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NATO Membership: फिनलैंड और स्वीडन के नाटो में शामिल होने के बीच खड़ा है तुर्की, जानिए क्या है वजह

फिनलैंड और स्‍वीडन ने रूस के विरोध को दरकिनार कर नाटो (NATO) की सदस्‍यता लेने में रूचि दिखाई है लेकिन तुर्की इन दोनों ही देशों को नाटो की सदस्‍यता दिए जाने का लगातार विरोध कर रहा है। जानिए क्यों कर रहा है तुर्की विरोध।

By Piyush KumarEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 11:02 PM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 11:02 PM (IST)
NATO Membership: फिनलैंड और स्वीडन के नाटो में शामिल होने के बीच खड़ा है तुर्की, जानिए क्या है वजह
फिनलैंड और स्वीडन नाटो में शामिल होने को लेकर दिलचस्पी दिखा रहे हैं। (फोटो सोर्स: एपी)

 स्टाकहोम, एपी। यूक्रेन पर हुए रूस के हमले ने समूचे यूरोप में खलबली मचा दी है। नाटो के मुद्दे पर यूक्रेन को निशाना बनाए जाने के बाद यूरोपीय देश अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। यही वजह है कि फिनलैंड और स्‍वीडन ने रूस के विरोध को दरकिनार कर नाटो (NATO) की सदस्‍यता लेने में रूचि दिखाई है, लेकिन तुर्की इन दोनों ही देशों को नाटो की सदस्‍यता दिए जाने का विरोध कर रहा है। इस बीच फिनलैंड के राष्ट्रपति सौली निनिस्टो ने कहा है कि दोनों देशों का नाटो में शामिल होना तुर्की से पसंद नहीं है, लेकिन हम रचनात्मक बातचीत के जरिए इस समस्या का समाधान निकाल ही लेंगे।

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तुर्की के राष्ट्रपति ने मदद करने का किया था वादा

निनिस्टो ने कहा कि उन्होंने अप्रैल की शुरुआती दिनों में तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैय्यप एर्दोगन से बात हुई थी और उस वक्त वो हमारी सहायता करने के लिए इच्छुक थे। हालांकि मौजूदा समय में तुर्की की राय अलग बन चुकी है, मगर हमें बातचीत जारी रखनी चाहिए। गौरतलब है कि मंगलवार को फिनलैंड की संसद ने देश को नाटो में शामिल होने की मंजूरी दे दी है। इस निर्णय का 200 सांसदों में 188 सांसदों ने समर्थन किया, वहीं इसके खिलाफ में आठ वोट पड़े। बता दें कि दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने ब्रसेल्स में गठबंधन के मुख्यालय में बुधवार को संयुक्त रूप से सौंपे जाने वाले औपचारिक आवेदन पत्रों पर हस्ताक्षर किए।

 शामिल होने के लिए 30 देशों की सहमति जरूरी

एक तरफ जहां हर बीते वक्त के साथ फिनलैंड और स्वीडन नाटो में शामिल होने के लिए आगे बढ़ रहे हैं, वहीं तुर्की की नाराजगी ने कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं। तुर्की राष्ट्रपति एर्दोगन ने शुक्रवार के बाद सोमवार को भी दोनों देशों के नाटो में शामिल होने के खिलाफ सवाल उठाया है। उल्लेखनीय है कि नाटो की सदस्यता हासिल करने के लिए सभी 30 नाटो देशों के बीच एकमत होने के बाद ही नए सदस्य को शामिल किया जा सकता है।

जानिए तुर्की क्यों कर रहा है विरोध

दरअसल, तुर्की का कहना है कि इन दोनों देशों का आतंकी संगठनों के प्रति रवैया बेहद गोल-मोल रहा है। इन पर विश्‍वास नहीं किया जा सकता है। तुर्की के नेता ने नार्डिक देशों पर आतंकवादी समूह यानी कुर्द लड़ाकों को सुरक्षित पनाह देने का आरोप लगाया है। बता दें कि कई सालों से तुर्की से निकलकर एक अलग देश को बनाने की मांग को लेकर कुर्द लड़ाके तुर्की सरकार से लोहा ले रहे हैं। बता दें कि दोनो नार्डिक देशों को नाटो में शामिल होने को लेकर अमेरिका ने खुशी जाहिर की है।

व्हाइट हाउस ने घोषणा किया है कि राष्ट्रपति जो बिडेन गुरुवार को वाशिंगटन में दोनों देशों के नेता नीनिस्टो और मैग्डेलेना एंडरसन से मुलाकात करेंगे, ताकि उनके नाटो आवेदनों और अन्य मुद्दों के बीच यूक्रेन के लिए समर्थन पर चर्चा की जा सके। वहीं रूस दोनों देशों को नाटो में शामिल होने की चेतावनी दी है।


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