वजनिक रूप से प्रस्ताव देने के बाद, तालिबान नेता चुपचाप पिछले दो दिनों में नई दिल्ली और कतर दोनों में भारतीय नेतृत्व के पास पहुंचे। भारतीय वार्ताकार, कतर में राजदूत दीपक मित्तल ने स्पष्ट किया कि भारत अभी भी अफगानिस्तान में फंसे अपने नागरिकों के साथ-साथ उस देश में रहने वाले हिंदू और सिख अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा चाहता है।

काबुल से अमेरिका की वापसी के बाद तालिबान ने दशकों के युद्ध के बाद देश में शांति और सुरक्षा लाने की अपनी प्रतिज्ञा दोहराते हुए अपनी जीत का जश्न मनाया। हालांकि, इस बीच देश के चिंतित नागरिक इस इंतजार में दिखे कि नई व्यवस्था कैसी होगी। अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से पूरी तरह से वापसी के बाद तालिबान के समक्ष अब 3.8 करोड़ की आबादी वाले देश पर शासन करने की चुनौती है, जो बहुत अधिक अंतरराष्ट्रीय सहायता पर निर्भर है।

तालिबान को अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, वे पश्चिमी देशों को कुछ लाभ वाली स्थिति में रख सकती हैं। पश्चिमी देश तालिबान पर इसको लेकर दबाव डाल सकते हैं कि वह मुक्त यात्रा की अनुमति देने, एक समावेशी सरकार बनाने और महिलाओं के अधिकारों की गारंटी दे। तालिबान का कहना है कि वे अमेरिका सहित अन्य देशों के साथ अच्छे संबंध बनाना चाहते हैं।


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