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श्रीलंका: संसद में विक्रमसिंघे के बहुमत सिद्ध करने से राजनीतिक संकट और गहराया

बुधवार को संसद में पेश विश्वास प्रस्ताव पर विक्रमसिंघे के पक्ष में 117 सांसदों ने वोट दिए, 225 सदस्यों वाले सदन में बहुमत के लिए बहुमत का आंकड़ा 113 है।

By TaniskEdited By: Published: Wed, 12 Dec 2018 09:22 PM (IST)Updated: Wed, 12 Dec 2018 09:22 PM (IST)
श्रीलंका: संसद में विक्रमसिंघे के बहुमत सिद्ध करने से राजनीतिक संकट और गहराया
श्रीलंका: संसद में विक्रमसिंघे के बहुमत सिद्ध करने से राजनीतिक संकट और गहराया

कोलंबो, प्रेट्र। श्रीलंका में राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेन द्वारा प्रधानमंत्री पद से अपदस्थ किए गए रानिल विक्रमसिंघे ने बुधवार को संसद में बहुमत साबित कर दिया। इससे श्रीलंका का राजनीतिक संकट और गहरा गया है। इससे पहले संसद सिरिसेन के नामित प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कर चुकी है। श्रीलंका की अदालत भी राजपक्षे के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करने पर रोक लगा चुकी है। इस बीच राजपक्षे के खिलाफ 122 सांसदों की याचिकाओं पर अदालत ने सुनवाई टाल दी है। इन याचिकाओं पर अब 16 जनवरी से सुनवाई शुरू होगी।

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इससे पहले देश की सुप्रीम कोर्ट संसद को भंग करने और मध्यावधि चुनाव कराने के राष्ट्रपति के फैसले को रद कर चुका है। संसद के स्पीकर ने भी राष्ट्रपति के फैसले पर सवाल खड़े किए थे। बुधवार को संसद में पेश विश्वास प्रस्ताव पर विक्रमसिंघे के पक्ष में 117 सांसदों ने वोट दिए, 225 सदस्यों वाले सदन में बहुमत के लिए बहुमत का आंकड़ा 113 है।

राजनीतिक विश्लेषक संसद के पारित प्रस्ताव को राष्ट्रपति पर दबाव के तौर पर देख रहे हैं। इससे बहुमत प्राप्त विक्रमसिंघे को फिर से प्रधानमंत्री पद पर बहाल करने का सिरिसेन पर दबाव बन गया है। वैसे सिरिसेन इस तरह के किसी कदम से पहले ही इन्कार कर चुके हैं। वह विक्रमसिंघे के प्रति अपनी नापसंदगी को भी सार्वजनिक कर चुके हैं।

श्रीलंका 26 अक्टूबर को विक्रमसिंघे को बर्खास्त किए जाने के सिरिसेन के फैसले के बाद से लगातार राजनीतिक संकट में घिरा हुआ है। देश में दो प्रधानमंत्री कार्य कर रहे हैं। पूरी सरकारी मशीनरी असमंजस में है। दुनिया से देश का कूटनीतिक संपर्क टूटा हुआ है।


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