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तालिबान दफ्तर में कंपनियों को कराना पड़ेगा पंजीकरण, अफगान सरकार ने कहा- हताशा में आतंकी संगठन

तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि कुछ देशी-विदेशी कंपनियां और एनजीओ ऐसी गतिविधियों में शामिल हैं जो राष्ट्रीय हितों के खिलाफ है।

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 27 Jul 2020 09:36 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jul 2020 09:36 PM (IST)
तालिबान दफ्तर में कंपनियों को कराना पड़ेगा पंजीकरण, अफगान सरकार ने कहा- हताशा में आतंकी संगठन
तालिबान दफ्तर में कंपनियों को कराना पड़ेगा पंजीकरण, अफगान सरकार ने कहा- हताशा में आतंकी संगठन

काबुल, रायटर। अफगानिस्तान में कार्यरत निजी कंपनियों और गैर-सरकारी संगठनों पर नियंत्रण के लिए आतंकी संगठन तालिबान ने नया फरमान जारी किया है। इन सभी को अब तालिबान के पास अपना पंजीकरण करना पड़ेगा। अफगान सरकार ने इसे खारिज करते हुए तालिबान द्वारा हताशा में उठाया गया कदम बताया है। गृहयुद्ध में फंसे अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लिए तालिबान और अफगान सरकार के बीच वार्ता की तैयारियों के बीच पिछले हफ्ते ही यह फरमान जारी किया गया है।

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तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि कुछ देशी-विदेशी कंपनियां और एनजीओ ऐसी गतिविधियों में शामिल हैं, जो राष्ट्रीय हितों के खिलाफ है। हम किसी भी एजेंसी को अफगानिस्तान और इस्लाम के खिलाफ काम करने की इजाजत नहीं दे सकते। इसलिए हम इन सभी का पंजीकरण चाहते हैं, ताकि उनकी गतिविधियों का पता चल सके। अफगान सरकार का कहना है कि तालिबान हताशा में है और सरकारी कामकाज पर नियंत्रण पाना चाहता है।

राष्ट्रपति अशरफ गनी के एक प्रवक्ता ने कहा कि कंपनियों और एनजीओ को इसके लिए बाध्य करने का आतंकी संगठन के पास कोई अधिकार नहीं है। अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था विदेशी मदद की मोहताज है। यहां 2,200 से अधिक एनजीओ सक्रिय हैं, जो गरीबों को शिक्षा, स्वास्थ्य व आर्थिक मदद मुहैया करा रहे हैं। पिछले साल तालिबान ने रेड क्रॉस की अंतरराष्ट्रीय समिति और विश्व स्वास्थ्य संगठन को भी अफगानिस्तान में काम करने से रोक दिया था। तालिबान का कहना था कि टीकाकरण अभियान के दौरान इन संगठनों की गतिविधियां संदिग्ध थीं।

तालिबान ने समझौते पर अमेरिका को चेताया

तालिबान ने कहा है कि अगर अमेरिका दोहा समझौते के तहत तय समय पर अपनी सैन्य टुकडि़यों को नहीं हटाता, तो वह अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होगा। रविवार को तालिबान में नंबर दो की हैसियत रखने वाले मुल्ला बरादर ने कहा कि समझौते के अनुसार, 14 महीने के अंदर विदेशी सैनिकों को अफगानिस्तान से चले जाना है। अब तक तो सब ठीक है, लेकिन आगे समझौते का समय से पालन नहीं हुआ, तो तालिबान फैसला लेने के लिए स्वतंत्र होगा।


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