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'हम मरने जा रहे हैं...' श्रीलंका के शख्‍स ने बयां किया दर्द, PM ने चेताया- आगामी संकट के लिए रहे तैयार

श्रीलंका का आर्थिक संकट कब खत्‍म होगा इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है। आम जनता रसोई गैस भोजन सामग्री जैसी मूलभूत जरूरतों के लिए परेशान है। इधर पीएम रानिल विक्रमसिंघे ने कहा है कि आने वाले दिनों में मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।

By TilakrajEdited By: Published: Fri, 20 May 2022 02:37 PM (IST)Updated: Fri, 20 May 2022 02:37 PM (IST)
श्रीलंका को विदेशी मुद्रा, ईंधन और दवाओं की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा

कोलंबो, रायटर। श्रीलंका का आर्थिक संकट बढ़ता जा रहा है। सरकार के पास तेल खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। इसकी चौतरफा मार आम लोगों पर पड़ रही है। महंगाई सातवें आसमान पर पहुंच गई है। रसोई गैस और केरोसीन की दुकानों के बाहर लंबी-लंबी लाइन लग रही हैं। अगली फसल की रोपाई का समय आ गया है, लेकिन उर्वरक का आयात नहीं हो रहा है। ऐसे में वहां आम लोग जिन मुश्किलों के साथ जीवन बिता रहे हैं, उसकी सिर्फ कल्‍पना ही की जा सकती है। हालांकि, सरकार लगातार आश्‍वासन दे रही है कि हालात ठीक करने की पूरी कोशिश की जा रही है।

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श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने देशवासियों को चेताया कि अगामी दिनों में भोजन सामाग्री की कमी हो सकती है। हालांकि, उन्‍होंने कहा कि सरकार पैदावार को बढ़ावा देने के मकसद से इस रोपाई सीजन के लिए पर्याप्‍त उर्वरक खरीदेगी। बता दें कि पिछले साल अप्रैल में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे द्वारा सभी रासायनिक उर्वरकों पर प्रतिबंध लगाने के फैसले से फसल की पैदावार में भारी कटौती हुई। हालांकि, सरकार ने प्रतिबंध को उलट दिया है, लेकिन फिर भी कोई बड़ा आयात नहीं हुआ है।

श्रीलंका में हालात रातोंरात बदलने वाले नहीं हैं। इस बात से हर कोई वाकिफ है। पीएम विक्रमसिंघे ने भी इस बात को स्‍वीकार किया। उन्‍होंने ट्वीट किया- 'हालांकि, इस साल(मई-अगस्त) सीजन के लिए उर्वरक प्राप्त करने का समय नहीं है, अगले (सितंबर-मार्च) सीजन के लिए पर्याप्त स्टॉक सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। मैं ईमानदारी से सभी से स्थिति की गंभीरता को स्वीकार करने का आग्रह करता हूं।' इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि श्रीलंका इस समय किन मुश्किल परिस्थितियों का सामना कर रहा है।

पर्यटन पर निर्भर श्रीलंका को विदेशी मुद्रा, ईंधन और दवाओं की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है, और आर्थिक गतिविधि धीमी हो गई है। पी.डी. वाणिज्यिक सुमनवती ने कहा, 'जीवन कितना कठिन है, इस बारे में बात करने का कोई मतलब नहीं है। मैं भविष्यवाणी नहीं कर सकता कि दो महीने में चीजें कैसी होंगी, यह भी नहीं कहा जा सकता कि हम कहां होंगे।'

राजधानी कोलंबो के पेट्टा बाजार के एक दृश्‍य सबकुछ बयां कर दिया। एक 60 वर्षीय महिला फल और सब्जियां बेच रही थी। पास ही, रसोई गैस सिलेंडर बेचने वाली एक दुकान के सामने एक लंबी कतार लग गई थी, जिसकी कीमतें अप्रैल में 2,675 रुपये से बढ़कर लगभग 5,000 रुपये ($14) हो गई हैं। सिलेंडर मिलने की उम्‍मीद में लाइन में खड़े मोहम्मद शाज़ली ने कहा, 'आज सिर्फ लगभग 200 सिलेंडर वितरित किए गए, हालांकि लाइन में लगभग 500 लोग थे।' उन्‍होंने अपना दर्द बयां करते हुए आगे कहा, 'हमारा पांच लोगों का परिवार है। खाना पकाने की उम्मीद में तीसरे दिन कतार में खड़ा हुआ था। गैस के बिना, मिट्टी के तेल के बिना, हम खाना कैसे बना सकते हैं। आखिरी विकल्प क्या है? भोजन के बिना हम मरने वाले हैं। यह सौ प्रतिशत होगा।'

श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने गुरुवार को कहा कि ईंधन और रसोई गैस शिपमेंट के भुगतान के लिए विश्व बैंक के ऋण से विदेशी मुद्रा सुरक्षित की गई थी, लेकिन प्रयास अभी भी जारी हैं। इस बीच श्रीलंका में विरोध प्रदर्शन जारी है। इधर भारत भी आर्थिक संकट में घिर अपने पड़ोसी देश की हरसंभव मदद करने की कोशिश कर रहा है।


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