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समझौते के पहले ही दिन कई जगहों पर तालिबान और अफगान सुरक्षा बलों में झड़प

सात दिन के लिए हिंसा में कमी लाने के समझौते के पहले दिन ही अफगानिस्तान में आठ जगहों पर आतंकी संगठन तालिबान और अफगान सुरक्षा बलों के बीच झड़पें हुई।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 23 Feb 2020 06:37 PM (IST)Updated: Sun, 23 Feb 2020 06:37 PM (IST)
समझौते के पहले ही दिन कई जगहों पर तालिबान और अफगान सुरक्षा बलों में झड़प
समझौते के पहले ही दिन कई जगहों पर तालिबान और अफगान सुरक्षा बलों में झड़प

 काबुल, आइएएनएस। सात दिन के लिए हिंसा में कमी लाने के समझौते के पहले दिन ही अफगानिस्तान में आठ जगहों पर आतंकी संगठन तालिबान और अफगान सुरक्षा बलों के बीच झड़पें हुई। यह समझौता शनिवार आधी रात से प्रभावी हुआ है। अगर यह कामयाब रहा तो तालिबान और अमेरिका के बीच 29 फरवरी को शांति समझौता पर दस्तखत किए जाने की उम्मीद है। दोनों पक्षों के बीच इसको लेकर पिछले 18 महीनों से बातचीत चल रही है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस शांति समझौते से तालिबान और अफगानिस्तान सरकार के बीच बातचीत का मार्ग प्रशस्त होगा।

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शनिवार आधी रात से प्रभावी हुआ है हिंसा में कमी लाने का समझौता

तालिबान और अफगान सुरक्षा बलों के बीच फरयाब, उरुजगान, पकतिया, बल्ख, बघलान, बदगीज, हेलमंद और कापिस प्रांतों में झड़पें हुई। अफगानिस्तान के कार्यकारी रक्षा मंत्री असदउल्ला खालिद ने हालांकि कहा, 'हिंसा में काफी कमी आई है। कुछ क्षेत्रों में कुछ छोटे-मोटे हमलों की खबरें मिली हैं, लेकिन बहुत गंभीर मसला नहीं है।' तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने भी एक ट्वीट में कहा, 'समझौते में सभी प्रांतों के मुख्यालय, विदेशी ठिकाने और अफगान सुरक्षा बलों के मुख्यालय शामिल हैं। समझौते के तहत नहीं आने वाले क्षेत्रों में अगर गोलीबारी और हमला होता है तो इसे समझौते के उल्लंघन के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए। आखिरकार यह राष्ट्रव्यापी संघर्षविराम नहीं है।'

अहम है आंशिक संघर्ष विराम

अमेरिका और तालिबान के बीच होने वाले शांति समझौते से पहले आंशिक संघर्ष विराम को अहम माना जा रहा है। अमेरिका और तालिबान के बीच 29 फरवरी को समझौते पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। समझौते में अफगानिस्तान से सभी अमेरिकी सैनिकों की वापसी और अफगान सरकार के साथ शांति वार्ता शुरू करने की रूपरेखा भी शामिल किए जाने की चर्चा है।

अस्‍थायी नहीं स्‍थायी शांति चाहते हैं अफगान के नागरिक

अफगानिस्तान में हिंसा थमने पर राजधानी काबुल में शनिवार सुबह हबीब उल्ला नामक एक टैक्सी ड्राइवर ने कहा, 'यह पहली सुबह है, जब मैं बम धमाके या आत्मघाती हमले में मारे जाने के डर के बिना जा रहा हूं। उम्मीद करता हूं कि ऐसा हमेशा के लिए रहे।' फजल रहमान नाम के एक सरकारी कर्मचारी ने कहा, 'युद्ध में अस्थायी ठहराव अच्छा है, लेकिन हम स्थायी संघर्ष विराम चाहते हैं।' इमामुद्दीन नामक कारोबारी ने कहा, 'अफगान नागरिक हमेशा के लिए शांति चाहते हैं।'

तालिबानी गढ़ में भी खुशी जताई गई

तालिबान के गढ़ माने जाने वाले दक्षिण कंधार और पूर्वी जलालाबाद में शनिवार को बड़ी संख्या में नागरिक सड़कों पर उतर आए और पारंपरिक पश्तून डांस के जरिये खुशी का इजहार किया था। विशेषज्ञों का मानना है कि हफ्ते भर का संघर्ष विराम सफल रहता है तो इससे यह जाहिर होगा कि तालिबान अपने आतंकियों को नियंत्रित कर सकता है। अमेरिका और तालिबान के बीच होने वाले समझौते के नजरिये से यह अच्छा संकेत होगा।

पिछले दस सालों में एक लाख से ज्‍यादा लोगों की मौत

संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अफगानिस्तान में पिछले दस वर्षो के दौरान एक लाख से ज्यादा नागरिक मारे गए या घायल हुए। यह रिपोर्ट अफगानिस्तान स्थित यूएन मिशन की ओर से जारी की गई है। अफगानिस्तान में पिछले 19 साल से खूनी संघर्ष जारी है। यूएन रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में अफगानिस्तान में 3,493 नागरिकों की मौत हुई और करीब सात हजार घायल हुए थे।


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