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ब्रिटेन के नए कोरोना वैरियंट के खिलाफ प्रभावी है फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन, अध्ययन में दावा

एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि फाइजर-बायोएनटेक की कोरोना वायरस वैक्सीन ब्रिटेन में मिले नए कोरोना वैरियंट के खिलाफ प्रभावी है। वैक्सीन को लेकर लैब टेस्ट के परिणामों में इसके वायरस से बचाने की संभावना है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 04:12 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 04:29 PM (IST)
ब्रिटेन के नए कोरोना वैरियंट के खिलाफ प्रभावी है फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन, अध्ययन में दावा
फाइजर-बायोएनटेक द्वारा विकसित कोरोना वैक्सीन का प्रभाव।(फोटो: रायटर)

फ्रैंकफर्ट, रायटर। कोरोना वैक्सीन आने के बाद अब लोगों के मन में ये सवाल आ रहा है कि आखिर ये वैक्सीन क्या कोरोना वायरस के नए वैरियंट के खिलाफ कारगर हो पाएगी ? इसको लेकर एक नए अध्ययन में बड़ा दावा किया गया है। एक अध्ययन में दावा किया गया है कि फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन ब्रिटेन में मिले कोरोना के नए वैरियंट के खिलाफ प्रभावी है। फाइजर-बायोएनटेक(Pfizer-BioNTech) द्वारा विकसित कोरोना वैक्सीन को लेकर बुधवार को जारी किए गए लैब परीक्षणों के परिणामों के अनुसार, इसके वायरस के अधिक संक्रामक संस्करण से बचाने की संभावना है। ब्रिटेन में मिले कोरोना के नए वैरियंट के कारण वहां स्थिति काफी गंभीर बनी हुई है।

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परीक्षणों में भाग लेने वालों के रक्त के विश्लेषण के आधार पर उत्साहजनक परिणाम पिछले सप्ताह अमेरिकी दवा निर्माता द्वारा जारी किए गए अधिक व्यापक विश्लेषण पर आधारित हैं।

पिछले हफ्ते, फाइजर ने कहा कि इसी तरह के एक प्रयोगशाला अध्ययन से पता चला है कि वैक्सीन एक प्रमुख म्यूटेशन के खिलाफ प्रभावी था, जिसे N501Y कहा जाता है, जो ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में फैलने वाले दोनों उच्च परिवर्तनीय नए वेरिएंट में पाया जाता है।

नवीनतम अध्ययन, जिसे अभी तक सहकर्मी की समीक्षा नहीं की गई है, कोरोना के 10 वैरियंट पर आयोजित किया गया था, जो कि ब्रिटेन में पहचाने गए बी 117 के रूप में जाने वाले संस्करण की विशेषता है।

फाइजर ने पहले भी किया था दावा

फाइजर ने इससे पहले बहुत छोटे स्तर पर एक अध्ययन में दावा किया था कि उसकी वैक्सीन कोरोना के नए वैरियंट के खिलाफ कारगर है। फाइजर के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डॉक्टर फिलिप डोरमाइजर ने कहा था कि हालांकि यह बहुत छोटे स्तर पर किया गया अध्ययन है और अभी शुरुआती चरणों में ही है लेकिन इसके परिणाम उत्साहजनक हैं। चिकित्सा अनुसंधान के लिए यह महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। अब नए अध्ययन ने इस पर मुहर लगा दी है।


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