UN में PoK का मुद्दा, पाक की गिरफ्त से आजादी को बेताब गुलाम कश्मीर की जनता: एक्टिविस्ट
एक्टिविस्ट ने संयुक्त राष्ट्र में गुलाम कश्मीर में हो रहे पाकिस्तान की करतूतों पर से पर्दा हटाया और कहा कि वहां की जनता पाकिस्तान के गिरफ्त से आजादी चाहती है।
जेनेवा, एएनआइ। गुलाम कश्मीर (PoK) में पाकिस्तान द्वारा उत्पीड़न और अत्याचार का सिलसिला जारी है। वहां के एक एक्टिविस्ट अमजद अयूब मिर्जा ( Amjad Ayub Mirza) ने संयुक्त राष्ट्र को बताया कि वहां रहने वाले लोग पाकिस्तान से आजाद होने के लिए बेचैन हैं। वे सब केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख में शामिल होने की चाहत रखते हैं।
UN के मानवाधिकार परिषद में 'विकास के अधिकार (Right of Development)' पर चर्चा के दौरान बोलते हुए मिर्जा ने कहा कि आतंक विरोधी कानून पाकिस्तान द्वारा लागू किया गया है और इसका इस्तेमाल किसी तरह के मतभेद या असहमति को कुचलने और दबाने के लिए किया जा रहा है। मिर्जा ब्रिटेन के राइट्स ग्रुप सेंटर फॉर एन्वायर्नमेंटल एंड मैनेजमेंट स्टडीज के हेड हैं।
उन्होंने कहा, 'हमने संयुक्त राष्ट्र से आग्रह किया है कि वे गुलाम कश्मीर के इस मुद्दे को देखें। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि पाकिस्तान की मनगढंत किस्से कहानियों ने दुनिया को भी बहला लिया है। चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे ( China-Pakistan Economic Corridor, CPEC) का जिक्र करते हुए एक्टिविस्ट ने कहा कि करोड़ों डॉलर की लागत वाले प्रोजेक्ट के तहत नदियों को हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के लिए डायवर्ट किया गया है जिससे गुलाम कश्मीर को पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा, ' CPEC के तहत हमारी नदियों को हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के लिए डायवर्ट कर दिया गया और इससे पानी की कमी हो गई है जो एक नई समस्या है। ये प्रोजेक्ट हमेशा के लिए हमारे इकोलॉजी को नष्ट कर देंगे। गिलगित बाल्टिस्तान के सैंकड़ों युवाओं को कैद कर लिया गया है क्योंकि ये सभी प्रोजेक्ट के कारण होने वाली प्राकृतिक संसाधनों के दोहन का विरोध कर रहे थे।' उन्होंने कहा, 'आतंकरोधी कानूनों का इस्तेमाल किसी तरह के असहमति को दबाने के लिए किया जाता है। सीमा पार फायरिंग के दौरान हमारी महिलाएं बंकरों में जाने से इनकार करती हैं क्योंकि पाकिस्तानी सैनिक उनका शोषण करते हैं।'