रवांडा नरसंहार का संदिग्ध 26 साल बाद गिरफ्तार, करीब 37 करोड़ रुपये का था इनाम
फेलेशियन कबुगा को 1997 में सात आपराधिक मामलों में दोषी ठहराया गया था जिनमें नरसंहार सहित नरसंहार में सहभागिता और नरसंहार करने के लिए उकसाना शामिल था।
पेरिस/कंपाला, रायटर। रवांडा नरसंहार के संदिग्ध फेलिशियन कबुगा को 26 साल बाद शनिवार को पेरिस के पास से गिरफ्तार कर लिया गया। उस पर करीब आठ लाख लोगों का नरसंहार करने वाली सेना को धन देने का आरोप है। यह जानकारी फ्रांस के न्याय मंत्रालय ने दी।
मंत्रालय के अनुसार, 84 वर्षीय कबुगा रवांडा का सबसे वांछित व्यक्ति था और असनिरेस-सुर-सीन के एक फ्लैट में फर्जी नाम से रह रहा था। उसके सिर पर पांच मिलियन अमेरिकी डॉलर (करीब 37 करोड़ रुपये) का इनाम था। फ्रांस की पुलिस ने उसे शनिवार को सुबह 5:30 बजे गिरफ्तार किया।
सात मामलों में ठहराया गया दोषी
कबुगा को 1997 में सात आपराधिक मामलों में दोषी ठहराया गया था जिनमें नरसंहार सहित, नरसंहार में सहभागिता और नरसंहार करने के लिए उकसाना शामिल था। ये सभी मामले 1994 के रवांडा नरसंहार से संबंधित थे।
रवांडा में दो मुख्य जातीय समूह हैं, जिनका आपस में संघर्ष चलता रहा है और उन्होंने पिछली सदी के अंतिम दशक की शुरुआत में गृह युद्ध लड़ा। कबुगा खुद एक हुतु व्यवसायी था और उस पर 1994 में 100 दिनों की अवधि में 8,00,000 तुत्सी समुदाय के लोगों का नरसंहार करने वाली सेना को धन देने का आरोप है।
रवांडा में 100 दिनों तक चला था नरसंहार
रवांडा में 1994 में अप्रैल से लेकर जून तक 100 दिनों के भीतर 8 लाख लोगों की हत्या हुई थी। नरसंहार की शुरुआत रवांडा के तब के राष्ट्रपति जुवेनल हाबयारिमाना की हत्या के बाद हुई थी। जुवेनल अप्रैल 1994 को बुरुंडी के राष्ट्रपति केपरियल नतारयामिरा के साथ प्लेन से जा रहे थे, जिसे रवांडा के किगाली में मार गिराया गया था। राष्ट्रपति जुवेनल हूतू समुदाय से थे, जो रवांडा में बहुसंख्यक थे। हूतू समुदाय के लोगों ने वहां तुत्सी समुदाय को हत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया और हत्याओं का दौर शुरू हो गया।