भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थ बनने को तैयार नेपाल
नेपाल सरकार के अहम सूत्र ने भारत और पाकिस्तान के बीच समस्याओं को सुलझाने पर जोर देते हुए कहा कि वह इसमें मध्यस्थ बनने को तैयार है।
काठमांडू, प्रेट्र। नेपाल ने शनिवार को भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता निभाने को लेकर सहमति व्यक्त की है। साथ ही पिछले तीन सालों से SAARC समिट से दूरी बना रहे भारत को लेकर कहा कि समिट को पुनर्जीवित करना होगा। नेपाल ने कहा कि दोनों देशों को समाधान के लिए वार्ता करनी होगी। नेपाल सरकार के सूत्रों ने कहा, ‘किसी समस्या के समाधान के लिए बातचीत सबसे बेहतर तरीका है। समस्याएं हो सकती हैं लेकिन इसे वार्ता से हल किया जा सकता है। जरूरत पड़ने पर हम मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं।
सूत्र के अनुसार, समस्याओं को हल करने का सबसे अच्छा तरीका दोनों देशों के बीच अच्छे तरीके से संवाद स्थापित करना है। सूत्र ने कहा, ‘हम माध्यम हो सकते हैं, लेकिन बेहतर होगा कि दोनों देशों के बीच सीधा संपर्क हो।’ पिछले साल अगस्त में भारत द्वारा जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। भारत के इस फैसले पर पाकिस्तान की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया दी गई जिससे दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध प्रभावित हुए। पाकिस्तान ने भारतीय दूत को निकाल दिया।
सूत्र के अनुसार, ‘जब हम साथ बैठेंगे और विचारों को साझा करेंगे तब ही समस्याओं का समाधान होगा। हर हालात में हमें साथ बैठना होगा और चीजों को सुलझाने की कोशिश करनी होगी नहीं तो स्थिति और बदतर होती जाएगी। सार्क समिट को लेकर अनिश्चितता के साए पर उन्होंने चिंता जताई और कहा, ‘SAARC खत्म नहीं हुआ है। यह जीवित है। उम्मीद है कि इसे फिर से जीवित किया जा सकेगा।’
इसके पहले वर्ष 2014 में काठमांडू में सार्क समिट का आयोजन हुआ था जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए थे। इसके बाद 2016 में इस्लामाबाद में यह समिट होना था लेकिन उसी साल 18 सितंबर को जम्मू कश्मीर के उरी में भारतीय सेना शिविर पर आतंकी हमला के बाद भारत ने इसमें शामिल होने से इंकार कर दिया। इसके बाद यह समिट रद कर दिया गया क्योंकि बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान ने भी इसमें शामिल होने से इंकार कर दिया था।
पिछले 3 सालों में भारत ने पाकिस्तान में मौजूद आतंकी नेटवर्क से सुरक्षा चुनौतियों का हवाला देते हुए SAARC से दूरी बना ली। नेपाल सरकार के सूत्र ने बताया, ‘हम आतंक के तमाम रूपों का सख्ती से विरोध करते हैं। लेकिन सार्क और आतंकवाद के बीच कोई संबंध नहीं है। हम दोनों मामलों को जोड़ नहीं सकते हैं।’ खतरे के तौर पर आतंकवाद को लेते हुए सूत्र ने बताया, ‘हमें आतंकवाद के मुद्दे पर कार्रवाई करनी होगी। मुझे लगता है कि गलतफहमियों को दूर करना चाहिए और SAARC को पुनर्जीवित करना होगा। मैंने इसके लिए भारत को भी कहा है। हम समाधान निकाल सकते हैं।’
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