बांग्लादेश से दो साल में होगी रोहिंग्या मुस्लिमों की म्यांमार वापसी
बांग्लादेश सरकार ने मंगलवार को कहा कि शरणार्थियों को लेकर पहली बार स्पष्ट समय सीमा का जिक्र किया गया है।
यंगून, एएफपी/रायटर। सैन्य कार्रवाई के चलते म्यांमार से बांग्लादेश में विस्थापित हुए लाखों रोहिंग्या मुस्लिमों की स्वदेश वापसी का रास्ता साफ गया है। म्यांमार और बांग्लादेश के बीच दो साल में इन लोगों की स्वदेश वापसी को लेकर सहमति बन गई है। बांग्लादेश सरकार ने मंगलवार को कहा कि शरणार्थियों को लेकर पहली बार स्पष्ट समय सीमा का जिक्र किया गया है।
म्यांमार की राजधानी नेपीता में इसी हफ्ते समझौते पर मुहर लगी। यह समझौता हिंसा और सैन्य कार्रवाई के चलते अक्टूबर, 2016 से म्यांमार के रखाइन प्रांत से भागकर बांग्लादेश में शरण लेने वाले करीब साढ़े सात लाख रोहिंग्या मुस्लिमों पर लागू होगा। बांग्लादेश सरकार ने एक बयान में कहा कि समझौते का मकसद दो साल में रोहिंग्या की स्वदेश वापसी कराने का है। बयान में हालांकि इस बात का जिक्र नहीं किया गया है कि स्वदेश वापसी की शुरुआत कब होगी? लेकिन म्यांमार की सरकार ने कहा है कि वह 23 जनवरी से उनका स्वागत करने की राह पर है।
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस बात पर सहमति बनी है कि जिन परिवारों के पास अपना घर नहीं है उन्हें म्यांमार में अस्थायी घर मुहैया कराया जाएगा। बांग्लादेश पांच ट्रांजिट कैंप लगाएगा जहां से रोहिंग्या को सीमा पार म्यांमार के दो स्वागत केंद्रों में भेजा जाएगा।
बीते अगस्त में सैन्य कार्रवाई के बाद बड़ा पलायन
पिछले साल अगस्त में व्यापक सैन्य कार्रवाई के चलते म्यांमार के रखाइन प्रांत से करीब साढ़े छह लाख रोहिंग्या मुस्लिम बांग्लादेश पहुंचे थे। यह म्यांमार से सबसे बड़ा पलायन था। पिछले साल 25 अगस्त को रोहिंग्या आतंकियों ने सेना को निशाना बनाया था। इसके बाद सेना ने यह अभियान छेड़ा था।
दो लाख रोहिंग्या का जिक्र नहीं
म्यांमार और बांग्लादेश के बीच हुए इस समझौते में उन करीब दो लाख रोहिंग्या शरणार्थियों का जिक्र नहीं है जो अक्टूबर, 2016 से पहले से बांग्लादेश में रह रहे हैं। ये लोग भी सांप्रदायिक हिंसा के चलते विस्थापित हुए थे।
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