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नेपाली संसद का फैसला कालापानी विवाद के कूटनीतिक समाधान के प्रयास हो तेज

नेपाली संसद ने सर्वसम्मति से अपनी सरकार से कालापानी क्षेत्र में भारत-नेपाल सीमा विवाद के कूटनीतिक समाधान के प्रयासों को तेज करने को कहा है।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Sat, 04 Jan 2020 09:51 AM (IST)Updated: Sat, 04 Jan 2020 09:51 AM (IST)
नेपाली संसद का फैसला कालापानी विवाद के कूटनीतिक समाधान के प्रयास हो तेज
नेपाली संसद का फैसला कालापानी विवाद के कूटनीतिक समाधान के प्रयास हो तेज

काठमांडू, प्रेट्र। नेपाली संसद ने सर्वसम्मति से अपनी सरकार से कालापानी क्षेत्र में भारत-नेपाल सीमा विवाद के कूटनीतिक समाधान के प्रयासों को तेज करने को कहा है। सत्ताधारी नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के मुख्य सचेतक खिमलाल भट्टराई ने प्रस्ताव पेश किया। प्रमुख विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस की मुख्य सचेतक सरिता प्रासैन ने इसका समर्थन किया।

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सीमा पर जल्द फैसले लेने का आग्रह

प्रस्ताव में सरकार से भारत-नेपाल उच्चस्तरीय तकनीकी समिति पहल के आधार पर सीमा विवाद का शीघ्र समाधान करने का आग्रह किया गया है। पिछले साल जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन के बाद नवंबर में भारत का राजनीतिक नक्शा जारी होने के बाद नेपाल ने आपत्ति उठाई है। भारत ने कहा कि नया नक्शा उसके संप्रभु क्षेत्र का सटीक प्रारूप है और उसने नेपाल के साथ लगती सीमा में किसी प्रकार का संशोधन नहीं किया है।

एंग्लो-नेपाली युद्ध के समापन के बाद सुगौली समझौते के तहत दार्जिलिंग समेत नेपाल के क्षेत्र ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंपे गए थे। बता दें कि गुरुवार को भारत सरकार ने जोर देकर कहा था कि जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद जारी किए गए भारत के नए राजनीतिक नक्शे में सीमाओं का सही चित्रण किया गया है। हालांकि, सरकार ने कहा कि अभी भी परिसीमन प्रक्रिया जारी है। वहीं, इसपर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हमारे नक्शे में भारत के संप्रभि क्षेत्र को यही तरह से दिखाया गया है। नए नक्शे में नेपाल के साथ लगी हमारी सीमा में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। 

दरअसल, विदेश मंत्रालय ने ये बयान जब दिया है जब नेपाली मीडिया में खबरें आई है कि 15 जनवरी को इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच बातचीत होने की संभावनाएं है। 

क्या है कालापानी 

बता दें कि कालापानी 372 वर्ग किलोमीटर का एक क्षेत्र है जहां चीन, नेपाल और भारत की सीमा मिलती है। वहीं,  भारत इसे उत्तराखंड का हिस्सा मानता है जबकि नेपाल इसे अपने नक्शे में दिखाता है।


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