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श्रीलंका का राजनीतिक संकट: संसद सत्र नहीं बुलाएंगे राष्ट्रपति सिरिसेन

राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेन की पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने गुरुवार की शाम कहा कि 16 नवंबर से पहले संसद का सत्र नहीं बुलाया जाएगा।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Thu, 01 Nov 2018 08:11 AM (IST)Updated: Fri, 02 Nov 2018 12:35 AM (IST)
श्रीलंका का राजनीतिक संकट: संसद सत्र नहीं बुलाएंगे राष्ट्रपति सिरिसेन
श्रीलंका का राजनीतिक संकट: संसद सत्र नहीं बुलाएंगे राष्ट्रपति सिरिसेन

कोलंबो, प्रेट्र। श्रीलंका में जारी राजनीतिक संकट एक बार फिर पहले की स्थिति में पहुंच गया है। राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेन की पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने गुरुवार की शाम कहा कि 16 नवंबर से पहले संसद का सत्र नहीं बुलाया जाएगा। इससे पहले दिन में प्रधानमंत्री नियुक्त महिंद्रा राजपक्षे के दफ्तर से ऐसे संकेत मिले थे कि राष्ट्रपति 5 नवंबर को संसद का सत्र बुलाने के लिए राजी हो गए हैं। 

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राष्ट्रपति की पार्टी यूनाइटेड पीपुल्स फ्रीडम अलायंस (यूपीएफए) के वरिष्ठ सांसद सुसील प्रेमजयंत ने कहा कि 5 नवंबर को संसद सत्र बुलाए जाने की संभावना नहीं है। संसद सत्र बुलाने के लिए बड़ी तैयारी करनी पड़ती है और सोमवार को संसद सत्र बुलाने के लिए पर्याप्त समय नहीं है।

उन्होंने 5 नवंबर को संसद का सत्र बुलाए जाने से संबंधित खबरों को भी भ्रामक बताया और संभावना जताई कि राष्ट्रपति की पूर्व की घोषणा के मुताबिक 16 नवंबर को ही संसद सत्र आयोजित किया जाएगा। विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त करने के फैसले के लिए सिरिसेन पर राजनीतिक और कूटनीतिक दबाव है।

इस घटनाक्रम से पहले 225 सदस्यीय संसद में विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के 106 सदस्य थे, जबकि सिरिसेन और राजपक्षे दोनों की पार्टी को मिलाकर कुल 95 सदस्य थे। लेकिन राजनीतिक उठापटक के दौर में विक्रमसिंघे की पार्टी के पांच सांसदों ने राजपक्षे का दामन थाम लिया था। इस समय राजपक्षे के पाले में कुल 101 सदस्य हैं।

बहुमत साबित करने के लिए कुल 113 सदस्यों के समर्थन की जरूरत है। अब सारा दारोमदार तमिल नेशनल अलायंस (टीएनए) और पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (जेवीपी) पर है। टीएनए के 16 और जेवीपी के 6 सांसद हैं।

पाकिस्तान ने राजपक्षे को पीएम के रूप में मान्यता दी
पाकिस्तान ने भी महिंद्रा राजपक्षे को श्रीलंका के प्रधानमंत्री के रूप में गुरुवार को मान्यता दे दी। चीन और बुरुंडी के बाद ऐसा करने वाला पाकिस्तान तीसरा देश बन गया है। श्रीलंका में पाकिस्तान के उच्चायुक्त शाहिद अहमद हशमत ने राजपक्षे से मुलाकात की और प्रधानमंत्री बनने पर बधाई दी। उच्चायुक्त ने श्रीलंका की लोकतांत्रिक और संवैधानिक प्रक्रिया में पाकिस्तान के सहयोग की बात दोहराई। उन्होंने उम्मीद जताई कि जारी राजनीतिक संकट का जल्द शांतिपूर्ण समाधान निकल आएगा।

उम्मीद है संवैधानिक प्रक्रियाओं का सम्मान होगा : भारत
नई दिल्ली। श्रीलंका में जारी राजनीतिक उथल-पुथल के बीच भारत ने गुरुवार को उम्मीद जताई कि द्वीपीय देश में लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक प्रक्रिया का सम्मान किया जाएगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि श्रीलंका के हालात पर भारत की पैनी नजर है। भारत और श्रीलंका के बीच मजबूत दोस्ताना संबंध है और श्रीलंका की मित्रवत जनता के लिए भारत विकास कार्यों में मदद जारी रखेगा।

संयुक्त राष्ट्र के दूत ने राष्ट्रपति से ताजा हालात पर चर्चा की 
राजनीतिक गहमागहमी के बीच श्रीलंका में संयुक्त राष्ट्र के स्थानीय समन्वयक हान्ना सिंगर ने कोलंबो में राष्ट्रपति सिरिसेन से मुलाकात की और मौजूदा राजनीतिक संकट पर चर्चा की। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतेरस के हालात पर चिंता जताए जाने के एक दिन बाद यह मुलाकात हुई। राष्ट्रपति ने उन्हें भरोसा दिलाया कि सरकार ने संविधान के अनुसार ही कदम उठाए हैं और लोकतांत्रिक ढांचे के तहत ही काम हो रहे हैं।

अमेरिका ने सभी पक्षों से कानून का सम्मान करने की अपील की 
अमेरिका ने राजनीतिक गतिरोध खत्म करने के लिए श्रीलंका के राष्ट्रपति से संसद का सत्र बुलाने और सांसदों को अपनी सरकार का मुखिया चुनने का मौका देने की अपील की है। विदेश मंत्रालय के डिप्टी प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका का मानना है कि प्रधानमंत्री कौन होगा? इसका निर्धारण श्रीलंकाई कानून और उचित प्रक्रिया के जरिये होना चाहिए। सभी पक्षों को कानून और उचित प्रक्रिया का सम्मान करना चाहिए।


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