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ओली-प्रचंड के बीच नहीं मिटी दूरी, बैठक रही बेनतीजा; नेपाल की सत्ताधारी पार्टी में मतभेद जस के तस

पार्टी के वरिष्ठ नेता गणेश शाह ने बताया कि कुछ मिनटों की संक्षिप्त चर्चा में किसी सियासी मुद्दे पर बात नहीं हुई। सिर्फ प्राकृतिक आपदा पर बात हुई। अगली बैठक 28 जुलाई को होगी।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Tue, 21 Jul 2020 11:10 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jul 2020 11:14 PM (IST)
ओली-प्रचंड के बीच नहीं मिटी दूरी, बैठक रही बेनतीजा; नेपाल की सत्ताधारी पार्टी में मतभेद जस के तस

काठमांडू, एजेंसी। नेपाल की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी की बहुप्रतीक्षित बैठक तो हुई, पर कुछ ही मिनट चली। ओली आए नहीं। राजनीतिक मुद्दे उठे नहीं। मतभेद मिटे नहीं। बस अगली बैठक की तारीख तय हुई। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी अभी तक अपने दो शीर्ष नेताओं का मनमुटाव दूर नहीं कर पाई। पार्टी ने पीएम ओली और कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड को समय कम नहीं दिया। पार्टी बैठक बुलाती रही, टालती रही। दोनों नेता अनौपचारिक रूप से कई बार मिले, पर दूरियां नहीं मिटीं।

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वे आज भी मिले, पर सुलह का कोई फॉर्मूला नहीं खोज पाए। मंगलवार को पार्टी की 45 सदस्यीय स्टैंडिंग कमेटी की बैठक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के आधिकारिक निवास पर बुलाई गई थी। सात बार टल चुकी बैठक इस बार हुई जरूर, लेकिन बस कहने के लिए। तबीयत ठीक न होने की वजह से ओली नहीं आए।

पार्टी के वरिष्ठ नेता गणेश शाह ने बताया कि कुछ मिनटों की संक्षिप्त चर्चा में किसी सियासी मुद्दे पर बात नहीं हुई। सिर्फ प्राकृतिक आपदा पर बात हुई। अगली बैठक 28 जुलाई को होगी।

प्रचंड चाहते हैं प्रधानमंत्री ओली का इस्तीफा

दरअसल, सत्ता में साझेदारी को लेकर पार्टी में ओली और प्रचंड के बीच ठनी हुई है। प्रचंड प्रधानमंत्री पद से ओली का इस्तीफा चाहते हैं, जिसके लिए ओली तैयार नहीं है। ओली की मनमानी कार्यशैली से खफा प्रचंड का कहना है कि ओली बेमतलब भारत विरोधी बयान दे रहे हैं। ओली का आरोप है कि कुछ लोग भारत की मदद से उनकी कुर्सी छीनना चाहते हैं। प्रचंड इस आरोप को साबित करने की चुनौती दे रहे हैं। पार्टी के अंदरनी झग़़डे के पीछे की कहानी यही है।

बता दें कि कुछ दिन पहले ही नेपाल में चीन की राजदूत के सक्रिय होने के बाद ओली के खिलाफ छिड़ी मुहिम खटाई में पड़ती दिखाई दी। ओली से खास संबंधों के लिए चर्चित महिला राजदूत ने राजनयिक मर्यादा को ताक पर रखते हुए अंदरूनी राजनीति में दखल देकर न केवल राष्ट्रपति से मुलाकात की, बल्कि वह ओली विरोधी नेताओं से भी मिलीं। इन मुलाकातों में चीनी राजदूत ने भारत के प्रति तल्ख तेवर और चीन के प्रति समर्थन का भाव रखने वाले ओली के पक्ष में माहौल बनाने का कार्य किया।


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