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इन सूक्ष्म कणों के कारण, समुद्र को साफ रखने वाले समुद्री जीवों पर मंडरा रहा खतरा

बंगाल की खाड़ी, भूमध्य सागर और मैक्सिको की खाड़ी को लेकर वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 06 Feb 2018 03:22 PM (IST)Updated: Wed, 07 Feb 2018 08:28 AM (IST)
इन सूक्ष्म कणों के कारण, समुद्र को साफ रखने वाले समुद्री जीवों पर मंडरा रहा खतरा

मेलबर्न (प्रेट्र)। प्लास्टिक के सूक्ष्म कण (माइक्रोप्लास्टिक) बड़े समुद्री जीवों के लिए घातक बनते जा रहे हैं। समुद्र को साफ रखने में अहम भूमिका निभाने वाले समुद्री जीव व्हेल, शार्क और मान्टा रे आदि इसकी चपेट में आ रहे हैं। वैज्ञानिकों ने खासतौर पर सबसे ज्यादा प्रदूषित बंगाल की खाड़ी, भूमध्य सागर और मैक्सिको की खाड़ी को लेकर यह चेतावनी दी है।

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बदल सकती है जीवों की जैविक प्रक्रिया

ऑस्ट्रेलिया की मर्डोक यूनिवर्सिटी और इटली की सिएना यूनिवर्सिटी के शोधर्कताओं का कहना है कि माइक्रोप्लास्टिक्स में जहरीले रसायन होते हैं। जीवों के पेट में ये इकट्ठे होते रहते हैं और उनकी जैविक प्रक्रिया को बदल देते हैं। इसमें उनका विकास, प्रजनन और प्रजनन क्षमता शामिल हैं। यह शोध ट्रेंड्स इन इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

पाचनतंत्र हो जाता है खराब 

मर्डोक यूनिवर्सिटी की पीएचडी छात्रा एलिट्जा जर्मनोव बताती हैं कि समुद्र को साफ रखने में अहम भूमिका निभाने वाले बड़े समुद्री जीवों को इसलिए ज्यादा खतरा है क्योंकि छोटे समुद्री जीव और वनस्पति के सेवन के दौरान उन्हें हजारों क्यूबिक पानी रोज निगलना पड़ता है। जब ना पचने वाले माइक्रोप्लास्टिक उनके पेट में चले जाते हैं तो इससे उनका पाचनतंत्र खराब हो जाता है।

कुछ प्रजातियों का हो रहा संरक्षण

सिएना यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता मारिया क्रिस्टीना फोसी कहती हैं कि कैलिफोर्निया की खाड़ी और भूमध्य सागर में व्हेल और शार्क पर किए शोध में उनमें जहरीले पदार्थ पाए गए हैं। माइक्रोप्लास्टिक्स में इन जीवों के प्रजनन को प्रभावित करने की क्षमता है। कई प्रजातियां ऐसी हैं जो लंबे समय तक जीवित रहती हैं और अपने जीवनकाल में बहुत कम प्रजनन करती हैं। इनमें से कुछ प्रजातियां अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) की संरक्षण सूची में शामिल हैं।

क्या होते हैं माइक्रोप्लास्टिक

प्लास्टिक के पांच मिलीमीटर से भी छोटे कणों को माइक्रोप्लास्टिक कहते हैं। आमतौर पर ये सौंदर्य प्रसाधनों, कपड़ों और औद्योगिक प्रक्रियाओं में उपयोग में आते हैं। ये ड्रेनेज के जरिये नदियों और वहां से समुद्र में पहुंचते है। 


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