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दूतावास पर कब्जा : निकारगुआ के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगा ताइवान

ताइवान के साथ राजनयिक संबंध खराब होते ही निकारगुआ ने उसके दूतावास से जुड़ी संपत्ति को अपने कब्जे में लेने के बाद उसे देश के कैथोलिक चर्च को सौंप दिया है।निकारगुआ ने कहा है कि ताइपे की संपत्ति चीन की है क्योंकि उनकी सरकार केवल चीन को मान्यता देती है।

By Monika MinalEdited By: Published: Sat, 01 Jan 2022 01:29 AM (IST)Updated: Sat, 01 Jan 2022 01:29 AM (IST)
दूतावास पर कब्जा : निकारगुआ के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगा ताइवान
दूतावास पर कब्जा : निकारगुआ के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगा ताइवान

ताइपे, एएनआइ। चीन (China) के इशारे पर ताइवान (Taiwan) दूतावास पर निकारगुआ के कब्जे से बौखलाए ताइवान ने कहा कि वह उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगा। बता दें कि दिसंबर की शुरुआत में दोनों देशों ने अपने राजनयिक संबंध खत्म करने का एलान किया था। निकारगुआ के तानाशाही रवैये की निंदा करते हुए ताइवान के विदेश मंत्रालय ने मध्य अमेरिकी देश की कार्रवाई को गैरकानूनी बताया और मांग की कि उसकी संपत्ति जल्द वापस की जाए।

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राजनयिक संपत्ति की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय कानूनी प्रक्रिया का सहारा

फोकस ताइवान की रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय ने यह भी कहा है कि वह अपनी राजनयिक संपत्ति की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय कानूनी प्रक्रिया का सहारा लेगा और सुनिश्चित करेगा कि इस तरह के गैरकानूनी कार्य के लिए निकारगुआ को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिम्मेदार ठहराया जाए। खबरों के मुताबिक ताइवान के साथ राजनयिक संबंध खराब होते ही निकारगुआ ने उसके दूतावास से जुड़ी संपत्ति को अपने कब्जे में लेने के बाद उसे देश के कैथोलिक चर्च को सौंप दिया है। सोमवार को मीडिया ला प्रेनसा की रिपोर्ट के अनुसार, निकारगुआ ने कहा है कि ताइपे की संपत्ति चीन की है, क्योंकि उनकी सरकार विश्व में केवल एक ही चीन को मान्यता देती है।

चीन ने ताइवानी दंपती की संपत्तियों पर लगाई रोक

चीन ने पिरामिड स्कीम गतिविधियों को लेकर उस कंपनी की संपत्तियों पर रोक लगा दी है, जिसकी स्थापना एक पूर्व ताइवानी अभिनेता और उनकी पत्नी ने की थी। पिरामिड स्कीम में दो से चार, चार से आठ और आगे इसी तरह से लोगों की श्रृंखला बनती जाती है। चीनी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, शंघाई डावेल ट्रेडिंग कंपनी पर आरोप है कि इसने पिरामिड स्कीम के जरिये मुनाफा कमाया और इसे बाहर भेजा और वित्तीय संस्थानों के जरिये छिपा लिया। कंपनी की 9.40 करोड़ डालर (लगभग सात सौ करोड़ रुपये) की संपत्तियों पर रोक लगाई गई है।


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