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शिकारियों के चलते दुनिया में अब बचा सिर्फ एक सफेद जिराफ, संख्या बढ़ने की उम्मीद खत्म

शिकारियों की वजह से दुनिया से दुर्लभ किस्म के जानवर खत्म होते जा रहे हैं। अब शिकारियों ने सफेद जिराफों का शिकार करके उनकी संख्या लगभग खत्म कर दी है।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Wed, 11 Mar 2020 05:12 PM (IST)Updated: Wed, 11 Mar 2020 10:36 PM (IST)
शिकारियों के चलते दुनिया में अब बचा सिर्फ एक सफेद जिराफ, संख्या बढ़ने की उम्मीद खत्म

नैरोबी, एजेंसी। वैसे तो धरती से दुर्लभ किस्म के जानवरों की संख्या पहले से ही कम होती जा रही है वहीं दूसरी ओर कुछ देशों में शिकारी ऐसे जानवरों का शिकार करके उनकी संख्या को और भी कम करने में लगे हैं। कुछ दिन पहले केन्या के जंगलों में शिकारियों ने ऐसे ही दो सफेद जिराफों को मार डाला। दुनिया में सफेद जिराफों की संख्या पहले ही बहुत कम थी अब इन दोनों को मार दिए जाने के बाद से मात्र एक जिराफ बच गया है। शिकारियों द्वारा मारे जाने वालों में नर जिराफ और उसका बछड़ा शामिल है। अब एक नर सफेद जिराफ बच गया है। 

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सशस्त्र शिकारियों ने मारा, मिला कंकाल 

डेली मेल व अन्य विदेश मीडिया के अनुसार इशाकबीनी हिरोला सामुदायिक संरक्षण ने एक बयान में कहा कि पूर्वी केन्या में गरिसा में सशस्त्र शिकारियों द्वारा मारे जाने के बाद दो जिराफों के शव कंकाल अवस्था में पाए गए हैं। इस घटना के बारे में पता चलने पर संरक्षणवादियों ने कहा कि दुनिया में कहीं और पाए जाने वाले दुर्लभ जानवरों के लिए एक बड़ा झटका है। बताया जाता है कि अब सिर्फ एक नर सफेर जिराफ इस जंगल में बचा रह गया है, ये उस समय इन शिकारियों की रेंज से बाहर था इस वजह से वो उनकी गोली का शिकार नहीं हो पाया।

इस तरह के जानवरों का संरक्षण करने वाली संस्था के प्रबंधक मोहम्मद अहमदूर ने कहा कि यह केन्या के समुदाय के लिए बहुत दुखद दिन है। हम दुनिया के एकमात्र समुदाय हैं जो सफेद जिराफ के संरक्षक हैं। उन्होंने कहा कि शिकारियों के इस तरह के काम से ऐसे जानवरों के संरक्षण के लिए उठाए जाने वाले कदमों को भी धक्का लगा है। 

संस्था कर रही बचाने का प्रयास, शिकारी कर रहे शिकार 

हम लोग ऐसे जानवरों को बचाने के लिए तमाम तरह के उपाय कर रहे हैं, उन्हें संरक्षित कर रहे हैं मगर कुछ लोग इन चीजों को खत्म करने में लगे हुए हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। ऐसे दुर्लभ जानवरों की हत्या किए जाने से अब यहां के पर्यटन और अनुसंधान उद्योगों को बड़ा झटका है।

उन्होंने कहा कि यह एक दीर्घकालिक नुकसान है। इन दुर्लभ जानवरों पर शोध भी किए जा रहे थे और इनके जरिए इनकी प्रजाति को बढ़ाने पर भी काम हो रहा था जो अब पूरी तरह से बंद हो जाएगा। ये महत्वपूर्ण शोध थे जो अब बंद हो गए। यदि इन पर किए जा रहे शोध सफल होते तो इन सफेद जिराफों की संख्या में भी बढ़ोतरी हो जाती, इससे यहां पर्यटन क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलता मगर शिकारियों ने इसे पूरी तरह से बंद करवा दिया। 

केन्या में सफेद जिराफ को देखने के लिए बहुत बड़े पैमाने पर लोग आते थे। साल 2017 में जब उसने दो बछड़ों को जन्म दिया तो उसे देखने के लिए लोगों में काफी उत्सुकता बढ़ी थी। दरअसल ये सफेद जिराफ रात के अंधेरे में भी दिखाई दे जाते थे, इन्हें देखने के लिए पर्यटक रात के अंधेरे में अधिक आते थे मगर अब वो बंद हो जाएंगे। ये अपने आप में अनूठे थे।

श्रमिकों ने सफेद जिराफ के बारे में दी थी संरक्षण संस्थाओं को जानकारी

हिरोला संरक्षण कार्यक्रम में श्रमिकों ने 2017 में बताया था कि कैसे स्थानीय समुदाय रेंजरों ने उन्हें जिराफों के बारे में बताया था। सुरक्षाकर्मियों ने उस समय कहा कि वे इतने करीब और बेहद शांत थे और हमारी मौजूदगी से परेशान नहीं होते थे। जब लोग सफेद जिराफ की मॉ को उसके बछड़े के साथ देख लेते थे तो वो अपने बच्चे को छिपाने की कोशिश करती थी, जैसा की हर मॉ किसी अनहोनी को ध्यान में रखकर अपने बच्चे को बचाने का प्रयास करती है।

केन्या से पहले 2016 में तंजानिया के तारंगेयर नेशनल पार्क में पहले सफेद जिराफ देखे जाने की सूचना मिली थी। यह स्पष्ट नहीं है कि उस जानवर का क्या हुआ था लेकिन संरक्षण करने वाली संस्थाओं का कहना है कि केन्या में जीवित बछड़ा केवल एक ही है। जिराफ़ कंजर्वेशन फाउंडेशन का कहना है कि अफ्रीका में जिराफों की कुल संख्या 1980 के दशक के बाद 30 प्रतिशत कम हो गई है और कुछ क्षेत्रों में 95 प्रतिशत हो गई है।

सफेद जिराफों की हत्या ने जानवरों के सामने आने वाले खतरों को उजागर किया, जिसमें उनके मांस और छिपने के अवैध शिकार के साथ-साथ बुनियादी ढांचे के विकास और कृषि और जलाऊ लकड़ी के लिए भूमि की सफाई के कारण उनके निवास स्थान का नुकसान भी शामिल है।

केन्या में दुर्लभ जीवों की संख्या अधिक

केन्या में कई तरह से दुर्लभ जीव-जंतु पाए जाते हैं। यहां ऐसे जीव जंतु पर्यटन का एक बड़ा स्त्रोत हैं। केन्या अपने यहां हाथी दांतों और गैड़ों की आबादी के लिए भी जाना जाता है। हाथी दांत और गैंडें की सींगों की तस्करी करने वाले इनका भी शिकार करते रहते हैं। इन दोनों का इस्तेमाल पारंपरिक चिकित्सा सामग्री में भी किया जाता है। इस वजह से इनकी तस्करी की जाती है।


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