न्यूजीलैंड में नए कोरोना वायरस मामलों में लगातार हो रही गिरावट, अब तक 1,239 मामले हुए दर्ज
न्यूजीलैंड में चार दिनों में नए कोरोना वायरस मामलों में लगातार गिरावट दर्ज की है।
वेलिंगटन, आईएएनएस। कोरोना वायरस से लड़ने में न्यूजीलैंड कुछ ऐसे कामयाबी हासिल कर रहा है कि बाकी अन्य देश भी इसी दिशा में चलना चाहते हैं। बता दें कि यहां चार दिनों में नए कोरोना वायरस मामलों में लगातार गिरावट दर्ज की है। गुरुवार को देश में 29 नए कोरोना वायरस मामले सामने आए। जिनसे न्यूजीलैंड में कुल मामलों की संख्या 1,239 हो गई। इसमें केवल एक मौत हुआ है। सीएनएन ने बताया कि उन मामलों में, केवल 14 अस्पताल में हैं और 317 ठीक हो चुक हैं।
प्रधान मंत्री जैकिंडा अर्डर्न ने गुरुवार को अपने एक भाषण में कहा, 'हम कोरोना वायरस को खत्म करने के नजदीक हैं।' बता दें कि न्यूजीलैंड में लॉकडाउन का उल्लंघन स्वास्थ्य मंत्री को भी सजा मिल गई थी। इस बात से अंदेशा लगाया जा सकता है कि देश में किसी ऑर्डर का क्या मतलब होता है। कोरोना वायरस के कारण जारी लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर न्यूजीलैंड के स्वास्थ्य मंत्री डेविड क्लार्क को इस्तीफा देने का आदेश दिया गया था।
देश की प्रधानमंत्री जैकिंडा अर्डर्न ने इस बात की जानकारी मंगलवार को दी थी। प्रधानमंत्री ने बताया था कि सामान्य परिस्थितियों में उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री डेविड क्लार्क को बर्खास्त कर दिया होता लेकिन फिलहाल उन्हें पदोवनत (डिमोट) किया गया है। उन्होंने लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का उल्लंघन करते हुए अपने परिवार को कार से समुद्र तट पर ले जाने की गुस्ताखी की थी। लिहाजा प्रधानमंत्री जैकिंडा अर्डर्न ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री ने जो भी किया वह गलत था। उन्होंने वेलिंगटन में कहा कि क्लार्क से कैबिनेट का दर्जा छीन लिया गया है। उन्हें सहायक वित्त मंत्री के पद से भी अलग कर दिया गया है। प्रधानमंत्री जैकिंडा अर्डर्न ने कहा कि वह बेहतर की उम्मीद करती हैं और न्यूजीलैंड भी बेहतर ही चाहती हैं।
वहीं दूसरी ओर, क्लार्क ने अपनी सफाई में कहा है कि उन्होंने बेहद मूखर्तापूर्ण व्यवहार किया है। वह इस बात को समझते हैं कि लोग उनसे इतने नाराज क्यों हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने अपना गुनाह कबूल किया और कहा कि वह 'इडियट' थे, जो लॉकडाउन के पहले वीकेंड पर ही गलती कर दी। उन्होंने प्रधानमंत्री के समक्ष इस्तीफे की पेशकश भी की थी। लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए प्रधानमंत्री ने इस्तीफा स्वीकार न करते हुए कैबिनेट का दर्जा वापस ले लिया।