नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक में छाया रहा भारत से सीमा विवाद, प्रचंड और ओली के बीच मतभेद बढ़े
नेपाल में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) की शक्तिशाली स्थायी समिति की बैठक में भारत के साथ सीमा विवाद का मुद्दा छाया रहा।
काठमांडू, प्रेट्र। नेपाल में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) की शक्तिशाली स्थायी समिति की बैठक में भारत के साथ सीमा विवाद का मुद्दा छाया रहा। बैठक में शामिल कई सदस्यों ने ओली सरकार पर चीन के दबाव में काम करने का आरोप लगाया और कहा कि वह सीमा विवाद पर भारत के साथ बातचीत करने में विफल रही है। शनिवार की बैठक में 48 सदस्यीय स्थायी समिति के ज्यादातर सदस्यों ने इस मुद्दे को उठाया। विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने कहा कि सरकार ने सीमा मुद्दे पर भारत के साथ बातचीत करने की बहुत कोशिश की, लेकिन भारत ने वार्ता को लेकर दिलचस्पी नहीं दिखाई। उधर, पार्टी के कार्यकारी चेयरमैन पुष्प कुमार दहल उर्फ प्रचंड और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के बीच मतभेद काफी बढ़ गए हैं
भारत सरकार के साथ बातचीत करने में विफल रही ओली सरकार
वहीं, दूसरे सदस्यों ने ओली सरकार पर ही आरोप लगाया कि वह इस मुद्दे पर भारत सरकार के साथ बातचीत करने में विफल रही। सूत्रों के मुताबिक भारत के साथ कालापानी विवाद पर सरकार को आम नेपाली नागरिकों का समर्थन तो पहले ही नहीं मिल रहा था। एनसीपी की बैठक में भी एक धड़े ने इस मुद्दे पर सरकार का विरोध किया। इस धड़े ने ओली सरकार पर गोरखा क्षेत्र में चीन द्वारा कब्जाई गई भूमि पर कुछ नहीं बोलने का आरोप लगाया है।
इस गुट का कहना है कि चीन द्वारा हथियाई गई जमीन से ध्यान बंटाने के लिए कालापानी विवाद को जन्म दिया जा रहा है और भारत के साथ संबंध खराब करने का प्रयास किया जा रहा है। इस गुट का कहना है कि भारत के साथ संबंध खराब नहीं होने चाहिए। एनसीपी के नेता गणेश शाह ने बताया कि मंगलवार को एक बार फिर स्थायी समिति की बैठक होगी, जिसमें सीमा विवाद के अलावा नागरिकता विधेयक, कोरोना महामारी और अमेरिका से मिलने वाली 50 करोड़ डॉलर के अनुदान जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
प्रचंड और ओली के बीच मतभेद बढ़े
एनसीपी के एक नेता ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि पार्टी के कार्यकारी चेयरमैन पुष्प कुमार दहल उर्फ प्रचंड और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के बीच मतभेद और बढ़ गए हैं। प्रचंड ने साफ तौर पर कहा है कि पार्टी के अध्यक्ष पद और प्रधानमंत्री पद में से ओली को कोई एक पद चुनना पड़ेगा। प्रचंड ने कहा कि सरकार और पार्टी के बीच समन्वय का अभाव है और वह एनसीपी द्वारा 'एक व्यक्ति एक पद की नीति' का पालन करने पर जोर दे रहे है। ओली सरकार जिस तरीके से कोविड-19 संकट से निपट रही है, वह दोनों नेताओं के बीच मतभेद का एक मुख्य मुद्दा है।
अभी ओली प्रधानमंत्री के साथ एनसीपी के अध्यक्ष भी हैं। इसी मतभेद के चलते ओली पहले दो दिन की बैठक में शामिल नहीं हुए। प्रधानमंत्री आवास में हो रही बैठक में ओली शनिवार को शामिल भी हुए तो थोड़ी देर बाद ही स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर चले गए। उन्होंने बैठक को संबोधित भी नहीं किया। गौरतलब है कि नेपाल ने हाल ही में देश का नया नक्शा जारी किया था, जिसमें भारत के तीन क्षेत्रों कालापानी, लिपुलेख और लिपियाधुरा को अपना हिस्सा बताया है। भारत पहले ही उसके दावे को खारिज कर चुका है। भारत का साफ कहना है कि कृत्रिम तरीके से देश की सीमा का विस्तार स्वीकार नहीं किया जा सकता।
प्रचंड ने की थी ओली के इस्तीफे की मांग
दो दिन पहले नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी में सिर फुटव्वल खुलकर सामने आ गई। पार्टी के कार्यकारी चेयरपर्सन प्रचंड ने पीएम केपी शर्मा ओली से इस्तीफे की मांग कर डाली थी। ओली ने फिलहाल इस्तीफा देने से इनकार कर दिया लेकिन उनके लिए अब कुर्सी बचाना मुश्किल हो सकता है। सरकार की विफलताओं पर पार्टी की बैठक के दौरान ओली पर बरसने वाले प्रचंड ने चेतावनी दी है कि अगर पीएम ने इस्तीफा नहीं दिया तो वह पार्टी को तोड़ देंगे। प्रचंड को पार्टी में भी खूब समर्थन भी मिल रहा है। दो पूर्व पीएम और कई सांसदों ने ओली के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।