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अफगान हवाई सीमा में न हो अमेरिकी ड्रोन का संचालन, तालिबान ने वाशिंगटन को दिए सख्त निर्देश

पिछले माह तालिबान ने समूचे अफगानिस्तान परअपना कब्जा जमा लिया। इसके बाद देश में अपने अंतरिम सरकार का गठन किया है। अफगानिस्तान में 20 साल रहने के बाद 31 अगस्त को अमेरिकी सेना ने पूरी तरह काबुल को छोड़ दिया।

By Monika MinalEdited By: Published: Wed, 29 Sep 2021 04:21 AM (IST)Updated: Wed, 29 Sep 2021 06:29 AM (IST)
अफगान हवाई सीमा में न हो अमेरिकी ड्रोन का संचालन, तालिबान ने वाशिंगटन को दिए सख्त निर्देश
अफगान हवाई सीमा में न हो अमेरिकी ड्रोन का संचालन, तालिबान ने वाशिंगटन को दिए सख्त निर्देश

 काबुल, एएनआइ। तालिबान (Taliban)  ने मंगलवार को अमेरिका को सख्त लहजे में हिदायत दी है। स्पुतनिक के अनुसार नेगेटिव परिणाम भुगतना  इसलिए इससे बचने के लिए अफगानिस्तान की हवाई सीमा में अमेरिका अपने ड्रोन का संचालन न करे। अमेरिका की इस एक्टिविटी को राष्ट्रीय सुरक्षा में सेंध बताते हुए तालिबान के प्रवक्ता जबिहुल्लाह मुजाहिद (Zabihullah Mujahid) ने सभी देशों और वाशिंगटन को इस मामले में सतर्कता बरतने की हिदायत दी है।

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अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के काबिज होने के बाद से महिलाओं पर पाबंदियों का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस क्रम में काबुल यूनिवर्सिटी में महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। तालिबान की ओर से नियुक्त यूनिवर्सिटी के नए चांसलर मुहम्मद अशरफ गैरत ने सोमवार को यह एलान किया। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी में महिलाओं के बतौर छात्रा या शिक्षिका प्रवेश करने पर अनिश्चितकाल के लिए रोक लगा दी गई है।

तालिबान ने बीती सदी के आखिरी दशक में भी इसी तरह की नीति अपनाई थी। उस दौर के अपने पहले शासन के दौरान तालिबान ने लड़कियों को स्कूल से पूरी तरह दूर कर दिया था। महिलाओं के अकेले घर से निकलने पर रोक लगा दी थी। उनको सिर्फ पुरुष रिश्तेदार के साथ सार्वजनिक स्थानों पर जाने की इजाजत थी। तालिबान ने कुछ दिनों पहले महिला मामलों के मंत्रालय को बंद कर उसकी जगह नया मंत्रालय खोल दिया। जबकि कामकाजी महिलाओं को घर में ही रहने को कहा है। तालिबान ने उत्तरी अफगानिस्तान के पुल-ए-खुमरी शहर के इकलौते महिला आश्रय केंद्र को अपने नियंत्रण में ले लिया है। घरेलू हिंसा से तंग होकर यहां 20 महिलाओं ने शरण ली थी।

पिछले माह तालिबान ने समूचे अफगानिस्तान परअपना कब्जा जमा लिया। इसके बाद देश में अपने अंतरिम सरकार का गठन किया है। अफगानिस्तान में 20 साल रहने के बाद 31 अगस्त को अमेरिकी सेना ने पूरी तरह काबुल को छोड़ दिया। 


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