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Rule For Mountaineer: एवरेस्ट फतह करना है तो देना होगा मेडिकल सर्टिफ‍िकेट

Rule For Mountaineer नेपाल पर्यटन विभाग एवरेस्‍ट फतह करने वालों के लिए नए नियम लागू करने का जा रहा है। ताकि एवरेस्‍ट फतह के दौरान होने वाली मौतों पर अंकुश लग सके।

By Jagran News NetworkEdited By: Published: Mon, 16 Dec 2019 09:01 PM (IST)Updated: Mon, 16 Dec 2019 09:17 PM (IST)
Rule For Mountaineer:  एवरेस्ट फतह करना है तो देना होगा मेडिकल सर्टिफ‍िकेट
Rule For Mountaineer: एवरेस्ट फतह करना है तो देना होगा मेडिकल सर्टिफ‍िकेट

काठमांडू, आइएएनएस । माउंट एवरेस्‍ट फतह के दौरान पर्वतारोहियों की होने वाली मौत को लेकर नेपाल पर्यटन विभाग गंभीर हो गया है। पर्यटन विभाग माउंट एवरेस्‍ट फतह करने के इच्‍छुक पर्वतारोहियों के लिए अगले सीजन से नए नियम लागू करने जा रहा है।

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नए नियम लागू होने के बाद एवरेस्‍ट फतह करने के लिए पर्वतारोहियों को अपना मेडिकल सर्टिफ‍िकेट देना होगा। इसके साथ ही उन्‍हे बीमा की कॉपी भी देना अनिवार्य होगा।  जो पूरी तरह स्‍वस्‍थ पर्वतारोही होंगे, उन्‍हें ही पर्यटन विभाग की तरफ से माउंट एवरेस्‍ट पर जाने की अनुमति मिलेगी।  

एवरेस्ट पर चढ़ाई के लिए सिर्फ अच्छे स्वास्थ्य वाले पर्वतारोहियों को ही मंजूरी देने के मकसद से नए नियमों का मसौदा तैयार किया गया है। नेपाल पर्यटन विभाग के अनुसार वर्ष 2019 में चढ़ाई के दौरान नौ पर्वतारोहियाें की  मौत हो गई थी।

पर्यटन विभाग की निदेशक मीरा आचार्य ने कहा, पिछले चार सालों के दौरान मौजूदा साल में जान गंवाने वाले पर्वतारोहियों की यह सबसे अधिक संख्या है। चूंकि सबसे अधिक मौतें स्वास्थ्य कारणों के चलते हुई हैं, इसीलिए नेपाल के पर्यटन विभाग ने यह मौसदा तैयार किया है।

पर्यटन मंत्रालय द्वारा इन नियमों को मंजूरी देने के बाद इसे स्वीकृति के लिए कैबिनेट के पास भेजा जाएगा। नए नियम को कैबिनेट से मंजूरी मिलने तक 16 साल से कम उम्र के पर्वतारोहियों, गंभीर बीमारियों वाले व्यक्तियों और आपराधिक इतिहास वाले लोगों पर लगी रोक पहले की तरह प्रभावी रहेगी।

पर्वतारोहियों के अनिवार्य बीमा के संबंध में पर्यटन विभाग की निदेशक  ने कहा कि यह मुख्य रूप से बचाव और उपचार से संबंधित है। एवरेस्‍ट फतह के दौरान पर्वतारोही के बीमार होने या कहीं ऊंचाई पर फंसने की स्थिति में यह बीमा उन्हें सुरक्षा मुहैया कराएगा। 

एवरेस्ट चढ़ाई के दौरान बचाव और राहत का काम करने वाली संस्थाओं के अनुसार, डेथ जोन (8,000 मीटर ) से ऊपर अगर किसी पर्वतारोही की मौत होती है तो उसका शव निकालने में दो लाख डॉलर (करीब डेढ़ करोड़ रुपये) से ज्यादा का खर्च आता है। जबकि डेथ जोन से नीचे फंसे लोगों को निकालने में 14 से 42 लाख रुपये का खर्च आता है।


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